(बैतूल) फसल अधिसूचित होने के बाद गिरदावरी पर पटवारी नहीं कर रहे,
- अपना और किसानों दोनों का नुकसान करवाने के बाद सरकार नहीं बदल रही पैटर्न
बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । कृषि मंत्री कमल पटेल ने करीब एक वर्ष पहले बैतूल कलेक्ट्रेट में की गई एक प्रेस कांफ्रेंस में दावा किया था कि अब फसल अधिसूचना का पैटर्न बदला जाएगा और गिरदावरी के बाद ही फसल अधिसूचित होगी, लेकिन उनके इस दावे के बाद फिर रबी सीजन में ठीक इसका उलटा हुआ है। बताया गया कि शासन ने  25 अक्टूबर को ही रबी सीजन के लिए फसलें अधिसूचित कर दी थी। वहीं गिरदावरी 15 दिसम्बर से शुरू हुई है जो 30 जनवरी तक चलेगी। हालांकि पटवारी यह गिरदावरी नहीं कर रहे हैं। 
जिस सारा एप के माध्यम से यह गिरदावरी होना उससे तमाम पटवारी लॉग आउट हो चुके है, इसलिए एक फीसदी भी 15 दिनों में गिरदावरी नहीं हुई है। पहले फसलें अधिसूचित होने और बाद में गिरदावरी होने से फसल बीमा में किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। इससे सरकार को भी नुकसान होता है। फिर भी सिस्टम नहीं बदल रहे।

- 569 में से 544 हल्कों को किया गया है फसलों के लिए अधिसूचित...
बिना गिरदावरी के ही जिले की 11 तहसीलों के 569 पटवारी हल्कों में से 547 हल्के अधिसूचित हो गए हैं! राजस्व विभाग के रिकार्ड के अनुसार बैतूल जिले में गेहूं, चना और राई, जौ की फसलों के लिए हल्का अधिसूचित किया गया, हालांकि बैतूल जिले में राई, जौ हल्का न्यूनतम है। अधिकतम रकबा गेहूं का है।

- 100 हेक्टेयर फसल होने पर उक्त क्षेत्र में अधिसूचित होती है फसल...
फसलों को अधिसूचित करने का जो पैरामीटर है उसमें नियम यह है कि जिस पटवारी हल्के में जो फसल 100 हेक्टेयर में बोई जाएगी उसे ही अधिसूचित किया जाएगा। चूंकि गिरदावरी में पूर्व सीजन की फसलों को आधार बनाकर अधिसूचना प्रकाशित होती है। इसलिए 100 हेक्टेयर वाला नियम भी सवालों के घेरे में है?

- फसल बीमा में किसान और सरकार दोनों का होता है नुकसान...
बिना गिरदावरी के ही फसल अधिसूचित करने से फसल बीमा में सबसे तगड़ा नुकसान होता है। फसल का बीमा कर्ज के आधार पर होता है। सोसायटी और बैंक किसान द्वारा लिए गए कर्ज में प्रीमियम काटकर बीमा कंपनी को देती है। फसल अधिसूचित नहीं होने पर मुआवजा नहीं मिलता। जबकि प्रीमियम में किसान और सरकार दोनों का पैसा जाता है।

- जिओ टैग करने से पटवारियों का इंकार, नहीं कर रहे गिरदावरी...
शासन ने गिरदावरी के लिए 15 दिसम्बर से 30 जनवरी तक का समय तय किया है, लेकिन अब तक पटवारियों ने गिरदावरी ही शुरू नहीं की है। इस बार गिरदावरी में सारा एप के माध्यम से प्रत्येक खसरे के खेत को ऑनलाईन जिओ टैग करना है। पटवारियों का कहना है कि यह व्यवहारिक रूप से सही नहीं है इसमें लंबा समय लगेगा। इसलिए प्रांतीय नेतृत्व के आदेश पर सभी पटवारी सारा एप से लॉग आउट हो गए हैं।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 01 जनवरी 2022