(बैतूल) 100 पशु धन होने पर ही आहार की राशि देने का फंसाया पेंच, - गौशालाओं में गौवंश भूखा मर जाए इसका पुख्ता इंतजाम करने में लगे हैं आईएएस अभिलाष मिश्र
(बैतूल) 100 पशु धन होने पर ही आहार की राशि देने का फंसाया पेंच,
- गौशालाओं में गौवंश भूखा मर जाए इसका पुख्ता इंतजाम करने में लगे हैं आईएएस अभिलाष मिश्र
बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । भाजपा के राज में गौवंश का अपना बड़ा राजनैतिक महत्व है, लेकिन बैतूल जिले में गौवंश पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। यह गौवंश निजी गौशालाओं वाला है। जिला पंचायत सीईओ के एक तुगलकी फरमान को लेकर गौशाला संचालकों ने कटाक्ष करते हुए कहा कि जिला पंचायत के सीईओ आईएएस अभिलाष मिश्र इस बात का पूरा पुख्ता इंतजाम कर रहे है कि गौशालाओं का गौवंश भूखा मर जाए। गौशाला संचालकों ने यह कटाक्ष इसलिए किया कि गौवंश के चारे-भूसे के लिए जो राशि शासन से मिलती है, उस पर एक अजीबो-गरीब नियम के तहत जिला पंचायत सीईओ ने हाल फिलहाल रोक लगा रखी है। बताया जा रहा है कि जिला पंचायत सीईओ के इस तरह के तौर तरीकों को लेकर सत्तापक्ष के नेता भी असहज महसूस कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि गौशाला संचालकों ने आमला विधायक डॉ योगेश पंडाग्रे से भी संपर्क किया था, लेकिन उनकी जो प्रतिक्रिया थी उससे ऐसा लग रहा था कि उनका कोई जोर या तो जिला पंचायत सीईओ पर नहीं चल रहा है या फिर वे जिला पंचायत सीईओ को कुछ कहना नहीं चाहते?
- शासन से राशि आ गई पर गौशालाओं को मिल नहीं पा रही? क्योंकि साहब का फरमान है...
शासन से पशु चिकित्सा विभाग को गौशालाओं को देने के लिए आहार की राशि मिल चुकी है। इस राशि के वितरण के लिए कलेक्ट्रेट में मीटिंग भी हो चुकी है। जिसमें राशि का वितरण किया जाना था। अब ऐसी स्थिति में जिला पंचायत सीईओ अभिलाष मिश्र ने एक पेंच फंसा दिया। उन्होंने यह नई शर्त जोड़ दी कि राशि केवल उन्हीं गौशालाओं को दी जाएगी। जिसमें कम से कम पशु धन की संख्या 100 होना चाहिए। वहीं यदि सरकारी गौशालाओं में यदि संख्या 10 से 15 की भी हो तो उन्हें राशि दी जा रही है। सरकार ने कोरोना काल में भी निजी गौशालाओं को राशि का आवंटन किया, लेकिन इस बार यह पेंच लगा दिया जा रहा। जबकि गौशालाओं के रजिस्ट्रेशन के लिए 50 गौवंश का होना जरूरी होता है। यदि 100 गौवंश पर ही राशि दी जाना है तो 50 पर रजिस्ट्रेशन ही नहीं किया जाना चाहिए। यह नया नियम कहां से आया? कैसे आया? इसको लेकर पशु चिकित्सा विभाग के पास भी कोई ठोस जवाब नहीं है? उसने जिला पंचायत सीईओ द्वारा बताए गए नियम को लेकर मप्र गौसेवक संघ एवम् गौ सेवा आयोग को पत्र लिखकर परामर्श मांगा है। अब ऐसी स्थिति में सवाल यह है कि जिसके यहां 98 गाय होगी तो भी राशि नहीं मिलेगी। यदि 101 हो गई तो राशि मिल जाएगी। गौशाला संचालकों का कहना है कि यह तुगलकी नियम है। वर्षों से वे गौशाला चलाते आ रहे हैं। पहली बार ऐसा हो रहा है कि इस तरह का अचानक नियम बता दिया गया है। इसका कोई ग़जट नोटिफिकेशन या आदेश की प्रति भी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है? इसलिए लग रहा है कि यह आदेश जिला पंचायत सीईओ का है?
- अगर अभी भूसे-चारे का इंतजाम नहीं हुआ तो फिर आगे मिलेगा नहीं...
यही वह सीजन होता है जब पशु पालक भूसे-चारे का इंतजाम करके रखता है। क्योंकि गेहूं कटाई के बाद ही भूसा उपलब्ध हो पाता है। ऐसे में गौशाला संचालकों का कहना है कि अभी यदि नहीं खरीदा तो आगे बहुत महंगी कीमत में भूसा खरीदना पड़ेगा? इसका जिम्मेदार कौन होगा? वैसे ही अब तो भूसे के रेट मनमाने हो चुके है? बैतूल से महाराष्ट्र और इंदौर की तरफ भूसा खरीदकर ले जाया जाता है वैसे ही यहां किल्लत होने लगी है।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 21 अप्रैल 2022