(बैतूल) प्रीमियम काटा सोयाबीन का और पोर्टल पर दर्ज करा दी मक्का, अब उलझ गया किसानों का क्लेम,

- सोमवार और मंगलवार शाम को कलेक्टर ने बैंकर्स के साथ की माथापच्ची

बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । जिले में सैकड़ों किसान ऐसे हैं जिन्होंने प्रीमियम तो चुकाया, लेकिन उन्हें फसल बीमा क्लेम नहीं मिल रहा है। इसकी दो वजह बताई जा रही है। पहली वजह यह है कि जिन बैंकों ने किसानों का प्रीमियम काटा उन्होंने उसकी प्रविष्टि फसल बीमा कंपनी के पोर्टल पर नहीं कराई। वहीं दूसरी वजह यह है कि किसानों का प्रीमियम तो जमा हुआ, लेकिन खसरे में जो फसल थी वह गलत दर्ज हो गई। किसान ने सोयाबीन की फसल बोई थी और पता लगा कि पोर्टल पर मक्का दर्ज है या मक्का बोई थी तो सोयाबीन दर्ज हो गया।  पोर्टल पर इस तरह का हेड बदल जाने के कारण खरीफ 2020 में जिन किसानों की फसल का नुकसान हुआ था उन्हें क्लेम नहीं मिल पा रहा है। इसी मामले को लेकर जिला पंचायत सीईओ ने माथा पच्ची की थी और फिर सोमवार तथा मंगलवार को बैंकर्स के साथ कलेक्टर ने भी करीब ढाई से तीन घंटे तक लगातार इसमें सुधार को लेकर समीक्षा की और बैंकर्स को निर्देश दिए, साथ ही चेतावनी दी कि क्लेम नहीं मिला तो बैंक जिम्मेदार होगी और उनसे वसूली होंगी।

- सीएम हेल्प लाईन में भी फसल बीमा को लेकर है शिकायतें दर्ज...

बताया गया कि बैंकर्स की गलती या पोर्टल में फसल दर्ज न होने की वजह से जिन किसानों को बीमा क्लेम नहीं मिला है उन्होंने सीएम हेल्प लाईन पर भी शिकायतें दर्ज कर रखी है जिनका निराकरण नहीं हो पा रहा है। जो जानकारी है उसके अनुसार बैंक ऑफ महाराष्ट्र सातनेर, पाढर, मोरखा की एक-एक शिकायत दर्ज है। वहीं सांईखेड़ा द्वारा पोर्टल पर प्रविष्टि नहीं की गई इसको लेकर भी सीएम हेल्प लाईन पर शिकायत दर्ज है।

- हेड बदलने की सबसे ज्यादा शिकायतें बैंक ऑफ इंडिया आमला की...

हेड बदल जाने के कारण जिन किसानों को फसल बीमा क्लेम नहीं मिला है उनकी सबसे ज्यादा शिकायतें बैंक ऑफ इंडिया आमला शाखा की 1480 है। वहीं बैंक ऑफ इंडिया बैतूल की 190, पीएनबी आमला की 516, एक्सिस बैंक 44, बैंक ऑफ इंडिया शाहपुर 69 वहीं सेन्ट्रल बैंक सातनेर 145, बैंक ऑफ बडोदा 25, पीएनबी बैतूल 10, स्टेट बैंक चूनाहजूरी 29, देशावाड़ी 19, पीएनबी डहुआ 3 शामिल है। 

- यह गिरदावरी के पहले फसलें अधिसूचित करने का नतीजा...

यह जो समस्या आ रही है इसका मूल कारण यह है कि फसलें पहले अधिसूचित कर दी जाती है और बाद में गिरदावरी की जाती है। ऐसे में पिछले वर्ष की गिरदावरी रिपोर्ट के आधार पर प्रीमियम के साथ पोर्टल पर किसान का खसरा चढ़ा दिया जाता है इस स्थिति में यदि किसान ने अपनी फसल बदल ली है तो उसके पिछले वर्ष की फसल चढ़ा देने से उसे बीमा क्लेम मिलने के चांस ही खत्म हो जाते है। 

- बुधवार को कलेक्टर ने यह दिए बैंकर्स को निर्देश...

यदि नोडल बैंक शाखा पीएसीएस की गलती की वजह से किसान फसल बीमा के लाभ से वंचित रहता है तो संबंधित वित्तीय संस्था ऐसे किसानों के नुकसान की भरपाई करेगा। जिले में ऐसे मामले जहां भी सामने आए हैं वहां बैंक को क्षतिपूर्ति करनी पड़ेगी। अत: सभी बैंकर्स अपने ऐसे प्रकरणों को चिन्हित करने जो बीमा पोर्टल पर दिख नहीं रहा हो जिससे कि उसका निकाल किया जा सके। हेड बदलने के मामले में जो तकनीकी खामी हुई है उसके सुधार के लिए बीमा कंपनी से संपर्क करें।

नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 17 मार्च 2022