(बैतूल) चुनाव सिर्फ जीत हार तक सीमित नहीं रहते बल्कि अपने पीछे कई कहानियां छोड़कर जाते हैं, - वार्ड के चुनाव में शराब, पैसे के अलावा भी बहुत से फेक्टर हैं , - लाजवाब लोकतंत्र ...
(बैतूल) चुनाव सिर्फ जीत हार तक सीमित नहीं रहते बल्कि अपने पीछे कई कहानियां छोड़कर जाते हैं,
- वार्ड के चुनाव में शराब, पैसे के अलावा भी बहुत से फेक्टर हैं ,
- लाजवाब लोकतंत्र ...
बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । चुनाव आते हैं और चुनाव हो जाते हैं, लेकिन वे भी अपने पीछे पदचिन्ह छोड़ जाते हैं। यह पदचिन्ह राजनीति में आने वाले समय की नई दिशा दिशाएं तय करती है और भावी राजनीति का स्पष्ट संकेत भी देती है। वार्ड के छोटे चुनाव हो या विधानसभा के बड़े चुनाव सबके साथ अपनी-अपनी कहानियां जुड़ी हुई है और यह कहानियां आंकड़ों से निकलकर आती है तो कहीं संस्कृति और सभ्यता का भान कराती है तो कहीं चौंकाने वाली होती है तो कहीं पर यह राजनैतिक दांव पेंच का फार्मूला बताती है। बैतूल नगरपालिका के चुनाव में इस तरह की कई तरह की कहानियां बिखरी पड़ी है। इनमें से कुछ चर्चित कहानियां है।
- कहानी 01...
विजय जसूजा तीनों पोलिंग पर हारे पर चुनाव जीत गए
शहर के गणेश वार्ड में मुकाबला कांटे का था और इस कांटे के मुकाबले में कुछ वोटों से भाजपा के विजय जसूजा चुनाव जीत गए। इस चुनाव में वार्ड के तीन पोलिंग थे। तीनों पोलिंग पर विजय जसूजा अपने निकटतम प्रतिद्वंदी से पीछे रहे, लेकिन इसके बाद भी वे फाईनल में चुनाव जीत गए। जहां वे दो पोलिंग पर कांग्रेस के प्रत्याशी अमित थारवानी से पीछे रहे वहीं तीसरी पोलिंग में वे शिवसेना के प्रत्याशी से पीछे रहे, लेकिन यहां पर कांग्रेस का प्रत्याशी दोनों से बहुत पीछे रहा और जसूजा जीत गए।
- कहानी 02...
नफ्फा की जीत गंगा-जमूनी तहजीब की जीत...
तिलक वार्ड का मुकाबला भी कांटे का था और यहां पर कांग्रेस के नफीस खान नफ्फा तीन वोट से जीत गए। उनकी जीत भी कम हैरत का विषय नहीं है। क्योंकि तिलक वार्ड में जो वोट है उसके अनुसार 1250 हिन्दू वोटर बताए गए। वहीं 1070 मुस्लिम वोटर हैं। जो वोट डले उसमें हिन्दू वोटर साईड से करीब 906 वोट डले और मुस्लिम वोटर साईड से करीब 900 वोट डले और इसमें मुस्लिम समुदाय से तीन प्रत्याशी मैदान में होने के बाद भी नफ्फा चुनाव जीत गए। वजह यह थी कि हिन्दुओं के वोट भी नफ्फा को मिले।
- कहानी : 3...
कुन्बी समाज का रिवर्स गियर कांग्रेस को पड़ गया भारी...
यदि जातिगत समीकरणों के हिसाब से देखा जाए तो इस चुनाव में कुन्बी समाज का रिवर्स गियर लगा और इसका नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ा और इतना उठाना पड़ा कि जमुना पंडाग्रे तक हार गई। वजह यह है कि जो कांग्रेस में कुन्बी समाज का जो नेतृत्व हैं उसकी लगातार अनदेखी की जा रही है उससे समाज में नाराजगी है।
- कहानी : 4...
मुस्लिम वोटर्स ने फाईनल कांग्रेस की लाज बचा ली...
यदि कांग्रेस के 10 पार्षद जीते उम्मीदवार और उनके वार्ड के समीकरणों को ध्यान से देखा जाए तो उसमें कम से कम 7 से 8 वार्ड ऐसे हैं जहां पर मुस्लिम मतदाताओं ने कांग्रेस के उम्मीदवारों को जीत की स्थिति में लाकर खड़ा किया। इन वार्डो में चार अल्पसंख्यक वार्ड के अलावा रामनगर, जाकिर हुसैन, शास्त्री, गांधी भी शामिल है।
- ऑफ द रिकार्ड स्टोरी : जेल से भी चुनाव की जीत-हार होती है तय...
एक वार्ड के चुनाव में जेल से भी चुनाव के परिणामों पर असर डालने की बात अब कहानियों में सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि घुमन्तू प्रजाति वाले एक डेरे के बॉस ने जेल से मैसेज कराया कि अमुक प्रत्याशी के लिए लामबंद हो जाओ। नतीजा यह रहा कि उक्त डेरे के तमाम लोगों ने रसद पानी लेने के बाद एक तरफा पोलिंग की और नतीजे में इतिहास बदल गया। यहां पर जेल का फरमान चुनाव में जीत-हार का ट्रम्प कार्ड बन गया।
नवल-वर्मा-हेडलाईन 20 जुलाई 2022