नई दिल्ली । केंद्र की मोदी सरकार अग्निपथ योजना के तहत सेना में भर्ती होने वाले युवाओं को अलग से अतिरिक्त प्रोत्साहन देने पर विचार कर रही है। वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने बताया कि छह महीने की ट्रेनिंग अवधि के दौरान अगर कोई विकलांगता आती है और उसकी वजह से वह सेना में भर्ती के लिए मेडिकली फिट नहीं रहता, तब उस स्थिति में अतिरिक्त प्रोत्साहन दिया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक, इस लेकर पिछले 10 दिनों के अंदर कई बैठकें हो चुकी हैं। रक्षा मंत्रालय नए रंगरूटों को अतिरिक्त प्रोत्साहन देने की संभावना तलाश रहा है। पिछले महीने शुरू की गई अग्निपथ योजना के तहत भर्ती होने वाले अग्निवीरों का सेवा कार्यकाल चार साल का होगा। इसमें छह महीने की प्रशिक्षण अवधि होगी। योजना के तहत, चार साल की सेवा के दौरान कोई रंगरूट किसी भी समय विकलांग होने की वजह से चिकित्सकीय रूप से बोर्ड आउट होता हैं, तब उसे बाकी महीनों की सर्विस का पूरा वेतन और अग्निवीर सेवा निधि के तहत 11.75 लाख रुपये दिए जाएंगे।
सूत्रों का कहना है कि रक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अफसरों और सैन्य अधिकारियों की हालिया बैठकों में इस बात पर चर्चा हुई है कि ये मौजूदा लाभ इसतरह के अग्निवीरों के लिए अपर्याप्त हो सकते हैं, जो अपंगता के कारण सेना की सेवा के लायक नहीं रह पाए। सरकार के सूत्र ने बताया कि इस पहलू को देखकर ये विचार किया जा रहा है कि क्या कुछ अलग से इन्सेंटिव प्रदान किया जा सकता है या नहीं। ये इन्सेंटिव पैसों के रूप में या निश्चित रोजगार जैसे अन्य तरीकों से दिया जा सकता है। वर्तमान में रक्षा सेवाओं में अन्य सभी रैंकों के लिए प्रशिक्षण अवधि समग्र सेवा कार्यकाल का हिस्सा होती है। इसके बाद सैन्य प्रशिक्षण या सर्विस के दौरान अगर कोई विकलांगता होती है या पहले की विकलांगता बढ़ जाती है और वह सेना में सेवा देने के लिए मेडिकली फिट नहीं रह पाता, तब उस पर्याप्त मुआवजा दिया जाता है। ये अपंगता पेंशन के रूप में होती है जो नियमित पेंशन के अलावा मिलती है। अपंगता पेंशन विकलांगता के प्रतिशत के आधार पर दी जाती है, जो आखिरी सैलरी का अधिकतम 30 फीसदी हो सकती है।