बैतूल(हेडलाईन )/नवल-वर्मा । बैतूल में जो वर्तमान आबकारी अधिकारी है इन्हें शासन या जनता के हितों से कोई लेना देना नहीं है और न ही नियम कायदों को मानते हैं? इसलिए इनका एक ही ध्येय है कि जैसे भी हो ठेकेदार का भला हो चाहे आबकारी के तमाम नियम ताक पर जाए। इनकी शह पर ही पीसाजोड़ी, शाहपुर, बैतूलबाजार, मोहदा, सारनी आदि का जो आबकारी ठेकेदार है वह एमएसपी और एमआरपी के नियम को मानने को तैयार नहीं है। दुकान खुलने और बंद होने के नियम को नहीं मानता है। बताया गया कि वर्तमान में पीसाजोड़ी और बैतूलबाजार का ठेकेदार एमएसपी से कम में शराब बेच रहा है। इसके कारण सोम  कंपनी वाले को भी नुकसान हो रहा है। वे भी परेशान है, लेकिन जो बैतूलबाजार और पीसाजोड़ी का ठेकेदार है उसके सामने आबकारी अधिकारी किसी की भी नहीं सुनते हैं। इस ठेकेदार का रौब इतना है कि पुलिस विभाग के अधिकारियों को भी रौब दिखाने से बाज नहीं आता है, यह छोटे-मोटे अधिकारियों को इसलिए कुछ नहीं समझता क्योंकि इसका बड़े अधिकारियों से बड़ा याराना है और इसके गुर्गो द्वारा दावा किया जाता है कि उसका बंगले भी आना-जाना है।

- ठेकेदार के आदमियों कभी नहीं हुआ पुलिस वेरीफिकेशन और न ही है कोई रिकार्ड...
बैतूलबाजार, शाहपुर, सारनी, पीसाजोड़ी आदि में शराब ठेका चलाने वाले ठेकेदार के लोगों का कोई पुलिस वेरीफिकेशन नहीं है और न ही कोई रिकार्ड है। चम्बल क्षेत्र के भिंड, मुरैना से आए कौन-कौन अपराधिक प्रवृत्ति के लोग यहां पर काम कर रहे हैं इसकी किसी को जानकारी नहीं है। भविष्य में यदि कोई बड़ी वारदात होती है तो इस तरह के लोगों का ही हाथ माना जाएगा। अभी हाल ही में जो हथियारबंद लोगों ने ज्वेलर्स दुकान में तांडव किया है उसमें भी लोगों का मानना है कि शराब ठेकेदार के पास काम करने आए भिंड, मुरैना, ग्वालियर के हथियारबंद अपराधियों का भी हाथ हो सकता है। मुलताई पुलिस को इस संबंध में तत्काल ध्यान देना चाहिए और चंबल क्षेत्र के तथाकथित ठेकेदार के लोगों से कड़ाई से पूछताछ करना चाहिए।

- इधर राजीव तिगड्डे पाथाखेड़ा मामले में भी एफआईआर से बच रहा वन विभाग...            
पाथाखेड़ा में राजीव तिगड्डे पर स्थित शराब दुकान के मामले में दुकान मालिक और ठेकेदार दोनों के खिलाफ एफआईआर होना चाहिए। वजह यह है कि उक्त क्षेत्र में शराब दुकान संचालन को लेकर वन कानून के तहत पीओआर 2011 में फाड़ा जा चुका है, इसके बावजूद पुन: वहां दुकान संचालित की गई जो कि सीधे-सीधे कानून का उल्लंघन और अनदेखी है। जिस आदेश के आधार पर दुकान संचालित की जा रही थी उसको जारी करने वाले पर भी सवाल है। ऐसी स्थिति में ठेकेदार और दुकान मालिक ने सीधे-सीधे शासन को गुमराह किया है और धोखाधड़ी की है इसलिए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। महज उसकी दुकान हटाने से कानून के उल्लंघन का दंड नहीं मिलेगा।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 26 अगस्त 2022