(बैतूल) पंचायती राज में जनपद सीईओ, एपीओ एई और इंजीनियर का वेतन होल्ड..!,
- मांग आधारित मनरेगा बैतूल जिले में टारगेट बेस हो गई..?
बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । वैसे मनरेगा मांग आधारित योजना है , लेकिन अब यह बैतूल जिले में टारगेट बेस योजना हो गई है। जिला पंचायत सीईओ ने मजदूरों की संख्या न बढऩे को लेकर हाल ही में एक बैठक ली और इस बैठक में मौजूद जनपद सीईओ, एपीओ, इंजीनियर आदि की जमकर ख्ंिाचाई की और इसके बाद करीब आधा दर्जन इंजीनियर को कारण बताओ नोटिस भी जारी करने के आदेश दिए। वहीं जनपद सीईओ, एपीओ और इंजीनियर का वेतन होल्ड करने के लिए भी निर्देशित किया है। जिला पंचायत सीईओ अभिलाष मिश्रा लगातार मजदूर बढ़ाने और काम पूरा करने के लिए दबाव बना रहे है। उसका नतीजा भी आंकड़ों में नजर आ रहा है, लेकिन जो मैदानी अमला है उसका कहना है कि जिला पंचायत सीईओ की व्यवहारिक कठिनाईओं को समझते नहीं है और एकदम कार्रवाई का चाबुक चलाने लगते है। 
फिलहाल मनरेगा में चल रहे है चालीस हजार मजदूर                            
30 दिसम्बर की स्टेटटस रिपोर्टस के अनुसार जिले में 39 हजार 970 मजदूर मनरेगा में चल रहे है। यह आंकड़ा यह आंकड़ा एक सप्ताह पहले 30 हजार के आसपास था, लेकिन पिछले तीन दिनों में मजदूरों की संख्या बढ़ी है। फिलहाल सबसे ज्यादा मजदूर 6 हजार 685 घोड़ाडोंगरी जनपद की पंचायतों में चल रहे है।
एक महीने में चार हजार से ज्यादा काम पूरे होने का रिकार्ड                 
मनरेगा की जिले की निर्माण कार्यो की स्टेटटस रिपोर्ट बताती है कि दिसम्बर माह में करीब 4 हजार काम पूरे हुए और उनकी सीसी जारी हुई है। जहां 1 दिसम्बर को पूरे हुए कामों की संख्या 7 हजार 352 थी वही 29 दिसम्बर को यह आंकड़ा 11 हजार 434 पर पहुंच गया था। इस तरह एक माह में करीब 4 हजार काम कम्पलीट हुए है।
मैदानी अमला अब लगातार दबाव को लेकर नजर आ रहा बैचेन           
बताया गया कि वर्तमान जिला पंचायत सीईओ की आक्रामक वर्किंग की वजह से जो मैदानी आमला है वह बैचेन नजर आने लगा है। जहां जिला पंचायत सीईओ जनपद सीईओ, एपीओ, इंजीनियर आदि पर कार्रवाई का दबाव बनाते है और यह अधिकारी पंचायतों से सचिव और रोजगार सहायकों पर दबाव बनाते है।
मनरेगा में मजदूर न मिलने का कारण  जिला पंचायत सीईओ भी जान चुके            
बताया गया कि करीब एक सप्ताह पहले जिला पंचायत सीईओ पंचायतों का निरीक्षण करने गए थे। खंडारा में मजदूरों से उन्होंने स्वयं चर्चा की थी। इस चर्चा में मजदूरों ने उन्हें बताया था कि मनरेगा में 193 रूपये मिलते है और यह पैसा भी लेट लतीफ आता है। जबकि वह गन्नाबाड़ी काटने जाते है तो इससे ज्यादा पैसा मिलता है और नगद मिलता है। इसलिए सोमवार की बैठक में सीईओ ने इस बात को लेकर तंज भी किया था।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 02 जनवरी 2022