(बैतूल) झिरिया का पानी पीने को मजबूर बोडी़ के बच्चे
(बैतूल) झिरिया का पानी पीने को मजबूर बोडी़ के बच्चे
बैतूल (ईएमएस)/नवल-वर्मा । जिला मुख्यालय के समीप ग्राम बोडी़ में जल संकट गहराया हुआ है। यह गांव भी विकास से कोसों दूर हैं। वही गंभीर जल संकट से निपटने के लिए पंचायत प्रशासन व पीएचई विभाग भी गंभीर नहीं है। ग्राम बोड़ी के स्कूलढाना एवं गौलीढाना के 50 परिवार के लोगों के लिए एकमात्र हैंडपंप है। इस क्षेत्र में दिनाें दिन जलस्तर में गिरावट के कारण लोगों को पीने के पानी का संकट गहराता जा रहा है। शासन प्रशासन द्वारा पेयजल की व्यवस्था नहीं करने पर गांव के लोगों में विरोध दिखने लगा है।
- चार माह से बंद पडा़ है हेडपंप...
ग्रामवासियों का आरोप है कि चार माह पूर्व स्कूल के पास लगे इस हेडपंप में मोटर डालने का कार्य ठेकेदार द्वारा किया जा रहा था। मोटर के साथ-साथ हेडपंप भी लगना था परंतु कार्य के दौरान ठेकेदार के मजदूरों ने हेडपंप में पाइप गिरा दिया। जिससे कि पेयजल का एकमात्र बोर बेकार हो गया। जब से आज पर्यंत तक वह हैंडपंप वैसा ही है।
- लगभग 50 परिवार मजबूर हैं झिरिया का पानी पीने को...
बोड़ी के स्कूलढाना एवम गौलीढाना के 50 परिवार सहित स्कूल में अध्ययनरत बच्चे, हैंडपंप बंद होने से झिरिया का पानी पीने को मजबूर है। इनके साथ-साथ बंदर, गाय, भैंस, पशु-पक्षी आदि भी इसी झिरिया पर ही निर्भर है।
- विभाग के कर्मचारी धमकाते हैं 181 पर शिकायतकर्ताओं को...
ठेकेदार की लापरवाही से खराब हुए इस हेडपंप की 181 पर शिकायत करने पर पीएचई विभाग के कर्मचारी गांव वालों को धमकाकर शिकायत वापस लेने लगाते हैं। पेयजल संकट के प्रति सरकार की उदासीनता और विभागीय अनदेखी बेहद चिंताजनक है।
दूसरे बोर खनन की है दरकार सांसद-विधायक से...
एक तरफा मतदान करने वाला बोड़ी ग्राम जलसंकट से जूझ रहा है। इस गांव में पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था सरकारी स्तर पर होना चाहिए। सरकार और जिला प्रशासन द्वारा हर गांव में पेयजल सुविधा मुहैया कराने का दिया गया आश्वासन भी खोखला साबित हो रहा है।
नवल-वर्मा-ईएमएस-बैतूल 19 अप्रैल 2022