🙏 ॐ-नमः-शिवाय 🙏

- शिव पुराण पढ़ने के लाभ...
भगवान शिव को भोलेनाथ भी कहा जाता है और उनकी कृपा मात्र से भक्तों के कई कष्टों का निवारण हो जाता है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि शिव भगवान की महिमा से भरे शिव पुराण को पढ़ने से भक्तों को क्या लाभ प्राप्त होते हैं।
शिव पुराण का पाठ करने से व्यक्ति को भय से मुक्ति मिलती है।
इस पुराण का पाठ करने से व्यक्ति को भोग और मोक्ष दोनों की ही प्राप्ति होती है।
यदि आप अपने पापों से छुटकारा पाना चाहते हैं तो शिव पुराण का पाठ सबसे ज्यादा लाभकारी है।
सावन के महीने में शिव पुराण का पाठ करने से जीवन के सब दुखों से मुक्ति मिलती है।
शिव पुराण का पाठ करने से इंसान को मृत्यु का भय नहीं सताता और मृत्यु के बाद ऐसे व्यक्ति को शिव के गण लेने आते हैं।
मानसिक शांति की प्राप्ति के लिये भी शिव पुराण का पाठ किया जाता है।

- शिव पुराण पूजा विधि...
शिव पुराण का का पाठ और शिव भगवान की पूजा करने से पहले आपको नित्य कर्मों से निवृत होकर शुद्ध जल से स्नान करना चाहिये। इसके बाद पूजा स्थल पर भगवान शिव और पार्वति के साथ नंदी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करनी चाहिये। यदि घर में शिवलिंग है तो मिट्टी के पात्र में जल भरकर शिवलिंग का जलाभिषेक करना चाहिये और बेलपत्र, धतुरे के पुष्प, चंदन, चावल आदि शिवलिंग पर अर्पित करने चाहिये। इसके बाद शुद्ध मन से शिवपुराण का पाठ करना चाहिये और रात्रि जागरण करना चाहिये। शिवपुराण का पाठ यदि महाशिवरात्रि के दिन किया जाए तो व्यक्ति को कई परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

- शिव महापुराण का पाठ करते समय इन बातों का रखें ध्यान...
शिव पुराण का पाठ करने से पहले आपको कुछ सावधानियां बरतनी पड़ती हैं जिनके बारे में आज हम आपको बताएंगे। शिव पुराण का पाठ करके यदि आप भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो सबसे पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात है ब्रह्मचर्य का पालन। इसके साथ ही पाठ को शुरु करने से पहने आपको स्वच्छ जल से नहाना चाहिये और साफ-सुथरे कपड़े पहनने चाहिये। अपने नाखून-बाल आदि को भी साफ करना चाहिये। जब तक आप शिव पुराण का पाठ कर रहे हैं तब तक आपको भूमि पर सोना चाहिये। व्यर्थ की बातों में आपको समय नहीं बिताना चाहिये, ना ही किसी की बुराई करनी चाहिये और ना ही सुननी चाहिये। मांस-मदिरा का सेवन भी वर्जित है। कथा के संपन्न होने के बाद आपको शिव परिवार की पूजा करनी चाहिये।

- शिव पुराण का महत्व...
पूरे भारत वर्ष के साथ पूरी दुनिया में भगवान शिव के जितने भक्त हैं वो भगवान शिव से सुख और शांति की कामना करते हैं। भगवान शिव के भक्तों के लिये शिव पुराण का बड़ा महत्व है। इस पुराण में शिव भगवान की महिमा की गई है। इस पुराण में शिव जी को वात्सल्य, दया और करुणा की मूर्ति के रुप में महिमामंडित किया गया है। इस पुराण का पाठ करने से भक्तों के अंदर भी ऐसे ही गुणों का संचार होता है। यानि भक्तों का चरित्र भी भगवान शिव की ही तरह बनने लगता है। जो भक्त शिव पुराण का विधि पूर्वक पाठ करते हैं वो जीवन-मरण के चक्र से भी मुक्ति पा जाते हैं। इसलिये हिंदू धर्म में शिव पुराण को बहुत अहम माना जाता है।

