भगवान शिव को सर्वशक्तिशाली, कृपालु दयालु देव माना जाता है. शिव जी पूजा का हिंदू धर्म मं विशेष महत्व बताया गया है. कहा जाता है कि शिव जी को एक लोटा जल अर्पित करने से भी वे भक्तों से प्रसन्न हो जाते हैं.

शिवपुराण के अनुसार भगवान शिव के शरीर हाथ में ली गई वस्तुओं का अपना-अपना महत्व है. उन्हें धारण करने का अलग कारण भी है. महादेव ने गले में सांप, मस्तक पर चांद, हाथ में डमरू त्रिशूल धारण किये हुए हैं, इनका अलग महत्व कारण है. इसमें से आज हम जानेंगे भगवान शिव के डमरू के बारे में. भोलेनाथ ने ये डमरू क्यों धारण किया इसके क्या फायदे हैं.

शिव जी के हाथों में डमरू का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार संगीत की देवी सरस्वती के अवतरित होने पर उनकी वाणी से निकलने वाली ध्वनि सुर संगीत रहित थी. उस समय भगवान शिव ने 14 बार डमरू बजाया अपने तांडव नृत्य से संगीत की उत्पति की थी. तभी से भोलेनाथ को संगीत का प्रवर्तक कहा जाता है.

घर में कहां रखें डमरू इसके फायदे
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार घर में देवी-देवताओं से जुड़ी चीजों को रखना शुभ माना जाता है. बशर्ते उन्हें सही नियमों के साथ रखा जाए. ऐसे ही शिव जी का डमरू भी घर में स्थापित किया जा सकता है. मान्यता है कि भगवान शिव की स्तुति डमरू के साथ की जाए तो घर में कुछ भी अमंगल नहीं होता.

- डमरू की ध्वनि घर में नकारात्मक ऊर्जा को प्रवेश नहीं करने देती. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है मौजूद नकारात्मकता का नाश होता है.

- ऐसी मान्यता है कि डमरू से कई चमत्कारी मंत्रों की उत्पत्ति होती है. इसकी ध्वनि से व्यक्ति को मजबूती प्रदान करती है बीमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है.

- ज्योतिष अनुसार बच्चों के कमरे में डमरू रखने से उनपर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता. साथ ही, उनकी प्रगति में कोई बाधा उत्पन्न नहीं होती.

- डमरू की ध्वनि बेहद शक्तिशाली होती है. इससे तनाव को कम करने में मदद मिलती है मन शांत रहता है.

त्रिशूल का महत्व
शास्त्रों के अनुसार रज, तम सत गुणों से मिलकर ही त्रिशूल का निर्माण हुआ है. मान्यता है कि भगवान शिव के त्रिशूल के आगे सृष्टि की कोई भी चीज ताकतवर नहीं है. ऐसी मान्यता है कि घर में भगवान शिव का त्रिशूल स्थापित कर लिया जाए, तो बुरी शक्तियों का नाश होता है.