कामाख्या देवी मंदिर देश के 52 शक्तिपीठों में सबसे प्रसिद्ध है। कामाख्या देवी शक्तिपीठ असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से 8 किलोमीटर दूर कामाख्या में है। यह शक्तिपीठ तंत्र साधना के लिए प्रसिद्ध है। कामाख्या से 10 किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है।
कामाख्‍या मंदिर की 10 बड़ी बातें :

1. तांत्रिकों का गढ़ : मां कामाख्‍या का यह मंदिर तांत्रिकों का प्रमुख सिद्धपीठ माना जाता है। यहां पर दुनियाभर के तांत्रिक विशेष दिनों में एकत्रित होते हैं। माता कामाख्‍या तांत्रिकों की देवी होने के साथ ही कुछ संप्रदायों की कुल देवी भी हैं। यह महान शक्ति-साधना का गढ़ है।

2. 52 शक्तिपीठों में से एक : कामाख्या देवी मंदिर देश के 52 शक्तिपीठों में सबसे प्रसिद्ध है। पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां पर देवी सती की योनि गिरी थी। यहीं भगवती की महामुद्रा (योनि-कुंड) स्थित है। यह देवी माता सती का ही एक रूप है।

3. कामना होती है पूर्ण : कहते हैं कि यहां हर किसी की कामना सिद्ध होती है, इसी कारण इस मंदिर को कामाख्या देवी का मंदिर कहा जाता है। कामाख्‍या देवी की सवारी सर्प है। कामाख्या मंदिर से कुछ दूरी पर उमानंद भैरव का मंदिर है। यह मंदिर ब्रह्मपुत्र नदी के बीच में टापू पर स्थित है। इनके दर्शन करना भी जरूरी है।

4. पत्थर से निकलती है खून की धारा : यह मंदिर 3 हिस्सों में बना है। इसका पहला हिस्सा सबसे बड़ा है, जहां पर हर शख्स को जाने नहीं दिया जाता है। दूसरे हिस्से में माता के दर्शन होते हैं, जहां एक पत्थर से हर समय पानी निकलता है। कहते हैं कि महीने में एक बार इस पत्थर से खून की धारा निकलती है। ऐसा क्यों और कैसे होता है, यह आज तक किसी को ज्ञात नहीं है। मान्यता है कि 3 दिन देवी मासिक धर्म से रहती हैं।

 
5. अनोखा उपहार : परंपरा अनुसार 3 दिन मासिक धर्म के चलते एक सफेद कपड़ा माता के दरबार में रख दिया जाता है और 3 दिन बाद जब दरबार खुलते हैं तो कपड़ा लाल रंग में भीगा होता है जिसे उपहार के रूप में भक्तों को दे दिया जाता है। यह कपड़ा बहुत पवित्र माना जाता है।

6. यहां लगता है अम्बुवाची मेला : यहां पर प्रत्येक वर्ष अम्बुवाची मेला लगता है। इस दौरान पास में स्थित ब्रह्मपुत्र नदी का पानी 3 दिन के लिए लाल हो जाता है। ऐसा कहते हैं कि पानी का ये लाल रंग कामाख्या देवी के मासिक धर्म के कारण होता है। 3 दिन बाद दर्शन के लिए यहां भक्तों की भीड़ मंदिर में उमड़ पड़ती है। प्रतिवर्ष आषाढ़ माह में यहां पर अंबूवाची का मेला लगता है।

7. नीलांचल पहाड़ स्थित है यह मंदिर : असम में गुवाहाटी के पास स्थित नीलांचल पहाड़ पर कामाख्या देवी के मंदिर। यह मंदिर माता सती के 52 शक्तिपीठों में से एक है।

8. आनंद भैरव मंदिर : कामाख्या मंदिर के पास ही उमानंद भैरव का मंदिर है, उमानंद भैरव ही इस शक्तिपीठ के भैरव हैं। इनके दर्शन के बिना कामाख्या देवी की यात्रा अधूरी मानी जाती है।

9. माता का शुभ मंत्र :

कामाख्ये कामसम्पन्ने कामेश्वरि हरप्रिये|

कामनां देहि मे नित्यं कामेश्वरि नमोऽस्तु ते||

10. सावधानी : कामाख्या मन्दिर में अम्बूवाची के समय कुछ विशेष सावधानी रखनी चाहिए। इस समय नदी में स्नान नहीं करना चाहिए। जमीन या मिट्टी को खोदना नहीं चाहिए और न ही कोई बीज बोना चाहिए। इन दिनों में यहां शंख और घंटी नहीं बजाते हैं। भक्त अन्न और जमीन के नीचे उगने वाली सब्जी और फलों का त्याग करते हैं। ब्रह्मचर्य का पालन करना बहुत जरूरी है। जितना ज्यादा हो सकता है अपने इष्टदेव के मंत्रों का जाप करना चाहिए।

 
मंदिर में दर्शन का समय:-

अम्बुबाची मेला प्रारंभ : 22 जून 2022, बुधवार

अम्बुबाची मेले समाप्त : 26 जून 2022, रविवार

मंदिर बंद होने का दिन : 22 जून 2022, बुधवार

मंदिर खुलने और दर्शन करने का दिन : 26 जून 2022, रविवार

दर्शन का समय : सुबह 5:30 से रात 10:30 बजे

कैसे पहुंच सकते हैं इस मंदिर : कामाख्या मंदिर असम की राजधानी गुवाहाटी से 8 किलोमीटर दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है। सड़क, वायु या रेलमार्ग से गुवाहाटी पहुंचकर आसानी से कामाख्या माता मंदिर पहुंचा जा सकता है।