(बैतूल) संघ बैतूल को अपनी प्रयोग शाला बना रही और धर्मांतरण के मुद्दे पर वह हिन्दू समाज को लामबंद करने के साथ-साथ मुखर बनाने की कोशिश कर रही है,
..और कांग्रेसी देख रहे हैं तमाशा..!
बैतूल (हेडलाईन)/ नवल-वर्मा ।धर्मांतरण के मुद्दे पर संघ अब बैतूल को अपनी प्रयोगशाला बना रहा है। इसका सबसे बड़ा नमूना शनिवार को जनजाति रैली के रूप में देखने में आया। इस रैली का हर जाति समुदाय द्वारा अलग-अलग जगह स्वागत किया गया। जिस ढंग से धर्मांतरण को लेकर हुंकार भरी गई वह प्रचंड हिन्दुत्व की हनक है। वहीं दूसरी ओर बैतूल को संघ की प्रयोगशाला बनता देखकर भी अपने आप को धर्मनिरपेक्ष बताने वाले राजनैतिक दल सहित संगठन और उसके नेता चुप्पी साधे हुए हैं।

आश्चर्यजनक यह है कि संघ का खुला और आक्रामक रूख देखने के बाद भी राहुल गांधी की कांग्रेस बैतूल में महज तमाशा देख रही है और एक तरह से सबकी बोलती बंद है। यह सब आने वाले समय में अल्पसंख्यक समुदाय को भी अच्छे से समझ आएगा कि कांग्रेस में उनसे वोट मांगने वाले ऐसे मौकों पर लापता हो जाते हैं।
 धर्मांतरित व्यक्तियों को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर करने के लिए हमें जमीन से लेकर संसद के गलियारे तक आखिरी दम तक लडऩा होगा। अपनी हक की लड़ाई के लिए हम सभी को घर से निकलना होगा, तभी हमें सफलता मिलेगी। यह आह्वान जनजाति सुरक्षा मंच के  मंगलदास ठाकुर ने न्यू बैतूल ग्राउंड मैदान बैतूल में आयोजित आमसभा में किया।

जनजाति सुरक्षा मंच के तत्वावधान में शनिवार को आयोजित इस आमसभा में जिले के सैकडों  गांवों से लगभग 10 हजार अनुसूचित जनजाति के लोगों ने भाग लिया। इनमें  महिलाएँ भी बडी संख्या में थी। मंगलदास ठाकुर ने कहा कि हमारे समाज के लोगों को प्रलोभन देकर कुछ विघटनकारी शक्तियां धर्मांतरित कर रही हैं। जिससे हमारी संस्कृति को तो खतरा है ही साथ ही इससे हमारे बच्चों का हक भी मारा जा रहा है। अपनी संस्कृति, आस्था, परंपरा को त्याग कर ईसाई या मुसलमान बन चुके लोग 80 प्रतिशत लाभ जनजाति समुदाय से छीन रहे हैं। धर्मांतरित होकर लोग दोहरा फायदा उठा रहे हैं। ऐसे सभी लोगों को जनजाति की सूची से हटाने की मांग को लेकर स्वर्गीय कार्तिक उरांव ने पहली बार 1966-67 में 235 सांसदों के हस्ताक्षर से युक्त ज्ञापन तत्कालीन प्रधानमंत्री को दिया था।

श्री उरांव ने पुन: इस मुद्दे को 1970 में उठाया। उस समय 348 सांसदों ने ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। किंतु इतने प्रबल समर्थन के बाद भी इस मुद्दे पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। उन्होंने कहा कि जनजाति सुरक्षा मंच इस मांग को लेकर लगातार पूरे देश में जनजागरण अभियान चला रहा है। सुरक्षा मंच ने पूर्व में भी सन 2009 में देशभर से 28 लाख लोगों का हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन तत्कालीन राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल को सौंपा था, लेकिन तब भी इस समस्या के निदान हेतु कोई कार्यवाही नहीं की गई। इसका मुख्य कारण था कि उस समय जनता अपने हक के लिए जागरुक नहीं थी, लेकिन आज जनजाति सुरक्षा मंच लोगों में चेतना लाने के लिए समाज के लोगों को प्रेरित कर रहा है। इसी का परिणाम है कि आज हजारों की संख्या में आप लोग यहां उपस्थित हैं। मुझे अब पूरी उम्मीद है कि जनता जनार्दन के सहयोग से निश्चित रूप से सफलता मिलेगी। उन्होंने कहा कि सुरक्षा मंच ने 2020 में स्व.कार्तिक उरांव के जन्मदिन से देशभर में व्यापक अभियान छेड़ा और देश के 288 जिलों में राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री के नाम जिला कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपे गए। 14 राज्यों में राज्यपालों तथा 7 राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी ज्ञापन दिए। श्री रवराडी ने कहा कि हम बिरसा मुंडा,राजा शंकर शाह, तंटया मामा के वंशज हैं। इन्होंने प्रताडि़त होने के बाद भी देश और धर्म विरोधी लोगों के सामने घुटने नहीं टेके। अपनी संस्कृति और धर्म के लिए इन्होंने अपनी जान न्योछावर कर दी। हम लोगों का भी कर्तव्य है कि हम विघटनकारी लोगों के प्रलोभन में आकर अपनी संस्कृति और धर्म को नहीं छोड़ें।


- जनजाति समाज के चार प्रतिशत लोगों ने किया धर्मांतरण...
जनजाति सुरक्षा मंच के मंगलदास ठाकुर ने बताया कि अब तक ईसाई व मुसलमानों ने प्रलोभन देकर जनजाति  समाज के करीब चार प्रतिशत लोगों को धर्मांतरित कर लिया है। अब ये धर्मांतरित लोग एक ओर जनजाति समाज को मिलने वाले आरक्षण सहित अन्य सुविधाओं को छीन रहे हैं तो दूसरी ओर हमारी संस्कृति को नष्ट कर रहे हैं।
- अपनी मांगों को लेकर निकाली डिलिस्टिंग महारैली...
धर्मांतरण करने वालों को आरक्षण सहित अन्य सुविधाओं से वंचित करने की मांग को लेकर जनजाति सुरक्षा मंच ने डिलिस्टिंग महारैली निकाली। जो ग्राउंड से प्रारंभ होकर लल्ली चौक से होते हुए बस स्टैंड शिवाजी चौक से कलेक्ट्रेट होते हुए सीमेंट रोड से पुन: न्यू बैतूल ग्राउंड पर समापन हुई। जहां लोगों ने नारे लगाये 'जो ना भोलेनाथ का, वो ना मेरी जाति का नारा लगाया। रैली के दौरान भी लोग तख्तियां और ध्वजा लेकर धर्मांतरण बंद करो, धर्म संस्कृति की रक्षा करो, धर्मांतरित जनजातियों का आरक्षण समाप्त हो-समाप्त हो, धर्म संस्कृति जो छोड़ेगा, आरक्षण वो खोएगा आदि नारे लगाते हुए चल रहे थे। 
आमसभा में जनजाति सुरक्षा मंच के लक्ष्मीनारायण, तिलकराज दाँगी, जिला संयोजक डॉ.महेन्द्र चौहान सहित अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में प्रस्तावना जनजाति सुरक्षा मंच के संयोजक डॉ महेंद्र सिंह चौहान ने रखी, मंच संचालन देवेंद्र धुर्वे ने किया व आभार राजू तुमड़ाम ने व्यक्त किया।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल  29 मई 2022