भोपाल । वन कर्मचारियों को पुलिस की भांति साल में एक माह का अतिरिक्त वेतन मिल सकता है । इस पर राज्य सरकार द्वारा  विचार किया जा रहा है। मैदानी पदस्थापना वाले वनकर्मी इस आशय की मांग लंबे समय से कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला था। कल वनमंत्री विजय शाह की मौजूदगी में हुई बैठक में इस पर सहमति बनी है। वन मुख्यालय प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जो शासन को भेजा जाएगा। वन कर्मचारियों की हड़ताल पर जाने की चेतावनी के बाद हाल ही में यह बैठक हुई थी, जिसमें 12 मांगों पर सहमति बनी है। प्रदेश में 20 हजार से अधिक वन कर्मचारी मैदानी पदस्थापना में हैं। जिन्हें दिन-रात जंगल या वन्यप्राणियों की निगरानी करती पड़ती है। ये कर्मचारी अपने काम को पुलिस के समान बताते हैं और कई सालों से साल में एक माह का वेतन अतिरिक्त देने की मांग कर रहे थे। हाल ही में वन कर्मचारियों ने हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी तो वन मंत्री ने बैठक बुलाई, जिसमें 12 मांगों पर विस्तार से बात के बाद सहमति बनी है। जिन्हें लेकर अब प्रशासनिक स्तर पर मंथन शुरू हो गया है।वन समितियों में तैनात सुरक्षा श्रमिकों के पारिश्रमिक में एक हजार रुपये बढ़ाने, श्रमिकों और स्थायीकर्मियों को ईपीएफ व्यवस्था से जोड़ने, उनके बच्चों के लिए पायलट आधार पर छात्रावास सुविधा शुरू करने, उनके आयुष्मान और संबल कार्ड बनाने, नक्सली घटनाओं में मृत्यु होने पर वनकर्मी को बलिदानी का दर्जा देने और वन क्षेत्रपालों को पुलिस निरीक्षक के समान वेतनमान स्वीकृत करने पर सहमति बनी है। ये प्रस्ताव शासन को भेजा जा रहा है, जिस पर अंतिम निर्णय सरकार लेगी। वनकर्मियों को पूरी उम्मीद है कि उनकी जायज मांगों पर सरकार अवश्य विचार करेगी।