(बैतूल) चिचोली के निकट श्रीतपश्री आश्रम मे आज भी महाशिव रात्री पर बाबा के अनुयायियों का उमड़ता है जन सैलाब, -
(बैतूल) चिचोली के निकट श्रीतपश्री आश्रम मे आज भी महाशिव रात्री पर बाबा के अनुयायियों का उमड़ता है जन सैलाब,
- संत की तपोभूमि से प्रकट हुई है पाँच नदियां...
प्रकृति के बीच काजल , भाजी , गंजाल, मोरण और खान्डू का उदगम स्थल है श्रीतपश्री आश्रम
बैतूल /चिचोली(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । बैतूल जिले में चिचोली तहसील मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर सुदूर वनांचल क्षेत्र झापल का श्रीतपश्री आश्रम प्राकृतिक , धार्मिक एवं अध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है ।
सागौन के वनों से अच्छादित इस आश्रम के निकट पॉच नदियों का उद्गम स्थल है । इस धार्मिक स्थान का वृतात सदियों से ही नही इससे भी आगे युगो मे भी वर्णित है । इस स्थान के बारे मे मान्यता है कि इस दुर्गम स्थल पर कपिल मुनि ने भी तप किया था ।
मान्यता यह भी है कि इस तपोभूमि पर तपस्या मे लीन कपिल मुनि ने अपने चिमटे की चोट से पहाड़ के शिखर पर पानी के कुंड को प्रकट किया था । इस स्थान पर आज भी यह कुंड विद्यमान है । जिसमे भीषण गर्मी मे भी निर्मल और स्वच्छ जल भरा रहता है ।
कालान्तर मे यहाँ प्रसिद्ध संत श्री तप श्री बाबा ने भी तप कर सिद्धियां प्राप्त की थी । कहते है कि सन्त के तप के प्रभाव से इस प्राकृतिक और दुर्गम स्थान पर विचरण करने वाले हिंसक प्राणी भी अपनी हिंसक प्रवृति छोड़कर सामान्य हो जाते थे । श्रीतपश्री बाबा ने इस पॉच नदियों के स्थान पर वर्षों तक कठोर साधना की ।
इस स्थान से निकलने वाली पाँच नदियों मे काजल , गंजाल, मोरण , भाजी और खांडू शामिल है, जो अपने कल-कल प्रवाह से इस क्षेत्र के जीवन को अनगिनत वर्षों से पल्लवित करते चली आ रही है ।
श्री तपश्री बाबा को मनाने वाले अनुयायियों के अनुसार श्रीतपश्री आश्नम मे तप करने के बाद बाबा ने चिचोली के निकट वीरान पड़े सोनपुर मे अपना आश्रम स्थापित किया था । वृत्तांत है कि संत के कदम पड़ते ही वीरान सोनपुर मे पुनः एक बार मानवीय चहल पहल आबाद हो गई ।
- चिचोली के निकट श्रीतपश्री आश्रम मे आज भी महाशिव रात्री पर बाबा के अनुयायियों का उमड़ता है जन सैलाब...
प्रतिवर्ष यहाँ चिचोली के निकट श्रीतपश्री आश्रम मे आज भी महाशिवरात्री पर बाबा के अनुयायियों का जन सैलाब उमड़ता है ।
श्रीतपश्री आश्रम के निकट पाँच नादियो के उदृगम स्थल के साथ ही यह स्थान पहाडों और सागौन सहित अन्य प्रजाति के वृक्षो से आज भी अच्छादित है । यहाँ पर पहुचकर प्राप्त होने वाले आध्यामिक सुकून की कल्पना भी नही कि जा सकती है।
झापल के श्री तपश्री आश्रम मे जिस स्थान पर बाबा ने वर्षो तपस्या की थी। आज भी इस स्थान पर एक आध्यामिक और ईश्वरीय ऊर्जा को महसूस किया जा सकता है ।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 02 मार्च 2022