आज रात करीब 3 बजे एक बड़े आकार का एस्टेरॉयड पृथ्वी के करीब से गुजरेगा। आकार में दुनिया की सबसे बड़ी बिल्डिंग बुर्ज खलीफा से भी बड़ा यह एस्टेरॉयड पृथ्वी से करीब 19 लाख किलोमीटर दूरी से गुजरेगा, जो पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की दूरी का लगभग 5 गुना है।

सुनने में भले ही यह दूरी बहुत ज्यादा लगती हो, लेकिन अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक, करीब छह लाख साल बाद पृथ्वी के इतने करीब से कोई इतना बड़ा एस्टेरॉयड गुजर रहा है। आखिरी बार जो एस्टेरॉयड इतना करीब से गुजरा था, उसके कारण पृथ्वी के तापमान में आए बदलाव को ही डाइनासोर्स के खात्मे का जिम्मेदार माना जाता है।

नेशनल एयरोनॉटिकल एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन यानी नासा ने 7482 (1994 PC1) नामक इस एस्टेरॉयड की लंबाई करीब 1 किलोमीटर यानी 3280 फीट बताई है। हालांकि नासा के मुताबिक, इससे धरती को कम खतरा है। लेकिन अगर एस्टेरॉयड अपना रास्ता बदल लेता है तो पृथ्वी के लिए खतरनाक साबित हो सकता है और भारी तबाही मच सकती है। पहली बार साल इस एस्टेरॉयड की खोज साल 1994 में की गई थी।

नासा ने ट्वीट कर दी जानकारी

नासा ने इस बात की जानकारी ट्विटर के जरिए शेयर की है। नासा ने ट्वीट में लिखा, "बेहत प्रसिद्ध एस्टेरॉयड 1994 PC1 (~1 किमी चौड़ा) आज पृथ्वी के सबसे निकट रहेगा। हमारे #PlanetaryDefense विशेषज्ञों द्वारा दशकों से इसका अध्ययन किया जा रहा है। निश्चिंत रहें, 1994 PC1 मंगलवार 18 जनवरी को हमारे प्लेनेट से 1.2 मिलियन मील दूरी से सुरक्षित रूप से उड़ान भरेगा।

नासा ने ट्वीट में इस एस्टेरॉयड को ट्रैक करने के लिए लिंक भी दिया है। इस ट्वीट के बाद लोगों के अंदर काफी उत्सुकता पैदा हो गई। इसके बाद अधिकांश लोगों ने नासा की वेबसाइट के माध्यम से एस्टेरॉयड को मॉनिटर कर रहे हैं।

एस्टेरॉयड की चमक अन्य ग्रहों व तारों से कम

एस्टेरॉयड की चमक शुक्र की चमक और आकाश में दिखाई देने वाले अन्य तारों की तुलना में कम है। वेबसाइट के अनुसार, 6 इंच या उससे बड़ा होम टेलीस्कोप एस्टेरॉयड का पता लगाने में मदद कर सकता है, लेकिन कोई बादल या प्रदूषण नहीं होना चाहिए। नासा ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि एस्टेरॉयड से पृथ्वी को कोई खतरा नहीं है।

नासा ने एस्टेरॉयड को मोड़ने का किया था प्रयास

पिछले साल नबंवर में एक एस्टेरॉयड की पृथ्वी से टकराने की संभावना जताई गई थी। तो वहीं, नासा ने पिछले साल एक एस्टेरॉयड को मोड़ने का पहला प्रयास किया था। ऐसा अनुमान है कि इसी साल 26 सितंबर और 1 अक्टूबर के बीच, डिमोर्फोस नामक एक छोटा चंद्रमा डार्ट से टकराएगा। इससे चांद के प्रक्षेपवक्र (trajectory) में मामूली बदलाव का अनुमान है।

नासा के अनुसार, ऐसा कोई एस्टेरॉयड मौजूद नहीं है, जो आने वाले 100 वर्षों के भीतर पृथ्वी से टकराने के जोखिम का प्रतिनिधित्व करता हो।

अमेरिकी अतंरिक्ष एजेंसी ने डार्ट मिशन लांच किया

मिली जानकारी के अनुसार, आज से करीब 89 साल पहले एक एस्टेरॉयड 7482 (1994 PC 1) धरती के सबसे पास से गुजरा था, जिसकी पृथ्वी से दूरी लगभग 11 लाख किलोमीटर बताई गई थी।

नासा की रिपोर्ट की मानें तो, 18 जनवरी 2105 को ये एस्टेरॉयड 7482 (1994 PC 1) धरती के करीब से गुजरेग। अमेरिकी अतंरिक्ष एजेंसी ने एस्टेरॉयड को धरती से टकराने से रोकने के लिए नई तकनीक की खोज में लगी हुई है। अभी पिछले साल यह एजेंसी ने डार्ट मिशन को लांच किया है।

क्या है एस्टेरॉयड?

एस्टेरॉयड एक प्रकार का उल्कापिंड या क्षुद्रग्रह होता है जो किसी ग्रह के निर्माण के समय में छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट जाते हैं और सूर्य के चारो ओर चक्कर लगाने लगते हैं। इसी टुकड़ों में से कोई एक टुकड़ा अपनी कक्षा से बाहर निकलकर पृथ्वी के करीब आ जाता है। ज्यादातर मौके पर ग्रहों की कक्षा में एस्टेरॉयड जल जाते हैं, लेकिन कई बार एस्टेरॉयड की टक्कर पृथ्वी से हो चुकी है