मार्गशीर्ष माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को गीता जयंती मनाई जाती है। अंग्रेजी कलैंडर के अनुसार यह जयंती 4 दिसंबर को रहेगी।
इस दिन गीता भवन में गीता के उपदेशों पर प्रवचन होते हैं और श्रीहरि विष्णु एवं श्रीकृष्ण की पूजा होती है। इस दिन मोक्षदा एकादशी का व्रत भी रखा जाता है। इसी दिन श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसीलिए गीता जयंती मनाई जाती है। जानिए 25 रोचक बातें।
1. इस साल गीता जयंती की 5159वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी

2. गीता महाभारत के शांति पर्व का एक भाग है।

3. वेदों का सार उपनिषद और उपनिषदों का सार गीता है। इसी‍लिये इसे गीतोपनिषद् भी कहते हैं।

4. गीता सभी हिन्दू ग्रंथों का निचोड़ और सारतत्व है इसीलिए यह सर्वमान्य हिन्दू धर्मग्रंथ है।

5. भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध में कुंती पुत्र अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया था।

6. गीता के ज्ञान में धर्म के सभी मार्गों को बताया गया है जिस पर चलकर मनुष्य मोक्ष पा सकता है।

7. कौरव और पांडवों के बीच कुरुक्षेत्र में हुए युद्ध के प्रथम दिन इस ज्ञान को श्रीकृष्‍ण ने दोनों सेनाओं के बीच रथ पर खड़े होकर यह ज्ञान दिया था।

8. इस ज्ञान की शुरुआत तब हुई जब अर्जुन ने दोनों ओर की सोनाओं में अपना ही बंधु बांधवों को देखकर युद्ध करने से इनकार कर दिया था।

9. कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश लगभग 45 मिनट दिया था।

10. इस 45 मिनट में उन्होंने अर्जुन को सभी तरह से समझाकर उसका मोह भंग करके यह बताया था कि तू जो युद्ध कर रहा है यह अपने लिए नहीं धर्म के लिए कर रहा है। आज यदि तू युद्ध से विमुख हो जाएगा तो इतिहास तुझे कायरों की गिनति में शामिल करेगा और कहेगा कि तूने धर्म का साथ नहीं देकर अधर्म को ही मजूबत किया।

11. गीता को अर्जुन के अलावा संजय ने सुना और उन्होंने धृतराष्ट्र को सुनाया।

12. इस ज्ञान का अर्जुन के रथ पर विराजमान हनुमानजी सहित आकाश में स्थिति सभी देवों ने सुना।

13. यह भी कहा जाता है कि गीता का ज्ञान वहां से गुजर रहे एक पक्षी ने भी सुना था।

14. हरियाणा के कुरुक्षे‍त्र में जब यह ज्ञान दिया गया तब मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की तिथि एकादशी थी जिसे मोक्षदा एकादशी कहा जाता है। संभवत: उस दिन रविवार था।

 
15. कलियुग के प्रारंभ होने के मात्र तीस वर्ष पहले, मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन, कुरुक्षेत्र के मैदान में, अर्जुन के नन्दिघोष नामक रथ पर सारथी के स्थान पर बैठ कर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश किया था। इसी तिथि को प्रतिवर्ष गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है।

16. कहते हैं प्रथम दिन का उपदेश प्रात: 8 से 9 बजे के बीच हुआ था।

17. आर्यभट्‍ट के अनुसार महाभारत युद्ध 3137 ईपू में हुआ। इसका मतलब की आर्यभट्ट की गणना अनुसार गीता का ज्ञान आज से 5159 वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था।

18. कुरुक्षेत्र में ज्योतिसर नामक एक स्थान है जहां पर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। यह स्थान कुरुक्षेत्र-पहावा मार्ग पर थानेसर से 5 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है।

19. भगवद्गीता के प्रथम श्लोक में कुरुक्षेत्र को धर्मक्षेत्र कहा गया है।

20. गीता में श्रीकृष्ण ने 574, अर्जुन ने 85, संजय ने 40 और धृतराष्ट्र ने 1 श्लोक कहा है। श्रीमद्भागवत गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं।

21. गीता का दूसरा नाम हरिगीता भी है। महाभारत में एक नहीं कई गीताएं हैं, लेकिन कुरुक्षेत्र की गीता ही खास है।

22. 18 अध्याय में अध्याय विषाद योग में 46, सांख्य योग में 72, कर्म योग में 43, ज्ञान कर्म संन्यास योग में 42, कर्म संन्यास योग में 29, ध्यान योग अथवा आत्मसंयम योग में 47, ज्ञान विज्ञान योग में 30, अक्षर ब्रम्हयोग में 28, राजविद्या राजगुह्य योग में 34, विभूति विस्तार योग में 42, विश्वरूप दर्शन योग में 55, भक्ति योग में 20, क्षेत्र क्षेत्रजन विभाग योग में 35, गुणत्रय विभाग योग में 27, पुरुषोत्तम योग में 20, दैवासुर सम्पद विभाग योग में 24, श्रध्दात्रय विभाग योग में 28, मोक्ष संन्यास योग में 78 श्लोक है।

23. कुरुक्षेत्र में जब अर्जुन किसी भी प्रकार से संतुष्ट नहीं हुआ तब श्रीकृष्‍ण ने विराट रूप धारण किया था।

24. अर्जुन के अलावा संजय, परशुराम, वेद व्यास और देवताओं ने अपनी दिव्यदृष्टि के कारण श्रीकृष्ण के विराट स्वरूप या विश्‍व स्वरूप के दर्शन किए थे।

25. गीता पर जितने भाष्य, टीका और ग्रंथ लिखे गए हैं उतने किसी भी धर्मग्रंथ पर नहीं लिए गए हैं। यह दुनिया की सबसे उत्तम पुस्तक है जिसमें जीवन की हर समस्या का हल है।