(बैतूल) सुनील शर्मा और राकेश शर्मा की कमलनाथ से मिलने की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रवक्ता हेमंत पगारिया को पद से हटाने का आर्डर वायरल हुआ, - बलि का बकरा...बेचारा बाबू..!
(बैतूल) सुनील शर्मा और राकेश शर्मा की कमलनाथ से मिलने की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद प्रवक्ता हेमंत पगारिया को पद से हटाने का आर्डर वायरल हुआ,
- बलि का बकरा...बेचारा बाबू..!
बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । त्रिस्तरीय पंचायतीराज और नगरीय निकाय चुनाव और कांग्रेस के दयनीय प्रदर्शन के बाद कांग्रेस में ठीकरा फोडऩे के लिए सिर ढूंढे जा रहे है। आरोप लग रहे हैं कि पद लोलूप अपना पद बचाने के लिए बलि के बकरे तलाश कर रहे हैं और इसी तलाश में नरम चारे को निगला जा रहा है। इस तरह के राजनैतिक आरोपों के बीच यह सामने आया कि जिला कांग्रेस के प्रवक्ता हेमंत पगारिया को निष्क्रियता के चलते प्रवक्ता पद से हटा दिया गया है। जो हेमंत पगारिया (बाबू) को जानते समझते हैं वे इस बात को हजम ही नहीं कर पा रहे हैं कि बाबू निष्क्रिय भी हो सकते हैं। बाबू को हटाने का आदेश जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ उसके कुछ देर पहले जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुनील शर्मा और उनके भाई राकेश शर्मा की कमलनाथ के साथ मुलाकात की एक फोटो भी वायरल हुई थी। इसलिए इस मुलाकात और बाबू को हटाए जाने को लोग जोड़कर देख रहे हेैं। जो भी हो पर कांग्रेस में यह सब होने की उम्मीदें पहले से की जा रही थी।
- कांग्रेस सरकार के पहले वर्ष में गुड्डू शर्मा और बाबू एकसाथ नजर आते थे...
पगारिया को हटाए जाने का लेटर वायरल होने के साथ ही लोग वह दौर याद करने लगे जब सुनील शर्मा जिला कांग्रेस के अध्यक्ष बने और उसके बाद हेमंत पगारिया फुल टाईम सुनील शर्मा के साथ ही नजर आते थे। यह गठजोड़ लोकसभा चुनाव तक भी फेवीकोल के गठजोड़ की तरह मजबूत नजर आता था। हर जगह सुनील शर्मा को डिफेंड करते हुए बाबू पगारिया को देखा जा सकता था। मीडिया मैनेजमेंट भी करते देखे गए।
- स्कूलों में स्पोर्टस किट सप्लाई के मामले से बिगड़ गई अध्यक्ष प्रवक्ता की बात...
जो कांग्रेस की आतंरिक राजनीति को जानते समझते हैं उन्होंने बताया कि हेमंत पगारिया को स्टेशनरी और स्पोर्टस सामग्री का पुस्तैनी व्यवसाय है। जब कांग्रेस की सरकार थी उस समय स्कूलों में 5 से 10 हजार रूपये तक की स्पोर्टस् सामग्री सप्लाई करने के आर्डर हुए थे। इस आर्डर के बाद कहीं अध्यक्ष और प्रवक्ता में सप्लाई को लेकर आतंरिक मतभेद हुआ और वह इतना बढा़ कि दोनों की राहेे जुदा हो गई।
- अब यह सवाल भी गूंजने लगे...
1 - जिला पंचायत और जनपद के लिए कांग्रेस समर्थित उम्मीदवारों की घोषणा के पहले कब-कहां और किन लोगों के साथ जिला कांग्रेस की मीटिंग हुई।
2 - नगरीय निकाय में पार्षदों के टिकिट फाईनल करने का फार्मूला क्या था और किसके कहने पर सर्वाधिक टिकिट फाईनल की गई।
3 - कांग्रेस के किस-किस पदाधिकारी ने किस जिला पंचायत या जनपद या नगरपालिका वार्डो में प्रचार-प्रसार किया या प्रत्याशी का काम किया।
- इधर लल्ली वर्मा का दर्द भी न्याय की उम्मीद में अंदर ही अंदर बलबला रहा...
कांग्रेस में जो कुछ चल रहा है उसमें कुछ और कहानियां भी है। उन कहानियों में से एक कहानी कृष्णपुरा वार्ड से निर्दलीय चुनाव लडऩे वाले मृदुभाषी और अति सक्रिय समाजसेवी लल्ली वर्मा की भी है। लल्ली वर्मा का दर्द यह है कि वे चुनाव हारे नहीं बल्कि उन्हें सुनियोजित तरीके से हरवाया गया। उनके समर्थकों का कहना है कि लल्ली भैया शरीफ और कांग्रेस के प्रति निष्ठावान हैं फिर उनके साथ गद्दारी हुई और कार्रवाई नहीं हुई।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 23 जुलाई 2022