- नेताओं के परिजनों के लिए देश व राज्यों की राजधानियों में बड़े-बड़े रिहायशी भवन खूब बने, देश को आजाद कराने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के उत्तराधिकारियों को दिल्ली में पेड़ों के नीचे या गंदी नालियों के किनारे रहना पड़ता है, 

- पांच करोड़ वोटरों वाले सेनानी परिवारों के सदस्यों को राज्यसभा सहित विभिन्न संवैधानिक संस्थाओं में मनोनीत किया जाए,

- खाली होने जा रहे संसद भवन को स्वतंत्रता सेनानियों का स्मारक बनाने का प्रस्ताव 22 प्रान्तों से आये सेनानी प्रतिनिधियों ने पारित किया,
           
- भारत सरकार सेनानी परिवारों की माँगों के निस्तारण हेतु राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानी आयोग का गठन करें ,

- नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रपौत्री राज्यश्री ने धरनास्थल पहुंचकर मांगों को दिया अपना समर्थन

नयी दिल्ली (हेडलाईन)/राम महेश मिश्र। स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं उनके उत्तराधिकारियों तथा शहीदों के वंशजों ने स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार समिति (रजि.) तथा अखिल भारतीय स्वतंत्रता सेनानी परिवार कल्याण परिषद (रजि.) दिल्ली के तत्वावधान में राष्ट्र के 36 संगठनों के बैनर तले अपने अधिकारों के संदर्भ में राजधानी के जंतर-मंतर पर एकदिवसीय सांकेतिक धरना दिया, जिसमें सैकड़ों की संख्या में सेनानी परिजन पहुंचे। सर्वप्रथम उन्होंने राजघाट जाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की समाधि पर पुष्पांजलि अर्पित की, उसके बाद वे जंतर-मंतर पर एकत्रित होकर सांकेतिक धरने में शामिल हुए। जंतर-मंतर पर सरकार की उदासीनता तथा घोर उपेक्षा से त्रस्त स्वतंत्रता सेनानी शहीद परिवारों के वंशजों ने आक्रोश-सभा आयोजित करके वक्ताओं ने अपने अपने विचार रखे। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की अंशजा व उनकी प्रपौत्री बहिन जयश्री ने धरनास्थल पर पहुंचकर सेनानी परिवारों के इस अभियान को अपना खुला समर्थन प्रदान किया। 
        
जंतर-मंतर पर आयोजित विशाल जनसभा की अध्यक्षता 113 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वामी लेखराज जी ने की। मंच पर विराजमान गृह मंत्रालय-भारत सरकार की एमिनेंट कमेटी के सदस्य महाराष्ट्र से आये स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री पांडुरंग गणपत शिंदे, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री हीरालाल ताम्रकार, श्रीराम अचल आचार्य, सरदार अवतार सिंह, जेल में जन्में सेनानी भारत भूषण विद्यालंकार, वीरांगना श्रीमती कृष्णा सोम चौधरी, श्रीमती प्रेम देवी आदि राष्ट्रीय धरनास्थल पर पधारे सेनानी परिवारों के लिये आदर व प्रेरणा के स्रोत रहे।
          
भाग्योदय फाउंडेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सेनानी परिवार प्रतिनिधि आचार्य राम महेश मिश्र के मंचीय समन्वयन एवं संचालन में सम्पन्न धरना कार्यक्रम में सेनानी परिवारों को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय महासचिव जितेन्द्र रघुवंशी ने अपने उद्बोधन में कहा कि जब सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही थी, तब देश भर के स्वतंत्रता सेनानियों/ शहीदों के परिवारों के हितों के लिए काम करने वाले 28 राष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर एक प्रतिनिधिमंडल के रूप में माननीय राष्ट्रपति जी को स्वतंत्रता सेनानी /शहीद परिवारों के मान सम्मान को संरक्षित करने हेतु 8 प्रमुख बिंदुओं के संदर्भ में एक प्रतिवेदन 4 जुलाई 2021 को सौंपा गया था। इस प्रतिवेदन में केन्द्र सरकार से दिल्ली में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मेमोरियल की स्थापना, भारत सरकार गृह मंत्रालय द्वारा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की एमिनेंट कमेटी में सेनानी परिवारों के हितों की रक्षा के लिए संघर्षरत हर प्रांत के संगठनों के प्रतिनिधियों, वीरांगनाओं, आश्रित पुत्रियों को मनोनीत करना, संवैधानिक संस्थाओं यथा- राज्यसभा, विधान परिषद, केंद्रीय समितियों तथा नगर निकायों में सेनानी परिवारों का मनोनयन, स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी परिवार आयोग का गठन, स्वतंत्रता सेनानी परिवारों को राष्ट्रीय परिवार का दर्जा दिया जाना, स्वतंत्रता सेनानी के निधन के बाद उसकी सम्मान पेंशन की धनराशि तथा सुविधाएं सेनानी परिवारों को हस्तांतरित करके जरूरतमंद सेनानी परिवारों को वित्तीय सहायता का प्रावधान, पाठ्यक्रम में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों /शहीदों की जीवनी को शामिल किया जाना तथा सेनानी शहीद परिवारों के विभिन्न न्यायालयों सहित उच्चतम न्यायालय तथा गृह मंत्रालय में लंबित प्रकरणों का शीघ्र निस्तारण करने संबंधी विषयों को प्रमुखता से उठाया गया था। किंतु, आज हमें अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि माननीय प्रधानमंत्री जी को 4 अगस्त 2022 को पुनः स्मरण पत्र भेजने के बावजूद सरकार द्वारा कोई सार्थक कदम नहीं उठाया गया। इससे देश भर के लगभग 5 करोड़ सेनानी/शहीद परिवारों में बेहद नाराजगी और आक्रोश उत्पन्न हो रहा है। 

