भोपाल । जानलेवा कोरोना वायरस महामारी के दौरान बनाए गए 123 मोबाइल आइसोलेशन कोच पुन: पटरी पर दौड़ने लगे हैं। इनमें से पश्चिम मध्य रेलवे द्वारा 33 को यात्री कोचों का विशेष ट्रेनों में उपयोग किया जाने लगा है। वहीं 90 को माल परिवहन कोच में बदला है। इन्हें न्यू माडिफाइड गुड्स हाइस्पीड (एनएमजीएच) कोच भी कहते हैं, जिनमें चार पहिया वाहनों का परिवहन किया जा रहा है। रेलवे के निर्देश है कि जिन कोचों के निर्माण की अवधि 18 वर्ष से कम है, उन्हें यात्री कोचों के रूप में उपयोग किया जाए। कोशिश करें कि इन्हें नियमित ट्रेनों की तुलना में साप्ताहिक ट्रेनों में उपयोग किया जाए। जिन कोचों के निर्माण की अवधि 18 वर्ष से अधिक हो चुकी है उन्हें माल परिवहन करने वाले कोचों में बदला जाए और फिर उनका उपयोग किया जाए। ऐसे कोचों को चार पहिया वाहनों के परिवहन के लिए उपयोग करें। भारी वस्तुओं के परिवहन में उपयोग न करें। जिन कोचों के निर्माण की अवधि 18 वर्ष से अधिक हो चुकी है लेकिन उनकी स्थिति माल परिवहन कोच में उपयोग करने योग्य नहीं हैं, ऐसे कोचों को रेल कोच रेस्टोरेंट में उपयोग करें। मालूम हो कि इन कोचों को कोरोना की पहली लहर में मोबाइल आइसोलेशन कोच के रूप में तैयार किया था। जिनमें संक्रमितों को भर्ती करने के लिए तैयार किया था। इनमें अलग-अलग कंपार्टमेंट बनाए थे। आक्सीजन सिलेंडर, दवाइयां, डाक्टरों के केबिन की व्यवस्था थी। भोपाल रेल मंडल ने इस तरह के 50 कोच तैयार किए थे। जिनमें से एक रैक का उपयोग दिल्ली में कोरोना संक्रमितों को भर्ती करने में किया था तो दूसरे रैक को भोपाल रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म-छह पर खड़ा किया था। जिनमें संक्रमितों को भर्ती किया गया था। ये इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) चेन्नई द्वारा निर्माण किए गए कोच थे, जिन्हें आइसीएफ कोच भी कहते हैं। प्रत्येक काेचों को मोबाइल आइसोलेशन कोच के रूप में तैयार करने के लिए 1.75 लाख खर्च हुए थे। इन्हें निशातपुरा रेल डिब्बा पुन: निर्माण कारखाना में रेलकर्मियों ने विषम परिस्थितयों में तैयार किया था। इस बारे में पश्चिम मध्य रेलवे, जबलपुर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी राहुल जयपुरिया का कहना है कि रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देशों के अनुरूप मोबाइल आइसोलेशन कोचों का उपयोग शुरू कर दिया है। इसमें रेलवे को मदद मिल रही है। कोरोना महामारी के दौरान इन कोचों को संभावित चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार किया था। काफी हद तक इनका उपयोग भी किया गया था। सभी राज्यों द्वारा अस्पताल व उनमें बिस्तरों का विस्तार कर लिया है, जिसके बाद कोचों को वापस मूल कामों में उपयोग किया जाने लगा है।