जम्मू । जम्मू-कश्मीर में सरकारी भूमि को अवैध कब्जों से मुक्त कराने के लिए प्रशासन द्वारा शुरू किए गए अभियान से उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को काफी तकलीफ पहुंची है। वर्षों तक सरकारी भूमि पर रसूखदार लोग कब्जा करते रहे और उन्हें अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवारों का संरक्षण प्राप्त रहा। अब जबकि उन लोगों से सरकारी जमीन छुड़ाई जा रही है, तो कई लोग विरोध कर रहे हैं। 
प्रशासन की इस कार्रवाई से जम्मू-कश्मीर के आम लोग खुश हैं, लेकिन गुपकार गठबंधन आग बबूला हो गया है। महबूबा मुफ्ती ने कहा कि सरकार अफगानिस्तान की तरह कार्रवाई कर रही है, जबकि उमर अब्दुल्ला को भी यह गरीबों को सताने वाली कार्रवाई नजर आ रही है। सज्जाद लोन को भी लग रहा है कि प्रशासन की यह कार्रवाई गलत है। आम कश्मीरी इस समय घाटी में वह परिवर्तन देख रहे हैं जिसकी कभी वह कल्पना ही कर सकते थे।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश को अफगानिस्तान में बदल दिया है और वह अतिक्रमण रोधी अभियान के तहत गरीब तथा वंचितों के मकान ढहाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल कर रही है। 
महबूबा मुफ्ती ने देश में विपक्षी नेताओं से भाजपा द्वारा किए जा रहे कथित अत्याचारों के प्रति मूक दर्शक न बने रहने की अपील भी की है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा अपने प्रचंड बहुमत का इस्तेमाल संविधान को ढहाने के लिए कर रही है। महबूबा ने कहा फलस्तीन फिर भी बेहतर है। जिस तरीके से लोगों के मकानों को ढहाने के लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया जा रहा है, उससे तो कश्मीर की स्थिति अफगानिस्तान से भी बदतर हो गई लगती है। लोगों के छोटे-छोटे मकानों को ढहाने का उद्देश्य क्या है। 
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा, बुलडोजर सरकार का पहला विकल्प नहीं हो सकता। लोगों को परेशान करना सरकार का काम नहीं है। उसका काम लोगों के जख्मों पर मरहम लगाने का होता है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी सरकारी जमीनों पर कब्जे के खिलाफ है, लेकिन प्रशासन को अतिक्रमण हटाने के दौरान तय कानूनी प्रक्रिया का पालन करना चाहिए। सोशल मीडिया पर प्रसारित कथित अतिक्रमणकारियों की सूचियों पर अब्दुल्ला ने कहा कि उन्हें गुपकर रोड पर स्थित अपना पैतृक मकान उस सूची में शामिल होने की आशा नहीं थी, क्योंकि उसका पट्टा अभी चल रहा है। उन्होंने सवाल किया मेरी बहन इस मामले में उच्च न्यायालय गयीं, जहां सरकार के वकीलों ने बताया कि सार्वजनिक मंचों पर उपलब्ध सूचियां फर्जी हैं। ऐसे में फिलहाल किस आधार पर बुलडोजर चल रहे हैं? 
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां भी ध्वस्तीकरण हो रहा है, वहां के लिए कोई छानबीन नहीं हुई है और मीडिया को पहले ही सूचना दे दी गई, लेकिन वहां रहने वालों को सूचित नहीं किया गया। अब्दुल्ला ने कहा अधिकारी अवैध रूप से लाभ कमाने के लिए अतिक्रमण रोधी अभियान चला रहे हैं। उन्होंने कहा हमारे पास सूचना है कि इन सूचियों में जिनके नाम हैं उनसे नाम हटवाने के एवज में 1.5 लाख रुपए मांगे जा रहे हैं।