आखिर! स्वतंत्रता सेनानी शहीद परिवारों का ऋण कब चुकाएंगी सरकारें? सम्बोधन के साथ ही श्री रघुवंशी ने उपस्थित सेनानी परिवारों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, शहीदों के सम्मान तथा अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए देश की आन, बान और शान के प्रतीक तिरंगा ध्वज हाथों में लेकर एकजुटता का संकल्प दिलाया।
         
सेनानी परिवारों को संबोधित करते हुए संगठन के उपाध्यक्ष नित्यानंद शर्मा ने कहा कि विभिन्न संगठनों से प्राप्त सुझावों को दृष्टिगत रखकर अब एक अनुपूरक-पत्र भी आज के प्रतिवेदन के साथ सरकार को सौंपा जा रहा है, जिसमें गृह मंत्रालय एफ.एफ.आर. डिवीजन में कई वर्षों से तैनात अधिकारियों कर्मचारियों का व्यवहार सेनानियों के लिए गरिमापूर्ण नहीं होने के कारण नियमानुसार अन्यत्र स्थानांतरित करने, स्वतंत्रता सेनानियों व उनकी धर्मपत्नियों का जीवित प्रमाण-पत्र उनके आवास पर ही लिए जाने, महंगाई को दृष्टिगत रखते हुए स्वतंत्रता सेनानियों, वीरांगनाओं तथा आश्रित पुत्रियों की मूल सम्मान पेंशन दोगुनी करने, कालीबाड़ी स्थित सेनानी सदन में स्वतंत्रता सेनानियों, उनकी धर्मपत्नी तथा आश्रित पुत्रियों के साथ समानता का व्यवहार करने, देश के विभिन्न राज्यों से दिल्ली आने वाली स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों के लिए भी सेनानी सदन बनाकर वीआईपी दर से शुल्क लेने, स्वतंत्रता सेनानी/ शहीद परिवारों के बेरोजगार परिजनों को आर्थिक मदद देकर स्वरोजगार योजनाओं से जोड़ने, रजत जयंती 1972 की भांति हीरक जयंती में भी स्वतंत्रता सेनानी/शहीद परिवारों को ताम्रपत्र जैसा स्मृति-चिन्ह देकर सम्मानित करने, आजादी से पहले दिवंगत, शहीद, सम्मान पेंशन स्वीकार न करने वाले स्वाभिमानी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवारों को सेनानी परिवारों की मान्यता देकर प्रमाण-पत्र देने, स्वतंत्रता सेनानी की मान्यता देने वाले 1980 की नियमावली में संशोधन करके केंद्र तथा राज्य सरकारों के स्वतंत्रता सेनानियों की असमानता की खाई को पाटने तथा स्वतंत्रता सेनानी परिवारों की समस्याओं के समाधान के लिए गृह मंत्रालय एफ.एफ.आर. डिवीजन के अधिकारियों के साथ सेनानी संगठन के पदाधिकारियों की एमिनेंट कमेटी की तरह त्रैमासिक बैठक निर्धारित करने जैसे बिंदुओं को शामिल किया गया है।
           
संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार सैनी ने सेनानी परिवारों को संबोधित करते हुए कहा कि यदि सरकार अभी भी हमारे प्रतिवेदन पर उचित कार्यवाही नहीं करती है तो देश भर के स्वतंत्रता सेनानी/ शहीदों के उत्तराधिकारी कोई समय निर्धारित करके विशाल अनिश्चितकालीन आंदोलन दिल्ली में करने के लिए बाध्य होंगे। आक्रोश सभा के उपरांत तिरंगा ध्वज लेकर भुजाओं में काली पट्टी बांधकर सभी सेनानी परिवारों ने पदयात्रा करते हुए पीएमओ तथा गृह मंत्रालय जाकर अपना प्रतिवेदन फिर से सरकार तक पहुंचाया तथा सभी बिंदुओं पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का अनुरोध किया। जंतर-मंतर में धरना स्थल पर श्री प्रेम कुमार शुक्ल द्वारा एक प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें आजादी के दीवाने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को स्मरण किया गया है।
         
देश के विभिन्न भागों से आए हुए सेनानी परिवारों को सेनानी उत्तराधिकारी प्रतिनिधि प्रेम कुमार शुक्ल, कपूर सिंह दलाल, अवधेश पंत, कमलेश पांडेय, सुरेंद्र बुटोला, मुन्नालाल कश्यप, रमेश कुमार मिश्र, इशरत उल्ला खान, किशन पाल, चन्द्र भान यादव, राजेश सिंह, सूर्य प्रकाश पांडेय, पवन सेठ, अरुण प्रताप सिंह, गजेंद्र प्रताप सिंह , गुरिंदर पाल सिंह, मोनोतोष दास, कमल चंद्र लहकर, रामचंद्र पिल्दे, विशाल सिंह सौदा, पं. मधुसूदन झा, शत्रुघ्न पाठक, ओम प्रकाश लाल, अशोक रायचा, कमल कुमार लहकर, द्विजेंद्र शर्मा, श्रीमती आशा टम्टा, शोभा बिष्ट, रमा दत्त जोशी, कालिंदी पाल ने भी संबोधित किया। आयोजन की सफलता में सर्वश्री अवधेश सिंह, सरदार परमिंदर सिंह, सरदार जसविंदर सिंह का सराहनीय योगदान रहा।
✒️ राम महेश मिश्र
स्वतंत्रता सेनानी परिवार प्रतिनिधि एवं 
अध्यक्ष, भाग्योदय फाउंडेशन
सम्पर्क - 9711196952