(बैतूल) : विश्व महिला दिवस विशेष : - आरती ने अपने हुनर से सैकड़ों महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
(बैतूल) विश्व महिला दिवस विशेष :
- आरती ने अपने हुनर से सैकड़ों महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
बैतूल (हेडलाईन)/नवल-वर्मा । नारी समाज की वास्तविक शिल्पकार होती है। इस वाक्य को जिले की एक आदिवासी महिला ने चरितार्थ कर दिया है । आरती बारस्कर महिलाओं के लिये एक मिसाल है , आरती ने सैकड़ों महिलाओं को अपना हुनर अपनी कला सिखाकर शिल्पकार बना कर उन्हें स्वरोजगार के लिये तैयार किया है ।
बैतूल जिला मुख्यालय से 11 किमी दूर खेड़ीसावलीगढ़ की रहने वाली आरती ने 2005 में अखबार में हस्त शिल्प प्रशिक्षण की खबर को पढ़कर अपने पिता की प्रेरणा से प्रशिक्षण लिया और पति शंकर बारस्कर ने इसे पूरा करने में भरपूर सहयोग किया। फिर क्या था आरती कभी नहीं रुकी वे लगातार अपने आसपास की महिलाओं को फ्री ट्रेनिंग प्रदान करती गई । उन्होंने बेल मेटल, शिल्प कला, पीतल व अन्य सामग्री से प्राचीन काल जैसी मूर्तिया, घरेलू साज सज्जा का सामान, पेंटिग ,सिलाई कढ़ाई इत्यादि चीजे सैकड़ों महिलाओं को न केवल बनाना सिखाया बल्कि उसे बेचकर लाभ का व्यवसाय करना भी सिखाया आरती ने जिले की लगभग 250 महिलाओं को निःशुल्क प्रशिक्षित किया है और आज वे महिलाएंआत्मनिर्भर बनी हैं। इसके साथ ही पैरो से दिव्यांग व्यक्ति राजकुमार भुसुमकर को भी अपनी कला का प्रशिक्षण देकर दक्ष किया यही नहीं उसके आवागमन को सुगम बनाने के लिये शासन से उसे ट्रायसाइकिल भी दिलवाने में भी मददगार बनी आरती अभी कई दिव्यागों को प्रशिक्षण देने की तैयारी कर रही हैं । आरती ने स्वंय 2006 तक प्रशिक्षण प्राप्त कर हस्तशिल्प हथकरघा विभाग बैतूल से अपना पंजीयन करवाया था, उन्होंने पुनः वर्धा के महात्मा गांधी ग्रामीण ओधोगिकरण संस्थान से भी प्रशिक्षण लिया , आरती व प्रशिक्षित महिलाओं ने वर्ष 2009 , 2012 , 2014, 2016 में भोपाल हाट, आदिरंग आदिशिल्प , ममत्व मेले भोपाल में सम्मानित हो चुकी हैं तत्कालीन बैतूल कलेक्टर शशांक मिश्रा भी 2018 में आरती को सम्मानित कर चुके हैं। इन सब के बावजूद वे आज मायूस व हताश है सिस्टम व हस्तशिल्प विभाग की कार्यप्रणाली से उन्हें जरूरी सूचनाएं नहीं मिलती हैं उनकी व उनके सहयोगियों कीअनदेखी की जाती है शिल्पकारों की कोई कद्र नही हैं। उनकी सरकार से विनम्रतापूर्वक मांग हैं कि मात्र एक दिन औपचारिता पूर्ण करने के लिए महिला दिवस न मनाया जाय बल्कि महिलाओं की स्वरोजगारी पर थोड़ा भी ध्यान दिया गया ,उन्हें शासन से कुछ सुविधाएँ मिल जाए तो वे और अधिक गति से आगे बढ़ेंगी।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 08 मार्च 2022