बैतूल(हेडलाइन)/नवल वर्मा। सोनाघाटी से लगे चक्कर रोड पर भी मुरम के लिए पहाडिय़ों को छलनी किया जा रहा है। इस रोड से सांसद, विधायक, कलेक्टर, एसपी आदि सभी गुजरते है, लेकिन कोई भी इस बात पर ध्यान नहीं दे रहा है कि जिस तरह से पहाडिय़ों को छलनी किया जा रहा है, इसका दूरगामी दुष्प्रभाव होगा। सबसे बड़ी बात यह है कि वन भूमि से लगी निजी जमीन में यह सब खनन होना बताया जा रहा है। जहां पर खनन हो रहा है वहां सीमांकन किसने किया, खनन की अनुमति किसने दी? सबसे बड़ी बात यह है कि जो भूमि के स्वामी है वे निजी उपयोग में मुरम का उपयोग तो नहीं कर रहे है? वे मुरम बेच ही रहे है? ऐसी स्थिति में इसकी रायल्टी जमा हुई या नहीं? यदि रायल्टी जमा भी हुई है तो उसका वेल्यूवेशन कैसे हुआ है? इन तमाम सवालों को  लेकर माईनिंग अधिकारी से पूछा गया तो उनका कहना है कि किसी एक ने ली जरूर है, बाकी अन्य खनन को लेकर उन्हें मालूम नहीं!

- जिले में स्वीकृत एक भी मुरम की खदान नहीं है...
जिले में एक भी ऐसी स्वीकृत मुरम खदान हो जिसकी नीलामी होती हो। पूर्व में जरूर 2011-12 में रेत खदान के साथ मुरम खदान की नीलामी होती थी, लेकिन अब ऐसा हो ही नहीं रहा है। इसके बावजूद मुरम आसानी से उपलब्ध हो रही है?

- अवैध खनन की मुरम का ही सरकारी कामों में भी उपयोग...
जिले में सरकारी कामों में जो मुरम का उपयोग किया जा रहा है वह अवैध मुरम ही है। यह बात और हो सकती है कि जुगाड़ी की रायल्टी का उपयोग किया जाता हो। शहर में सोनाघाटी से ही अधिकांश मुरम सप्लाई होती है।

- माफिया कौन है सबको यह बात अच्छे से पता है...
सोनाघाटी क्षेत्र में मुरम का अवैध खनन करने वाला माफिया कौन है! यह बात खनिज विभाग से लेकर तमाम लोगों को पता है? खुलेआम दिनदहाड़े कौन अपनी जेसीबी-डम्पर से मुरम की सप्लाई सोनाघाटी से करता है। यह किसी से दबा छुपा नहीं है।
नवल वर्मा हेडलाइन बैतूल 02 जून 2023