(बैतूल) बिना एफसीए के निर्माण करना कलेक्टर के लिए भी बन सकता है आफत! , - सूखाढाना के औद्योगिक क्षेत्र में जंगल की तलाश में वन विभाग और राजस्व का अमला
(बैतूल) बिना एफसीए के निर्माण करना कलेक्टर के लिए भी बन सकता है आफत! ,
- सूखाढाना के औद्योगिक क्षेत्र में जंगल की तलाश में वन विभाग और राजस्व का अमला
बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । आमला विधायक डॉ. योगेश पंडाग्रे के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट सूखाढाना औद्योगिक क्षेत्र पर ग्रहण लगना तय माना जा रहा है। वजह यह है कि डीएफओ पुनीत गोयल ने इस औद्योगिक क्षेत्र के लिए जरूरी एफसीए कराने को लेकर सजगता नहीं दिखाई और उसके बगैर ही वह जमीन जिला प्रशासन ने उद्योग विभाग को ट्रांसफर कर दी। इसके बाद वहां पर लघु उद्योग निगम निर्माण कार्य कराने लगा, जबकि यह जमीन छोटे-बड़े झाड़ जंगल मद में दर्ज है। खसरे के कालम 12 में भी यह स्पष्ट नजर आता है। मामला जब उठा तो वन विभाग ने उद्योग विभाग से जानकारी मांगी, लेकिन उद्योग विभाग के जीएम रोहित डाबर सही और तथात्मक जानकारी देने की जगह भ्रामक तथ्यों से अवगत करा रहे है। इस स्थिति को देखने के बाद तहसीलदार घोड़ाडोंगरी, आरआई, पटवारी सहित वन विभाग के एसडीओ और रेंजर ने रविवार को सूखाढाना औद्योगिक क्षेत्र का मौका मुआयना किया। यदि अभी भी उद्योग विभाग सही जानकारी नहीं देगा तो वन विभाग राजस्व रिकार्ड के अनुसार अपना प्रतिवेदन देगा। ऐसी स्थिति में जमीन ट्रांसफर करने वाले कलेक्टर के लिए भी समस्या खड़ी हो सकती है।
- रेंजर ने जीएम को लिखा आप जांच में सहयोग नहीं करना चाह रहे...
जिला उद्योग केन्द्र के जीएम को रेंजर सारनी द्वारा 5 मार्च को पत्र लिखकर खसरा क्र 13/1, रकबा 18.601 हेक्टेयर को लेकर जानकारी मांगी गई थी। उद्योग विभाग के जीएम द्वारा 1 माह का समय हो जाने के बावजूद यह जानकारी वन विभाग को उपलब्ध नहीं कराई है। ऐसी स्थिति में रेंजर ने स्पष्ट शब्दों में पुन: लिखा है कि आप जांच में सहयोग नहीं करना चाहते यह प्रतीत हो रहा है।
- तीन दिन के अंदर जीएम से जानकारी उपलब्ध कराने के लिए कहा...
रेंजर ने जीएम जो पत्र लिखा है वह आप दे नहीं रहे है भ्रामक जानकारी दे रहे है। रेंजर का कहना है कि उक्त खसरे के संबंध में यह जानकारी देना है कि वन संरक्षण अधिनियम 1980 के अंतर्गत वन भूमि व्यपवर्तन की अनुमति प्राप्त की है या नहीं? जो पत्र 8 मार्च को लिखा गया था उसमें बताया गया था कि ऑनलाईन पोर्टल पर प्रदर्शित कॉलम 12 में यह जमीन छोटे-बड़े झाड़ जंगल में दर्ज है।
- पीसीसीएफ ने सीसीएफ से जांच प्रतिवेदन में मांगी थी जानकारी...
पीसीसीएफ सुनील अग्रवाल ने सीसीएफ बैतूल को पत्र लिखकर उसमें बताया था कि कलेक्टर बैतूल द्वारा खसरा क्रमांक 13/1 बड़े झाड़ की जंगल मद की भूमि महाप्रबंधक जिला उद्योग केन्द्र को हस्तांतरित की गई है। उक्त भूमि वन अधिनियम की धारा 4 में अधिसूचित हो गई है तथा पूर्व में भी वन विभाग के सर्वे डिमारकेशन में शामिल रही है। इसलिए इस जमीन को लेकर जांच कर प्रतिवेदन भेजा जाए।
- मामला हाईकोर्ट गया तो कलेक्टर के लिए बढ़ सकती है मुसीबत...
इस मामले को कलेक्टर ने टीएल में शामिल कर रखा है, लेकिन जो लोग वन भूमि और वन कानून को जानते समझते है उनका मानना है कि बिना एफसीए के वन भूमि पर निर्माण करना वन अपराध की श्रेणी में आता है। ऐसे में यदि कोई हाईकोर्ट में रिट पिटीसन फाईल करता है तो इससे उद्योग विभाग के अलावा जमीन हस्तांतरित करने वाले कलेक्टर के लिए भी समस्याएं बढ़ सकती है। यह सब यदि हो रहा है तो इसके लिए वे अधिकारी जिम्मेदार हैं जिन्होंने कलेक्टर को तथ्यों से अवगत नहीं कराया।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 04 अप्रैल 2022