(बैतूल) जब पत्रकारों की नैतिकता पर सवाल खड़े किए जाते हैं तो ये सोचना जरूरी है कि हर पेशे में गिरावट है : प्रो संजय व्दिवेदी,
- समाज के सभी वर्गों में गिरावट आई है। इसे सुधारने के लिए पत्रकारों से ही क्या उम्मीद की जा सकती है - राजेश बादल,
- ब्रम्हाकुमारी संस्थान के मीडिया सम्मेलन में देश के दिग्गज पत्रकारों के साथ जिले भर के पत्रकार जुटे,
- स्थानीय पत्रकारों का भी दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मान किया गया
बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । चाहे कोरोनाकाल हो या वर्तमान समय की अन्य चुनौतियां हों इन सभी का पत्रकारों ने डटकर मुकाबला किया है। इसके बाद भी जब पत्रकारों की नैतिकता पर सवाल खड़े किए जाते हैं तो ये सोचना जरूरी है कि हर पेशे में गिरावट है। जब पूरा समाज सुधरेगा तो मीडिया जगत से भी कमियां दूर होंगी। लेकिन एक बात की प्रशंसा की जानी चाहिए कि जिस तरह का संवाद आदिवासी जिले बैतूल में हो रहा है वैसे संवाद आमतौर पर महानगरों तक ही सीमित होते है। पत्रकारिता पर विचार विमर्श वास्तव में निचले स्तर पर होना चाहिए। लोकतंत्र जब जन सामान्य के बीच निचले स्तर तक जाता है तभी सफल होता है। हकीकत यह है कि राजधानियों में कोई सुनने तैयार नहीं है। असली भारत के दर्शन अब छोटी जगहों पर ही होते है जहां आज भी आंखों में लिहाज और रिश्तें बरकरार है। भारत की संस्कृति हमेशा ही समाधान को खोजने वाली रही है। हम प्रश्नों से घबराने वाले लोग नहीं है। हमारे यहाँ शास्त्रार्थ की परम्परा रही है।
 यह बातें भारतीय जनसंचार संस्थान नई दिल्ली के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने बडोरा (बटामा) स्थित ब्रम्हकुमारीज आश्रम के भाग्यविद्याता भवन में समाधान परक पत्रकारिता से समृद्ध भारत की और विषय पर आयोजित अखिल भारतीय मीडिया सम्मेलन में विचार गोष्ठी में व्यक्त की। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल, ब्रम्हाकुमारीज माउंट आबू के पीआरओ बीके कोमल, भोपाल विंग की मीडिया जोनल कोर्डिनेटर बीके डॉ रीना समेत जिले भर के पत्रकार मौजूद थे।
दोपहर लगभग 12 बजे शुरू हुए अखिल भारतीय मीडिया सम्मेलन एवं विचार संगोष्ठी की शुरूआत अतिथियों के स्वागत से हुई। ब्रम्हकुमारीज बैतूल की संचालिका मंजू बहन ने आए अतिथियों को पगड़ी और दुपट्टा ओढ़ाकर स्वागत किया। इस दौरान दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम की शुरूआत की गई। इस दौरान स्थानीय पत्रकारों का भी दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मान किया गया। 
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रो. द्विवेदी ने कहा कि 1991 के बाद भारत में सब कुछ बदल गया। उदारीकरण, भूमंडलीकरण जब लागू हुआ तो चमकीली प्रगति से भटकाव उत्पन्न हुआ। आज व्यक्ति को सब कुछ स्मार्ट चाहिए, लेकिन मनुष्य सिर्फ मनुष्य नहीं है उसके पास मन भी है और मन का विचार भी जरूरी है।
