(बैतूल) खुशखबरी : गढ़ा जलाशय भी नवम्बर 2023 में बनकर हो जाएगा तैयार, 
- अगले रबी सीजन में घोघरी, मेंढा  वर्धा और निरगुड़ से भी होगी सिंचाई..!
बैतूल (हेडलाईन)/ नवल-वर्मा । बैतूल जिले में पिछले पांच वर्ष में स्वीकृत और बनने वाले डेम आर्थिक क्रांति लाने वाले साबित होंगे। इन जलाशयों की वजह से बड़े पैमाने पर सिंचाई का रकबा बढ़ेगा वहीं पेयजल के लिए भी दायरा बढ़ेगा। इससे भूजल स्तर पर निर्भरता कम होगी। पिछली भाजपा सरकार के आखरी दौर में जिन जलाशयों को स्वीकृति मिली थी और भूमिपूजन सहित टेंडर आदि की जो प्रक्रिया होने के बाद काम शुरू हो गया था वे तमाम जलाशय अब निर्माण के आखरी दौर में है। जल संसाधन विभाग की जो रिपोर्ट है उसके मुताबिक कम से कम चार जलाशय ऐसे हैँ जो अगले रबी सीजन में सिंचाई के लिए भरपूर पानी उपलब्ध कराएंगे। क्योंकि इन जलाशयों का काम लगभग आखरी दौर में है और संभावना है कि नवम्बर 2022 तक इनका काम पूरा हो जाएगा। इन जलाशयों की वजह से करीब 30 हेक्टेयर में सिंचाई का रकबा बढ़ेगा और करीब-करीब डेढ़ सौ से ज्यादा गांवों को पेयजल के लिए पानी की उपलब्धता भी बढ़ेगी।

- नवम्बर 2022 में तैयार हो जाएंगे मेंढा, घोघरी, वर्धा, निरगुड़...
जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार ताप्ती पर बन रहे घोघरी परियोजना , मेंढा परियोजना और वर्धा नदी पर बन रहे जलाशय सहित निरगुड़ जलाशय आगामी रबी सीजन में खेतों को पानी उपलब्ध कराने लगेंगे। इन जलाशयों से लगभग 30 हजार हेक्टेयर में सिंचाई का रकबा बढ़ जाएगा। जल संसाधन विभाग का दावा है कि नवम्बर 2022 में यह डेम पूरी तरह से तैयार हो जाएंगे और आगामी बारिश में इनमें जलभराव होगा। 

- अभी पारसडोह जलाशय से 1151 हेक्टेयर में हो रही है सिंचाई...
ताप्ती नदी पर ही बने पारसडोह जलाशय में पाईप लाईन सिस्टम से हो रही सिंचाई में वर्तमान में उसकी क्षमता 19 हजार 758 हेक्टेयर में से प्रथम चरण में 1151 हेक्टेयर में सिंचाई के लिए पानी मिलने लगा है। वहीं अप्रैल 2022 से 8 हजार 274 हेक्टेयर में और सिंचाई के लिए पानी मिलने लगेगा। इस परियोजना में सिंचाई के लिए जमीन पर नहर नहीं बनाई जा रही है बल्कि प्रेशर पाईप सिस्टम का उपयोग किया जा रहा है। जिससे पानी का वेस्टेज नहीं होगा।

- 19 नई परियोजनाओं के लिए भी टेंडर की प्रक्रिया हो चुकी...
जिले में करीब 11 हजार 710 हेक्टेयर में सिंचाई का रकबा बढ़ाने के लिए पिछले डेढ़ वर्ष में करीब 23 डेम को प्रशासकीय स्वीकृति दी गई थी और इनमें से 19 परियोजनाओं के लिए निविदा भी लगा दी गई है। बताया गया कि इसमें से एक परियोजना करीब 3 हजार हेक्टेयर रकबे के साथ मध्यम आकार की है। वहीं 22 परियोजनाएं लघु आकार की है। जिसमें से 8710 हेक्टेयर में सिंचाई होगी। आने वाले तीन वर्ष में यह परियोजनाएं भी पूरी होगी।

- गढ़ा डेम भी नवम्बर 2023 में बनकर हो जाएगा तैयार...
लगातार विवादों के कारण लंबित होते चला आ रहा है गढ़ा जलाशय को लेकर जल संसाधन विभाग की जो तैयारी है उसमें यह डेम आगामी नवम्बर 2023 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस डेम से 8 हजार 500 हेक्टेयर में सिंचाई होगी और इसकी निर्माण लागत 30752 लाख रूपये है। फिलहाल इस जलाशय में भू-अर्जन की कार्रवाई चल रही है जिसमें अवार्ड पारित हो चुका है।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल  17 फरवरी 2022