(बैतूल) अब तक एफआईआर न होने से जल संसाधन विभाग पर उठ रहे सवाल,
- गढ्डे भरकर बंसल का गुनाह छिपाने की हो रही है कोशिश
बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । चिचोली के गोधना डेम में जो कर्मकाण्ड हुआ उस पर पर्दा डालने के लिए अथक प्रयास हो रहे हैं। यह मामला लगातार सुर्खियों में  न रहे इसके लिए मीडिया मैनेजमेंट भी किया गया है। वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक स्तर पर भी मामले को सेटल करने के लिए जो हो सकता है वह किया जा रहा है और इसी प्रयास में बंसल कंपनी से ही उसके द्वारा डेम में किए गए अवैध खनन के निशान मिटवाए जा रहे हैं। जलसंसाधन विभाग स्वयं मान रहा है कि जो खनन किया है उससे डेम के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है जो गढ्डे भरे जा रहे हैं उसमें भी इस बात की गारंटी नहीं है कि खतरा टल जाएगा। ऐसी स्थिति के बावजूद अब तक बंसल कंपनी और उसके डायरेक्टर पर एफआईआर न होना कई सवालों को जन्म दे रहा है।

- नेचूरल फीलिंग न होने से खतरा रहेगा बरकरार...         
भले ही जल्दबाजी में बारिश के पहले गढ्डे भरने का काम किया जा रहा है, लेकिन जिस पैमाने पर यह अवैध उत्खनन हुआ है उसको देखते हुए यह तमाम कोशिश बहुत ज्यादा सफल होगी इसकी कोई संभावना नहीं है। जल संसाधन विभाग के ही एक आला अधिकारी का कहना है कि जो नेचूरल फीलिंग है वह हो ही नहीं पाएगी ऐसे में पानी सीपेज होने का खतरा पूरा है।

- अब तक अवैध उत्खनन का वेल्यूवेशन ही नहीं...          
पूरे मामले में खनिज विभाग की भूमिका जगजाहिर है। उसकी इस भूमिका को देखते हुए ही यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या कारण है कि अभी तक वहां पर हुए अवैध खनन का मेजरमेंट होने के बावजूद वेल्यूवेशन ही नहीं किया गया। यदि कोई और आम आदमी ऐसा खनन करता तो खनिज विभाग अब तक करोड़ों रूपये का जुर्माना प्रस्तावित कर केस कलेक्टर कोर्ट में फाईल कर देता।

- गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है जल संरचना को नुकसान पहुंचाना...
जिस तरह से गोधना जलाशय में बंसल कंपनी घुसी वहां अवैध उत्खनन किया, जल संरचना को नुकसान पहुंचाया। उसके आधार पर यह गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। जो जानकार है उनका कहना है कि शासकीय संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, जल संरचना को क्षतिग्रस्त करने, शासकीय संपत्ति परिसर में जबरन घुसने आदि धाराओं में यह अपराधिक प्रकरण थाने में दर्ज होना चाहिए।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल  19 जून 2022