(बैतूल) जल संरक्षण को जन आन्दोलन बनाना होगा : मोहन नागर - पानी के लिये पसीना बहाकर मनाया विश्व पर्यावरण दिवस
(बैतूल) जल संरक्षण को जन आन्दोलन बनाना होगा : मोहन नागर
- पानी के लिये पसीना बहाकर मनाया विश्व पर्यावरण दिवस ,
- जामठी के तालाब में दो सौ श्रमदानियों ने श्रमदान से निकाली तीन ट्राली मिट्टी
बैतूल (हेडलाईन)/नवल-वर्मा । 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस पर वर्षाजल संरक्षण के लिए जामठी के तालाब का गहरीकरण किया गया । भारत भारती में चल रहे प्रशिक्षण में वर्षाजल संरक्षण हेतु विभिन्न जल संरचनाओं के निर्माण की विधियों का प्रशिक्षण कार्यकर्ताओं को दिया जा रहा है ।
आज विश्व पर्यावरण दिवस पर दो सौ से अधिक श्रमदानियों ने प्रातः डेढ़ घण्टा पानी के लिये पसीना बहाया । कार्यकर्ताओं व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से आये श्रमदानियों ने तालाब से तीन ट्राली से अधिक मिट्टी निकालकर तालाब का गहरीकरण किया । इस हेतु कार्यकर्ता सूर्योदय के पूर्व ही गैंती-फावड़ा लेकर श्रमदान स्थल पर पहुँचे तथा डेढ़ घण्टा सामूहिक श्रमदान कर दुनियाँ को सन्देश दिया कि पानी रोकने के लिए पसीना बहाना ही होगा ।
भारत भारती व विद्या भारती एकल विद्यालय के द्वारा आयोजित इस श्रमदान में जनजाति शिक्षा के राष्ट्रीय सह संयोजक बुधपाल सिंह ठाकुर, गंगावतरण अभियान के संयोजक जल प्रहरी मोहन नागर, जनजाति शिक्षा के प्रान्त संयोजक रूपसिंह लोहाने, तरुण भारती संस्था राजेश भदौरिया, सुधीर वाघमारे, भारत भारती आईटीआई के प्राचार्य विकास विश्वास, जिला प्रमुख राजेश वर्टी, बाजीराम यादव, पूरनलाल परते सहित एकल विद्यालय के शिक्षक, आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के श्रमदानियों ने सहभागिता की ।
इस अवसर पर बुधपाल सिंह ठाकुर ने वर्षाजल संरक्षण के गीतों के माध्यम से श्रमदानियों का उत्साह बढ़ाया । पर्यावरण दिवस के बारे में श्रमदानियों को सम्बोधित करते हुए मोहन नागर ने कहा कि भारत सहित आज सम्पूर्ण विश्व जल संकट से जूझ रहा है । जनसंख्या के अनुपात में जल की निरंतर कमी हो रही है । वर्षाजल संरक्षण के पर्याप्त प्रयास नहीं होने से भूमिगत जल के भण्डार सूख रहे हैं । इसके लिए शासन-प्रशासन के साथ जनभागीदारी आवश्यक है । घर का पानी घर में, गाँव का पानी गाँव में, खेत का पानी खेत में, पहाड़ का पानी पहाड़ में रोकने के लिए व्यक्तिगत व सामुहिक स्तर पर विभिन्न छोटी-बड़ी जल संरचनाओं का निर्माण करना होगा । जिसमें वर्षाजल ठहरकर धरती के पेट में जाये ।
श्री नागर ने कहा कि हम पिछले दो दशक से यह कार्य कर रहे हैं । अब जल संरक्षण के इस कार्य को जन आन्दोलन बनाना होगा । विश्व पर्यावरण दिवस पर हमें इसका संकल्प करना होगा । अन्त में आभार रूपसिंह लोहाने ने माना ।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 05 जून 2022