आज मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने के बाद मंगल स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. मंगल स्तोत्र का पाठ करने से सभी प्रकार के धन संबंधी संकट दूर होते हैं.

आप पर यदि कोई बड़ा ऋण है, लोन के ऐसे जाल में उलझ गए हैं, जिससे बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है तो ऐसे में आप इस ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करें. इससे आपको लाभ होगा. इसके प्रभाव से ऋण दूर होता है और धन में वृद्धि का योग बनता है.

मंगल स्तोत्र पाठ विधि
वाराणसी के ज्योतिषाचार्य गणेश मिश्र के अनुसार, मंगलवार को लाल रंग का वस्त्र धारण करके लाल रंग के फूलों से हनुमान जी की पूजा करें. उसके बाद मंगल स्तोत्र का पाठ करें. मंगल का रंग लाल है. इस वजह से लाल वस्त्र पहनने को कहा जाता है. स्कंदपुराण में मंगल स्तोत्र का वर्णन किया गया है.

मंगल स्तोत्र

मंगलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रद:।
स्थिरामनो महाकाय: सर्वकर्मविरोधक:।।

लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां। कृपाकरं।
वैरात्मज: कुजौ भौमो भूतिदो भूमिनंदन:।।

धरणीगर्भसंभूतं विद्युत्कान्तिसमप्रभम्!
कुमारं शक्तिहस्तं च मंगलं प्रणमाम्यहम्!!

अंगारको यमश्चैव सर्वरोगापहारक:।
वृष्टे: कर्ताऽपहर्ता च सर्वकामफलप्रद:।।

एतानि कुजनामानि नित्यं य: श्रद्धया पठेत्।
ऋणं न जायते तस्य धनं शीघ्रमवाप्रुयात्।।

स्तोत्रमंगारकस्यैतत्पठनीयं सदा नृभि:।
न तेषां भौमजा पीडा स्वल्पाऽपि भवति क्वचित्।।

अंगारको महाभाग भगवन्भक्तवत्सल।
त्वां नमामि ममाशेषमृणमाशु विनाशय:।।

ऋणरोगादिदारिद्रयं ये चान्ये ह्यपमृत्यव:।
भयक्लेश मनस्तापा: नश्यन्तु मम सर्वदा।।

अतिवक्र दुराराध्य भोगमुक्तजितात्मन:।
तुष्टो ददासि साम्राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।।

विरञ्चि शक्रादिविष्णूनां मनुष्याणां तु का कथा।
तेन त्वं सर्वसत्वेन ग्रहराजो महाबल:।।

पुत्रान्देहि धनं देहि त्वामस्मि शरणं गत:।
ऋणदारिद्रयं दु:खेन शत्रुणां च भयात्तत:।।

एभिद्र्वादशभि: श्लोकैर्य: स्तौति च धरासुतम्।
महतीं श्रियमाप्रोति ह्यपरा धनदो युवा:।।

।। इति श्री ऋणमोचन मंगलस्तोत्रम् संपूर्णम्।।