(बैतूल) अनाड़ी अधिकारियों की नासमझी का खामियाजा भुगत रहा जिला, - वुडन कलस्टर का तो डूडा बोरगांव में डल गया काम, - अब कढ़ाई में तलाश रहे संभावनाएं पर वहां भी निमयों की दहाड़ से सिस्टम है सकपकाया हुआ
बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । एक जिला एक उत्पाद के तहत डूडा बोरगांव में वुडन कलस्टर का प्रोजेक्ट बनाया गया था। तीन-चार फेस में करीब 90 एकड़ में यह कलस्टर बनना था, लेकिन अधिकारियों की नासमझी और नियम कायदों को न जानने की वजह से यह प्रोजेक्ट अब खटाई में पड़ चुका है। वजह यह है कि डूडा बोरगांव में नियमों में जमीन फंसने की वजह से प्रोजेक्ट को कढ़ाई में शिफ्ट कराने की तैयारी है, लेकिन यहां भी कुछ नियम ऐसे दहाड़ रहे है कि उससे प्रशासनिक अधिकारी सकपकाए हुए है। वे न तो निगल पा रहे हैं और न ही उगल पा रहे हैं। जिस नियम की तहत डूडा बोरगांव का वूडन कलस्टर प्रोजेक्ट उलझ गया। उसी नियम में सारनी के सूखाढाना का प्रोजेक्ट भी फंस गया है और वहां काम बंद पड़ा है। इन सबके के लिए जिले के एक विधायक और उनके तथाकथित प्रिय पूर्व डीएफओ को जिम्मेदार माना जा रहा है। जिन्होंने कलेक्टर सहित अन्य उच्च अधिकारियों को गुमराह किया।
- छोटे-बड़े झाड़ के जंगल ने रोक ली डूडा बोरगांव में कलस्टर की राह...
बताया जा रहा है कि डूडा बोरगांव में जिस जमीन का चयन किया गया था वह दरअसल छोटा-बड़ा झाड़ जंगल मद की जमीन है। इस जमीन पर कोई भी प्रोजेक्ट के पहले केन्द्र सरकार के एफसीए की जरूरत होती है। जो आसानी से नहीं मिलता। इसलिए यहां पर इस प्रोजेक्ट को ड्राप कर दिया।
- कढ़ाई में भी केन्द्र सरकार का नियम बनने वाला है अब आफत...
डूडा बोरगांव में प्रोजेक्ट जमीन के चक्कर में फेल होने के बाद प्रशासन ने कढ़ाई में जमीन तलाश की। करीब 20 एकड़ की सरकारी ऐसी जमीन तलाश की जिसमें फारेस्ट का कोई पेंच नहीं आता था, लेकिन यहां दिक्कत यह आ रही है कि यह रूलर क्षेत्र है और आरा मशीन नहीं लगा सकते।
- सूखाढाना में भी छोटे-बड़े झाड़ जंगल मद में बंद पड़ा है प्रोजेक्ट का काम...
बताया गया कि इसी तरह सारनी के सूखाढाना में बड़े जोर-शोर से शुरू हुआ औद्योगिक क्षेत्र का काम बंद पड़ा है और इसके बंद होने का बड़ा कारण यह है कि यह जमीन राजस्व रिकार्ड में छोटे-बड़े झाड़ जंगल मद में दर्ज है। कोई भी अधिकारी यहां पर अपनी कलम नहीं फंसाना चाहता।
- एक विधायक की मेहरबानी से अपना उल्लू सीधा कर चले गए डीएफओ
जिले से तबादला हो चुके... एक डीएफओ की वजह से ही यह तमाम प्रोजेक्ट उलझ रहे है। उन्होंने वन भूमि और कानून को लेकर सही जानकारी जिला प्रशासन को उपलब्ध नहीं कराई। जब इन प्रोजेक्ट में जमीन को लेकर पेंच लगने लगे तो अपना पल्ला झाड़कर डीएफओ तबादला कराकर मंडला चले गए, लेकिन प्रोजेक्ट का सत्यानाश करवा गए। इन डीएफओ पर एक विधायक का खुला वरद्हस्त था, इसलिए इन्होंने यहां पर खुली मनी की।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 17 अगस्त 2022