इंदौर ।   कोरोना के पहले लाकडाउन के दौरान 2020 में गुटखा-सिगरेट तस्करी का मामला डायरेक्टोरेट आफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआइ) और डायरेक्टोरेट जनरल आफ जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीआइ) ने पकड़ा था। इंदौर को केंद्र बनाकर चल रहे तस्करी के इस मामले में डीजीजीआइ ने टैक्स चोरी का हिसाब निकाल लिया है। गुटखा निर्माण कर रहे और अन्य प्रदेशों में उसकी तस्करी कर रहे 27 लोगों पर कुल 13 हजार 78 करोड़ 43 लाख 50 हजार 773 रुपये का टैक्स और पेनाल्टी लगाकर चुकाने का आदेश दिया गया है। मई-जून 2020 में डीजीजीआइ ने आपरेशन कर्क के तहत कार्रवाई की थी। लगातार जांच के बाद अब टैक्स चोरी का हिसाब निकालते हुए बकाया राशि जमा करवाने का नोटिस संबंधित पक्षों को दिया गया है। सबसे ज्यादा 600 करोड़ से ज्यादा की टैक्स वसूली इंदौर की ट्रिपल ए इंटरप्राइजेस नामक कंपनी पर निकाली गई है। विजय कुमार नायर इसके कर्ताधर्ता है। इसी के साथ विष्णु एसेंस पर 441 करोड़ रुपये की वसूली निकाली गई है।अशोक कुमार डागा और अमित बोथरा इसके संचालक है। डीजीजीआइ ने इन सभी को अवैध रूप से गुटखा निर्माण वितरण का आरोपित बनाया है। इसके साथ बी अमहदाबाद और आनंद की कंपनियां पर भी सैकड़ों करोड़ की टैक्स चोरी निकाली गई है। उल्लेखनीय है कि आपरेशन कर्क में इससे पहले डीजीजीआइ सिगरेट तस्करी में भी 1900 करोड़ से ज्यादा की टैक्स चोरी पर डिमांड नोटिस जारी कर चुका है। इंदौर से सिगरेट और गुटखा निर्माण कर गुजरात और खासकर महाराष्ट्र भेजा जा रहा था। महाराष्ट्र में गुटखा प्रतिबंधित है ऐसे में वहां लाकडाउन और प्रतिबंध का फायदा उठाकर मनमानी कीमतों पर गुटखा बिकता था। डीआरआइ ने पहले गुटखा ले जा रही गाड़ी पकड़ी थी। पाकिस्तान मूल के संजीव माटा और संदीप माटा को पकड़ा इसके बाद आगे निशानदेही पर पूरे रैकेट का पर्दाफाश किया था।