कई इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया से जुड़े वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने इस अवसर पर कहा कि आत्मा और परमात्मा का मिलन ही ध्यान है। यदि समाधान परक पत्रकारिता नहीं हो रही है तो इस आंदोलन को तेज करने की जरूरत है, क्योंकि हम भी इसी समाज का हिस्सा है। आज समाज के सभी वर्गों में गिरावट आई है। इसे सुधारने के लिए पत्रकारों से ही क्या उम्मीद की जा सकती है। हमने 60 साल पहले का हिन्दुस्तान |देखा आज वह हिन्दुस्तान नहीं रहा, सबकुछ बदल चुका है। उन्होंने कहा कि |पिछले 20 वर्षों से इतना अधिक बदलाव हुआ कि हमने अपने पूर्वजों से जो पाया अपनी संतानों को नहीं दे पा रहे है। इसके कुछ उदाहरण भी उन्होंने दिए। उन्होंने समाधान परक पत्रकारिता को लेकर कहा कि वर्तमान में मुश्किल दौर चल रहा है। मीडिया पर सवाल खड़े हो रहे है। ऐसे में समाधान परक पत्रकारिता की उम्मीद कैसे की जा सकती है। वरिष्ठ पत्रकार श्री बादल ने अध्यात्म के जरिए आत्मा में उर्जा का संचार करने की भी बात कही।
कार्यक्रम में मौजूद वरिष्ठ कर सलाहकार और चिंतक-लेखक राजीव खण्डेलवाल ने कहा कि लेखन कार्य का वास्तविक श्रेय मीडिया को ही जाता है, इसमें कोई शंका नहीं है। मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है। उन्होंने कहा कि मीडिया राजनीतिक और सामाजिक दिशा तय करने में निर्वहन कर रहा है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जिले में समस्याओं को उजागर करने के लिए पत्रकारों की भूमिका वास्तव में सराहनीय है। श्री खण्डेलवाल ने सेहरा के कुंजीलाल पर बनी पिपली लाईव फिल्म का उदाहरण देते हुए पत्रकारिता में कई अवसर की बात भी कही।
कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए ब्रम्हाकुमारीज माउंटआबू के पीआरओ बीके कोमल ने कहा कि समाधान कारक कार्यक्रम में कई चीजें मौजूद है। आज के समय में पड़ोसी, शुभचिंतक भी मुसीबत खड़ा कर देते हैं। समस्या हर जगह मौजूद है। समाधान परक पत्रकारिता से समृद्ध भारत की कल्पना की जा सकती है। उन्होंने कहा कि टीवी, अखबारों में जो चल रहा है किसी से छिपा नहीं है। जिले एवं छोटे क्षेत्रों में जो पत्रकारिता करते है उन्हें जो वेतन मिलता है उससे मोबाईल-पेट्रोल का खर्च भी नहीं निकलता। पत्रकारों के इन मुद्दों और इस हकीकत पर कोई बात नहीं करता। उन्होंने पत्रकारों की ओर इशारा करते हुए कहा कि आप लोगों की कोई नहीं सुन रहा। आज ग्रास रूट की समस्या पर कोई बात नहीं करता, कैसे हमको जिंदगी गुजारना है, दौलत एकत्रित करना ही समृद्ध होना नहीं है। यदि दौलत से समृद्धि होती तो रूस और यूक्रेन एक दूसरे के खून के प्यासे न होते। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में इज्जत और शोहरत दोनों मिलते है इन अवसरों का अपनी तरक्की के लिए उपयोग करें। खुद को इस तरह से बनाये कि पत्रकार रहे या न रहे सम्मान हमेशा मिलता रहे। आग लगाने वालों में नहीं आग बुझाने वालों में नाम शामिल होना चाहिए। उन्होनें ब्रम्हाकुमारीज द्वारा 25 वर्षों से पत्रकारों के लिए सम्मेलन आयोजित करने की जानकारी देते हुए माउंट आबू आने का न्यौता भी दिया।
भोपाल जोन की जोनल कोर्डिनेटर डा रीना ने सभी पत्रकारों के घरेलू तनाव और कोरोनाकाल की चुनौतियों की चर्चा की। डा रीना ने सभी पत्रकारों को राजयोगा मेडीटेशन भी कराया।
कार्यक्रम के आरंभ में सविता दीदी ने जहां ब्रह्माकुमारीज संस्था के बारे में विस्तार से बताया। वहीं संस्था की जिला प्रमुख मंजू दीदी ने सभी अतिथियों और पत्रकारों का स्वागत करते हुए कहा कि नया भाग्यविधाता भवन शिव बाबा के सभी बच्चों का है। प्रत्येक मीडियाकर्मी यहां कभी भी आ सकता है। यहां सभी का स्वागत है। कार्यक्रम के अंत में सुनीता दीदी ने सभी का आभार माना, वहीं कार्यक्रम का संचालन बीके नंदकिशोर ने किया।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल  24 अप्रैल 2022