(बैतूल) फोरलेन निर्माण कंपनी बंसल की मनमानी को लेकर जिम्मेदार चुने हुए जनप्रतिनिधियों के मौन पर ग्रामीणों में छाई है निराशा ,
- अखतवाड़ा, डोक्या पाढर के ग्रामीणों का है खुला आमंत्रण : माननीय कृपया अब फोरलेन पर आईए
बैतूल (हेडलाईन)/नवल-वर्मा ।बैतूल-इन्दौर फोरलेन निर्माण कंपनी बंसल की मनमानी किसी से दबी छिपी नहीं है। किन्हीं अज्ञात कारणों से प्रशासनिक सिस्टम भी उनसे दबा हुआ नजर आता है। ऐसी स्थिति में जिले के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि विशेषकर सांसद और विधायक का मौन भी सवालों के घेरे में है? अभी हाल ही में अखतवाड़ा, डोक्यापाढर और खेड़ीसांवलीगढ़ के ग्रामीणों ने जिस तरह का प्रदर्शन किया था और जिस बात के लिए प्रदर्शन किया था वह जायज नजर आती है। यह बात संबंधित एसडीएम भी स्वीकार कर रही है, लेकिन इसके बावजूद बंसल कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है? जब प्रशासन कुछ करने से बचता है तो ऐसे में लोगों को उम्मीद रहती है कि जनप्रतिनिधि आगे आएं और उनकी आवाज को पुरजोर तरीके से उठाये पर ऐसा हो नहीं रहा है! इस बात से ग्रामीणों में खासी निराशा है। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि उनके जनप्रतिनिधि सड़क ठेकेदार बंसल कंपनी के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठा रहे हैं?

- यह है अखतवाड़ा, डोक्या पाढर और खेड़ीसांवलीगढ़ से जुड़ा मामला...
ग्रामीणों का आरोप है कि बंसल कंपनी ने उनके आने-जाने का मार्ग बंद कर दिया है। जिसकी वजह से निर्माणाधीन फोरलेन के ऊपर से आना-जाना पड़ रहा है। स्कूली बच्चों का आवागमन भी इसी फोरलेन से हो रहा है जिससे दुर्घटना का अंदेशा रहता है। फोरलेन निर्माण में जिस पुलिया का निर्माण किया जा रहा है वह 6 फीट ऊंची और 8 फीट चौड़ाई की पुलिया है। इतनी सकरी है कि यहां पर भविष्य में बार-बार जाम लगेगा। एक साथ दो बैलगाड़ी नहीं निकल सकती है।

- आवेदन-निवेदन को डस्टबिन में डालते रहे प्रशासनिक अधिकारी...
ग्रामीणों ने बताया कि इस मामले को लेकर उन्होंने 11 जनवरी को ही कलेक्टर को ज्ञापन दे दिया था। इसके बाद एसडीएम, तहसीलदार को भी अवगत कराया, लेकिन अज्ञात कारणों से प्रशासनिक अधिकारी चुप्पी साधे रहे। इसके बाद उन्होंने सड़क पर खड़े होकर सांकेतिक प्रदर्शन भी किया है। फिर उन्होंने जिला मुख्यालय आकर प्रशासन को अवगत कराया, लेकिन उनकी समस्या का कोई समाधान नहीं हो रहा है,जबकि एसडीएम भी मान रही है कि ग्रामीणों की मांग जायज है और वे एनएचआई से बात कर रही है।

- पब्ल्कि न्यूसेंस में सीआरपीसी, 1973 की धारा 133 में होता है मामला दर्ज...
किसी जिला मजिस्ट्रेट या किसी उपखण्ड मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किसी अन्य कार्यपालक मजिस्ट्रेट (तहसीलदार, नायब तहसीलदार, नगरीय कार्यपालक मजिस्ट्रेट आदि) को पुलिस अधिकारी की रिपोर्ट या अन्य व्यक्ति की शिकायत पर सूचना मिलती है तब मजिस्ट्रेट निम्न प्रकार के आदेश जारी कर सकता है इन मामलों में.... 
1 . किसी पब्लिक प्लेस या मार्ग, नदी, तालाब आदि जो जनता द्वारा विधिपूर्वक उपयोग में लगी जाती है वहां कोई विधि-विरुद्ध बाधा उत्पन्न हो उसे हटा देना।
2 . कोई ऐसा व्यापार या उपजीविका चलाना जिससे आम नागरिकों को परेशानी उत्पन्न हो रही है ऐसे व्यापार को हटवा देना।
3 . कोई ऐसा विस्पोटक पदार्थ जिससे भवन, मकान आदि में आग लगने की संभावना हो उसका हटवाना या उसके क्रय-विक्रय पर रोक लगवाना।
4 . कोई जर्जर भवन, पानी की टंकी, पुराने कुआं, नदी के ब्रिज की बाउंड्री, कोई वृक्ष आदि गिरने वाला है जिससे आम व्यक्ति को संकट उत्पन्न होने की संभावना है तब मजिस्ट्रेट उनको हटवा सकता है या मरम्मत करवा सकता है या टेके (आलम्ब) लगवा सकता है जैसा वह ठीक समझे।
5 . कोई ऐसा भयानक जीव-जंतु जिससे लोगों को संकट उत्पन्न हो तब ऐसे जन्तुओं को नष्ट करवाना, पकड़ कर अन्य स्थान पर छोड़ देना आदि करवा सकता है। अगर कोई व्यक्ति ऐसे जीवजंतुओं द्वारा व्यापार करता है तब उसको ऐसे व्यापार को बंद करने का आदेश दिया जा सकता है।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल  22 मार्च 2022