इस्‍लामाबाद । आर्थिक रूप से डिफॉल्‍ट होने की कगार पर पहुंचे पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पिछले दिनों खाड़ी के मुस्लिम देश संयुक्‍त अरब अमीरात के दौरे पर गए थे। इस दौरान शहबाज ने यूएई से कर्ज के लिए अपनी झोली फैला दी थी। अब सऊदी अरब और यूएई ने कर्ज नहीं देकर शहबाज को न केवल झटका दे दिया है, बल्कि कश्‍मीर के लिए खजाना खोलकर पाकिस्‍तान की दुखती रग पर चोट कर दी है। पहली बार यूएई का एम्‍मार ग्रुप कश्‍मीर में 500 करोड़ रुपये का भारी भरकम निवेश करने जा रहा है। इसके तहत 250 करोड़ में एक विशाल मॉल और जम्‍मू तथा श्रीनगर में आईटी टॉवर का निर्माण होगा। 
दुबई की चर्चित कंपनी एम्‍मार पहली ऐसी विदेशी कंपनी बन गई है, जो 10 लाख वर्ग फुट इलाके में विशाल मॉल बनाने जा रही है। जम्‍मू कश्‍मीर से अनुच्‍छेद 370 को खत्‍म करने के बाद यह अपनी तरह का पहला निवेश है। यह जम्‍मू कश्‍मीर में अपनी तरह का पहला महत्‍वपूर्ण प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश है। इस मॉल के अंदर 500 दुकानें होंगी। इस मॉल को एम्‍मार और दिल्‍ली की एक कंपनी मिलकर बनाएंगी। यह साल 2026 में शुरू हो जाएगा। यूएई इस निवेश से जहां न केवल कश्‍मीर का विकास होगा, वहीं भारत और यूएई के बीच रिश्‍ते भी बेहतर होने हैं। इस मॉल के लिए जनवरी 2022 में दुबई में निवेशकों की बैठक के दौरान समझौता हुआ था। जम्‍मू-कश्‍मीर की सरकार के साथ हुए समझौते के तहत यूएई करीब 1 अरब डॉलर का निवेश कश्‍मीर में करने जा रहा है। इसके तहत औद्योगिक पार्क, एक मेडिकल कॉलेज, एक हॉस्पिटल, लॉजिस्टिक सेंटर, आईटी टॉवर और मल्‍टीपरपज टॉवर शामिल हैं। एक ओर जहां यूएई ने कश्‍मीर के लिए खजाना खोल दिया है, वहीं पाकिस्‍तान को अब कर्ज देने से तौबा कर लिया है। इससे पहले शहबाज शरीफ ने अपने दौरे पर यूएई से कर्ज के लिए गुहार लगाई थी।
यूएई और सऊदी अरब दोनों ही पाकिस्‍तान को फिर से कर्ज देने से बच रहे हैं। शहबाज के दौरे पर यूएई ने भारत के साथ अपने मजबूत होते रिश्‍ते की ओर इशारा कर दिया था। पाकिस्‍तान और यूएई के बीच जारी संयुक्‍त घोषणा पत्र में कश्‍मीर का जिक्र नहीं किया गया था। शहबाज कश्‍मीर को इस बयान में शामिल कराना चाहते थे। यूएई के इस रुख के बाद शहबाज ने पीएम मोदी से बातचीत के लिए गिड़गिड़ाना शुरू कर दिया था। इससे पहले कहा जाता है कि यूएई ने बाजवा के समय के भारत के साथ रिश्‍ते सुधारने के लिए पर्दे के पीछे से बातचीत कराई थी और इसके बाद दोनों के बीच फिर से संघर्ष विराम हुआ था। पाकिस्‍तान को यूएई ने बहुत सा कर्ज दे रखा है। यही नहीं हजारों पाकिस्‍तानी यूएई में काम करते हैं जो विदेशी मुद्रा भेजते हैं। इस वजह से यूएई के कदम का पाकिस्‍तान खुलकर विरोध नहीं कर पा रहा है।