- शिव पुराण में वर्णित ‘ॐ’ के जप का महत्व...
शिव पुराण में ‘ॐ’ के जप के महत्व को वर्णित किया गया है, इसे शिव का एकाक्षरी मंत्र भी कहा जाता है। जो भी व्यक्ति ‘ॐ’ का रोजाना 1000 बार जप करता है उसे कई चिंताओं से मुक्ति मिलती है। इस जप को करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और व्यक्ति की वाणी में तेज आता है। ‘ॐ’ का जप करने से कई रोगों से भी मुक्ति प्राप्त होती है। इसके अलावा शिव पुराण में यह उल्लेख भी मिलता है कि, ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र का प्रतिपादन भी स्वयं भगवान शिव ने भक्तों की भलाई के लिये किया था। यह मंत्र बहुत सूक्ष्म है लेकिन इसका जाप करने से बड़े से बड़ी मुश्किलें भी दूर हो जाती हैं।

- शिव पुराण में बताये गये मृत्यु से जुड़े राज...
महादेव को संसार का संहारक भी माना गया है। भगवान शिव से जुड़े शिव महापुराण में मृत्यु से पहले मिलने वाले कुछ संकेतों के बारे में बताया गया है। यदि किसी व्यक्ति के सिर पर कौवा बैठ जाए तो इसका यह अर्थ है कि जल्द ही उसकी मृत्यु होने वाली है। जिस व्यक्ति का बायां हाथ एक हफ्ते तक लगातार फडफड़ाए तो उसकी मृत्यु भी निकट मानी जाती है। हालांकि ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव की भक्ति करने से मनुष्यों को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है। जिस जातक की कुंडली में अल्पआयु का योग होता है उसे पंडितों द्वारा भगवान शिव की पूजा अर्चना करने की सलाह दी जाती है।

- शिव पुराण में जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें...
शिव पुराण में कई ऐसी शिक्षाएं दी गई हैं जिनका यदि कोई पालन करे तो कई समस्याओं से बच निकल सकता है। शिव पुराण में बताया गया है कि व्यक्ति को अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिये और इन्द्रियों को वश में करने की कोशिश करनी चाहिये। व्यक्ति को इच्छाओं और आवश्यकताओं में अंतर समझना चाहिये और उन इच्छाओं का त्याग कर देना चाहिये जिससे चरित्र की हानि होती हो।
शिव पुराण में बताया गया है कि मोह-माया में पड़कर इंसान अपने उद्देश्यों को कभी प्राप्त नहीं कर सकता, इसलिये व्यक्ति को मोह-माया के वशीभूत होकर नहीं रहना चाहिये। मोह और माया के बंधनों से व्यक्ति जब आजाद हो जाता है तो उसे परम ज्ञान की प्राप्ति होती है।
अपने चरित्र पर नियंत्रण रखने की भी शिव पुराण में सीख दी जाती है। साथ ही इसमें यह भी बताया गया है कि मनुष्य को मन वाणी और कर्मों से किसी को भी आहत नहीं करना चाहिये।
शिव पुराण में सत्य बोलना और सत्य का साथ देने की सीख भी मिलती है। शिव पुराण के अनुसार जब माता पार्वती भगवान शिव से पूछती हैं कि सबसे बड़ा धर्म क्या है तो भगवान शिव कहते हैं सत्य का साथ देना ही सबसे बड़ा धर्म है। अर्थात व्यक्ति को कभी भी असत्य के मार्ग पर नहीं चलना चाहिये। जो भी व्यक्ति आजीवन सत्य के मार्ग पर चलता है भगवान शिव उसे उन्नति अवश्य प्रदान करते हैं।
जो भी व्यक्ति भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहता है और जीवन से दु:ख-दरिद्रता को दूर करना चाहता है उसे शिव पुराण का पाठ अवश्य करना चाहिये। इस पुराण का पाठ करना आपको मानसिक और शारीरिक शांति प्रदान करता है।
🙏जय-जय-श्रीमहाकालजी🙏