(बैतूल) श्रीराम रेसीडेंसी अवैध होने से एमपीईबी भी नहीं दे रही स्थाई बिजली कनेक्शन , - लोगों को महंगी बिजली का करना पड़ रहा उपयोग
(बैतूल) श्रीराम रेसीडेंसी अवैध होने से एमपीईबी भी नहीं दे रही स्थाई बिजली कनेक्शन ,
- लोगों को महंगी बिजली का करना पड़ रहा उपयोग
बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । मोती वार्ड चक्कर रोड स्थित श्रीराम रेसीडेंसी में जिन्होंने मकान बनाए हैं वे उस घड़ी को कोस रहे हैं जब उन्होंने यहां पर कालोनाईजर या उनके एजेंटों की लच्छेदार बातों या सब्जबाग के झांसे में आकर प्लॉट खरीदे थे। प्लॉट खरीदने के बाद न तो यहां पर नगरपालिका मकान के नक्शे स्वीकृत कर रही है और न ही एमपीईबी स्थाई बिजली कनेक्शन देने को तैयार है? इसलिए अब उन्हें अस्थाई कनेक्शन लेकर महंगी बिजली का उपयोग करना पड़ रहा है। कालोनी के लोगों का कहना है कि उन्हें तो पता ही नहीं था कि यह कालोनी अवैध है। उन्हें तो यही बताया गया था कि इस कालोनी में हर तरह की अनुमति प्राप्त है किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जब प्लॉट खरीदने के बाद मकान बनाने की प्रक्रिया शुरू की तो समझ आया कि सब सफेद झूठ था। इस श्रीराम रेसीडेंसी कालोनी को लेकर यह तो स्पष्ट हो चुका है कि नगरपालिका, टीएनसीपी ने अपनी भूमिका का ठीक से निर्वहन नहीं किया है। केवल राजनैतिक प्रभाव और प्रशासनिक पकड़ के दम पर यह कालोनी उग आई है। जो कि रिकार्ड के अनुसार अवैध है।
- एक कनेक्शन से कई घरों में उजाला...
यहां पर मीटर कनेक्शन नहीं मिलता, एमपीईबी देने को तैयार नहीं होती। इसलिए हालत यह है कि यहां पर एक अस्थाई कनेक्शन लेकर 5 से 6 घरों के लोग अपने घर में उजाला कर रहे है। जैसे शुभम लोखंडे के घर में अस्थाई कनेक्शन लिया गया और उसके बगल के करीब आधा दर्जन मकान में यहां से कनेक्शन लेकर बिजली का उपयोग किया जा रहा है। जो दर है वह सामान्य दर से ज्यादा है। इसलिए हर महीने एक-एक मकान वालों को 3 से चार हजार रूपये का बिजली बिल भुगतान करना पड़ रहा है।
- खेत से लेनी पड़ी उधार बिजली...
इस कालोनी में कुछ मकान तो ऐसे है जहां पर उधार में बिजली लेकर लोगों को गुजर बसर करना पड़ रहा है। बताया गया कि धंजल के मकान में किराए से रहने वाले रूपेश पोहेकर जो कि बोरगांव में शिक्षक हैं उन्होंने पड़़ोस के खेत से उधार में बिजली ली जिसका वे हर महीने किराया चुकाते है। इसी तरह उनके पड़ोसी है उमेश कुमार जो कॉलेज नौकरी करते है उन्होंने भी बताया कि उन्हें भी उधार की बिजली से काम चलाना पड़ रहा है, क्योंकि यहां पर कोई कनेक्शन ही नहीं दिया जा रहा है। उन्हें तो यह भी नहीं पता कि कालोनी अवैध है।
- कम्पलीट सर्टिफिकेट न होने का नतीजा...
जब तक किसी भी कालोनी में कम्पलीट सर्टिफिकेट नही होगा उसे न तो नगरपालिका अनुमति देगी न बैंक लोन देगा और न ही बिजली कंपनी स्थाई कनेक्शन देगी। यह सर्टिफिकेट तब मिलता है जब कालोनी में वे तमाम मूलभूत सुविधाएं होती है जो कि अनिवार्य है। यह सर्टिफिकेट टीएनसीपी और नगरपालिका जारी करती है। इस कालोनी में जारी नहीं हुआ। इसका मतलब यह कालोनी अवैध है। लोगों को सब्जबाग दिखाकर और झूठे दावे कर प्लॉट बेच दिए गए है। जिन लोगों ने प्लॉट खरीदा उन्होंने कहीं से भी यह कन्फर्म नहीं किया कि इनके पास कौनसी अनुमति है और कौनसी नहीं।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 10 जनवरी 2022