(बैतूल) अतीत के झरोखे से आजादी की शौर्यगाथा : पुष्पक देशमुख
(बैतूल) अतीत के झरोखे से आजादी की शौर्यगाथा : पुष्पक देशमुख
बैतूल (हेडलाईन)/नवल-वर्मा । आज पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है।
पर बिना मंथन के अमृत कब निकला है। उसके लिए तो कठोर परिश्रम और साधना करनी पड़ती है।
आइए आज मैं परिचय करवाता हूं। इतिहास के ऐसे परमवीर से जिसकी कहानी सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। श्री मंचितराव जागोराव देशमुख और दौलतराम बंजारे ,दोनों अटूट मित्र । और दोनों गांव के जंगी पहलवान थे। अंग्रेजी इतिहास की क्रूरतम सजाओ में से एक गुना खाना की सजा भोगकर इन्होंने राष्ट्र का गौरव ऊंचा किया। गुना खाना एक ऐसी सजा होती थी, जिसमें तीन बाई छह के कमरे में व्यक्ति को कैद कर दिया जाता था। तथा उसमें भोजन और पानी तो दिया जाता था ,लेकिन उसमें शौच जाने की सुविधा नहीं होती थी। अर्थात वही खाना और वही शौच करना होता था। मगर भारत मां के इन दोनों बेटों ने इस सजा को भी सहर्ष स्वीकार किया। लेकिन अपने अन्य क्रांतिकारियों के नाम नहीं बताए। इनका हौसला कहा कम होने वाला था। इसका तिरस्कार उन्होंने इस रूप में किया कि दोनों ने अन्न और जल का त्याग कर दिया । नौ दिनों तक सतत भूखे प्यासे रहने के कारण यह मूर्छित हो पड़े। अंग्रेजों को लगा यदि इनकी मृत्यु हो गई तो आंदोलन और भड़क उठेगा, जेल में अन्य क्रांतिकारी उपद्रव कर देंगे । जेल में दंगे भड़कने की संभावना देख, अंततः दसवे दिन दोनों को जेल के सामान्य कमरे में विस्थापित किया गया।
आइए सुनाते हैं इनकी आजादी की शौर्य गाथा ।
अगस्त सन 1942 भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ हो चुका था। जगह जगह अंग्रेजों के विरुद्ध स्वतंत्रता की आग दावानल का रूप ले चुकी थी ।मेरा प्रभात पट्टन भी इससे अछूता नहीं रहा ।सर्वप्रथम शासकीय स्कूल में आग लगाकर, पोस्ट ऑफिस को भी आग के हवाले कर दिया गया ।जितने अंग्रेजी सैनिक तैनात थे गांव में, उनकी वर्दी उतारकर खादी पहना दी गई। आंदोलन का प्रभाव इतना था कि कभी भी कुछ भी हो सकता था ।इसलिए बड़े नेताओं की गिरफ्तारी का दौर आरंभ हुआ ।गांव मैं क्रांतिकारियों के सेनानायक के रूप में श्री बिहारी लाल पटेल एवं उनके साथियों की सर्वप्रथम गिरफ्तारी हुई ।जिसके विरोध स्वरूप गांव में एक भयंकर रैली निकली।जिसका स्वरूप उग्र था ,प्रभात पट्टन कॉलोनी में अंग्रेजों का एक रेस्ट हाउस था जो वर्तमान में शासकीय कन्या विद्यालय के रूप में आज भी मौजूद है। उसका क्रांतिकारियों ने घेराव कर लिया ।उस समय मिस्टर हिटसन जो कि उस समय का एक फॉरेस्ट रेंजर था ,के नेतृत्व में कुछ पुलिस की गाड़ियां प्रभात पट्टन भेजी गई ।वह कुछ कर पाता इससे पहले ही हजारों क्रांतिकारियों की भीड़ ने उस पर पथराव आरंभ कर दिया। उसने बदले मे फायरिंग की जिसमें एक व्यक्ति महादेव रेवतकर शहीद हो गया। और उसके गोली लगते ही भीड़ तितर-बितर होने लगी। बहुत से लोगों को वहीं से पकड़ कर मुलताई थाना ले जाया गया। लेकिन मंचित राव देशमुख और दौलतराम बंजारे को वह उस समय पकड़ नहीं पाई। दूसरे दिन सुबह अंग्रेजी पुलिस ने मंचितराव देशमुख को पकड़ने के लिए प्रातः काल 5:00 बजे ही उनके घर को घेर लिया। ताकि नींद में ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाए। लेकिन उनका शारीरिक स्वास्थ्य और पहलवानी रुतबा ऐसा था । की अंग्रेजी सैनिक उन्हे हाथ भी नहीं लगा पाये। उन्होंने कहा मैं राष्ट्रहित में अपनी गिरफ्तारी स्वयं चलकर दूंगा, लेकिन जीते जी मुझे कोई अंग्रेज छू भी नहीं सकता, उन्होंने अंग्रेजों की गाड़ी में बैठने से भी इंकार कर दिया। मैं अंग्रेजों की गाड़ी में अपराधी की तरह बैठकर गिरफ्तारी नहीं दूंगा, मै एक क्रांतिकारी की तरह स्वयं चलकर अपनी गिरफ्तारी दूंगा। मैं अपने घोड़े से चलकर आता हू।अगर आपको किसी प्रकार की शंका है तो आप मेरे पीछे चल सकते हैं। उनकी यह शर्त मान ली गई, मुलताई थाने में इन्होंने अपनी गिरफ्तारी दी। उग्र स्वभाव के होने के कारण इनके मित्र दौलतराम बंजारे और मंचितराव देशमुख को अकोला की सेंट्रल जेल में स्थानांतरित कर दिया गया ।वहां गुना खाना जैसी क्रूरतम सजा को भोग कर, तेल की घानी में बैलों की जगह इन्हें जोता गया। कैदियों के कपड़े धुलवाए गए। भारत माता की जय कहने पर पीठ पर कोड़े बरसाए गए। जिसके निशान मृत्यु पर्यंत उनकी पीठ पर थे। असाध्य कठोर यात्राओं को सहते हुए भी इन्होंने जेल में भी क्रांतिकारियों को आंदोलित करना नहीं छोड़ा। अंततः अंग्रेजी सरकार को विवश होकर इन्हें छोड़ना पड़ा ।जेल से छूटने के उपरांत दुगनी ऊर्जा के साथ देश की आजादी तक राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर तन मन धन से भारत मां की सेवा करते रहें। श्री मंचीतराव देशमुख मेरे परदादा थे ।मुझे गर्व है कि मैंने उनकी वंशावली में जन्म लिया। आप के कठोर कारावास और त्याग का यह राष्ट्र सदैव ऋणी रहेगा। आजादी के अमृत महोत्सव पर हम आपको नमन करते हुए स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
आपको कोटि कोटि वंदन कोटि-कोटि प्रणाम।
(🖊️ - पुष्पक देशमुख) लेखक राष्ट्रीय कवि वीर रस, प्रभातपट्टन बैतूल )
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 14 अगस्त 2022