भोपाल : प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिये किसानों को प्रोत्साहित कराना जरूरी है। अपर मुख्य सचिव कृषि श्री अजीत केसरी ने आज मंत्रालय में रिजनरेटिव कृषि को स्थापित करने के लिये किसान-कल्याण तथा कृषि विकास विभाग और आईडीएच (इण्डिया) के बीच हुए एमओयू हस्ताक्षर के दौरान यह बात कही। संचालक कृषि श्रीमती प्रीति मैथिल और आईडीएच की ऑपरेशनल हेड जसमीर ढींगरा ने एमओयू पर हस्ताक्षर किये।

एसीएस श्री केसरी ने बताया कि एमओयू का मुख्य उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि एवं किसानों को प्राकृतिक खेती के लिये प्रोत्साहित करना है। प्राकृतिक खेती से वर्तमान में किये जा रहे रसायनों के उपयोग को नियंत्रित किया जा सकेगा। एमओयू अनुसार कार्यक्रम के लिए मार्च 2026 तक की अवधि निर्धारित की गयी है। एमओयू के मुख्य घटक प्रोडक्शन, संरक्षण और समावेश हैं। प्रोडक्शन में उत्पादकता बढ़ाना, फसल विविधिकरण, कृषकों के लिये जलवायु अनुकूल कृषि पर जोर दिया जायेगा। संरक्षण में मृदा स्वास्थ्य, जल-संरक्षण, प्रबंधन, जैव-विविधता एवं ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन में कमी लाने के लिए काम किया जायेगा। समावेश में आय में वृद्धि एवं आजीविका विविधिकरण, उत्पाद के लिये मूल्य श्रृंखला निर्माण एवं बाजार तक पहुँच और महिलाओं एवं समुदाय की सहभागिता सुनिश्चित करना है।

संचालक कृषि श्रीमती मैथिल ने बताया कि एमओयू में लॉड्स फाउंडेशन, डब्ल्यू.डब्ल्यू.एफ. और आई.डी.एच. मध्यप्रदेश के 9 जिलों के एक लाख किसानों के साथ मिलकर तीन लाख हेक्टेयर भूमि में रिजनरेटिव कृषि को स्थापित करने का कार्य करेंगे। उत्पादों के बेहतर विपणन के लिये इसे बाजार से जोड़ने की दिशा में भी काम किया जायेगा। छिन्दवाड़ा, झाबुआ, अलीराजपुर, रतलाम, धार, बड़वानी, खंड़वा, खरगोन और बुरहानपुर जिले में इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन अलग-अलग सहयोगियों के साथ मिलकर किया जाएगा।