बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । आबकारी विभाग में महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट से उजागर हुए 1.34 करोड़ के घपले में अब तक शासन द्वारा जिम्मेदारों के खिलाफ कोई एक्शन ही नहीं लिया गया यह भी बड़ा सवाल है? कोरोना के पहले लॉकडाउन के दौरान हुई इस अफरा-तफरी को लेकर पूर्व कलेक्टर राकेश सिंह और वर्तमान कलेक्टर अमनबीर सिंह ने कोई कदम क्यों नहीं उठाया यह भी अपने आप में एक सवाल है?

जबकि कायदे से जिम्मेदारी तय कर शासन को होने वाले नुकसान के लिये न केवल रिकवरी की जानी थी बल्कि जिम्मेदार के खिलाफ निलंबन जैसी कार्रवाई भी होनी चाहिए थी। महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट में जो तथ्य और आंकडे सामने आए उसको लेकर तात्कालिन प्रभारी अधिकारी मतलब एडीओ माहोरे ने जो जवाब दिया है उसे महालेखाकार ने अमान्य कर दिया। इसके बावजूद कार्रवाई नहीं हो रही?

- जिम्मेदारी तो जिला आबकारी अधिकारी की भी तय होना चाहिए...
जिस तरह का यह मामला सामने आया है और दस्तावेजों के आधार पर सामने आया है उसे देखे हुए जो जिम्मेदार हैं उसके खिलाफ कोई कार्रवाई प्रस्तावित न होने और उससे रिकवरी के प्रयास न किए जाने को लेकर जिला आबकारी अधिकारी की भी जिम्मेदारी तय होना चाहिए। जो नियम कानून को जानते है उनका कहना है कि यह शासकीय धन में घपले का मामला है इसमें तो सीधे एफआईआर दर्ज होना था जो अभी तक नहीं की गई है। ऐसी स्थिति में जून 2020 और उसके बाद जो भी जिला आबकारी अधिकारी रहे हैं उन पर भी कार्रवाई सुनिश्चित की जाना चाहिए। 

- अंदरखाने में हड़कंप पर एक दूसरे पर टाल रहे जिम्मेदारी...
इधर यह भी चर्चा सामने आ रही है कि मामला सार्वजनिक हो जाने से जो अभी तक मामले को दबाने के प्रयास किए जा रहे थे उस पर पानी फिर गया है। ऐसी स्थिति में वहां हड़कंप मचा हुआ है और 1 करोड़ 34 लाख के घपले को लेकर एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने का प्रयास किया जा रहा है।

जनचर्चा है कि माहोरे यह कह रहा है कि इससे मेरा कोई लेना देना नहीं है सब देवांगन का किया धरा है। वहीं देवांगन की तरफ से इस तरह की बातें सामने आ रही है कि उसका भी कोई लेनादेना नहीं है। सब माहोरे का किया धरा है। ऐसी स्थिति में कलेक्टर को तत्काल एक्शन लेना चाहिए।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल  24 अगस्त 2022