(बैतूल) करूणा हॉस्पिटल में अवैध चल रही थी सोनोग्राफी मशीन,अब जाकर स्वास्थ्य विभाग को आया होश..! ,
- सीएमएचओ ने मशीन जब्त कर कोतवाली में दर्ज कराई एफआईआर ,
- बड़ा सवाल : - क्या स्वास्थ्य विभाग अस्पताल और नर्सिंग होम की कभी नहीं करता जांच
बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । करूणा हॉस्पिटल मामले में बैतूल में संचालित हॉस्पिटल, नर्सिंग होम और डिस्पेेंसरी को लेकर स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली को उजागर करने का काम किया है। करूणा हॉस्पिटल में कोई आजकल से सोनोग्राफी मशीन नहीं चल रही है। फिर क्या कारण है कि जब वहां का गंदा खेल उजागर हुआ, एफआईआर दर्ज हुई तब स्वास्थ्य विभाग को होश आया कि वहां सोनोग्राफी मशीन चलती है और वो भी अवैध चलती है? अब ऐसी स्थिति में बड़ा सवाल यह है कि स्वास्थ्य विभाग को कब-कब नर्सिंग होम और निजी अस्पताल का निरीक्षण करना चाहिए? उक्त अस्पताल या नर्सिंग होम नियमों के तहत चल रहे है या नहीं इसकी निरीक्षण रिपोर्ट बनाई जाती है या नहीं? यह तमाम सवाल बताते है कि जिले में स्वास्थ्य विभाग नामचीन अस्पताल और नर्सिंग होम को लेकर विशेष जांच पड़ताल कभी नहीं करता? लोगों का तो दावा है कि यदि नियमों के अनुसार जांच हो जाए तो लगभग सब पर ताला लग जायेगा? खैर अब सोनोग्राफी मशीन जब्त कर ली है तो सवाल यह है कि इसे चला कौन रहा था!?!
बैतूल में अवैध गर्भपात मामले में कलेक्टर अमनबीर सिंह बैंस के निर्देश पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एके तिवारी की अध्यक्षता में जांच टीम गठित की गई थी। जिसके सदस्य डॉ. एके तिवारी, प्रभारी जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एनके चौधरी, तहसीलदार प्रभात मिक्षा, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रतिभा रघुवंशी, प्रभारी जिला प्रशिक्षण अधिकारी श्रीमती मधुबाला शुक्ला ने करूणा हॉस्पिटल का निरीक्षण किया था।
 इस दौरान वहां पर एक अवैध सोनोग्राफी मशीन पाई गई थी जिसे स्वास्थ्य विभाग ने जब्त कर लिया है। मिली जानकारी के अनुसार बिना अनुमति के क्रय की सोनोग्राफी मशीन बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के इस मशीन का धोखाधड़ी कर क्रय किया गया था। प्रतिबंधित होने के बावजूद भी इस मशीन पर 439 महिलाओं की सोनोग्राफी कर गर्भधारण एवं प्रसव एवं निदान तकनीकी (लिंग चयन प्रतिषेद अधिनियम एवं नियम 7 में गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीकी (6 माह मासिक प्रशिक्षण) 2014 एवं गर्भ का चिकित्सीय समापन अधिनियम 1971 एवं नियम 2003 का उल्लंघन) किया गया है।
अवलोकन पर कोतवाली थाना में आरोपी डॉ. वंदना घोघरे (कापसे) करूणा अस्पताल के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 420 एवं गर्भ चिकित्सीय समापन अधिनियम 1971 के नियम 3, 4, 5, 6 का उल्लंघन करना एवं गर्भ धारण पूर्व प्रसूति पूर्व निधान तकनीकि (लिंग चयन प्रतिषेध अधिनियम) (पीसीपीएनडीटी एक्ट) 1994 की धारा 23 के तहत दण्डनीय पाए जाने से प्रकरण पंजीबद्ध कर जांच में लिया गया है।
गौरतलब है कि अवैध गर्भपात के मामले में करूणा अस्पताल की संचालक डॉ. वंदना कापसे के खिलाफ आमला थाने में मामला पंजीबद्ध किया गया था। गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश करने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया था। इसी के बाद स्वास्थ्य विभाग की जांच में अवैध सोनोग्राफी का मामला सामने आया जिसको लेकर सीएमएचओ डॉ. एके तिवारी ने कोतवाली थाना बैतूल में एफआईआर दर्ज कराई है। इसी के साथ स्वास्थ्य विभाग ने सोनोग्राफी मशीन बनाने वाली कंपनी और वेंडर को भी नोटिस भेजे हैं।
उक्ताशय में स्वास्थ्य विभाग के सीएमएचओ डॉ. एके तिवारी ने बताया कि किसी भी सोनोग्राफी सेंटर पर सोनोग्राफी केवल पंजीकृत मशीन से किए जाने की अनुमति होती है। सोनोग्राफी सेंटर संचालक इसके अतिरिक्त किसी मशीन को बिना स्वीकृति के ना खरीद सकता है और ना ही बेच सकता है और ना ही उस मशीन से सोनोग्राफी कर सकता है। अगर नियमों का उल्लंघन करते कोई भी पाया जाएगा तो उसके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाता है।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 15 अप्रैल 2022