(बैतूल) आवारा मवेशियों को लेकर प्रशासनिक सिस्टम का रवैया लचर , - बैतूल एसडीएम वैसे ही कुछ करती नहीं..!, - कम से कम करैरा एसडीएम की तरह जनहित में ऐसा एक आदेश ही कर दें..?
बैतूल (हेडलाईन)/नवल-वर्मा । बैतूल एसडीएम की आम लोगों में छवि यह है कि यह कोई काम ही नहीं करती? मामलों को लटकाती है या दबा देती है? इसके कई उदाहरण पूर्व में देखे और सुने गए हैं? इस स्थिति को देखने के बाद आम आदमी का तो यह मानना है कि बैतूल एसडीएम को तत्काल बदला जाना चाहिए? अब उन्हें क्यों नहीं बदला जा रहा है इसका जवाब तो कलेक्टर ही बेहतर दे सकते हैं? जबकि यह देखने में आया है कि कई मामलो में उन्होंने कलेक्टर के आदेशों को भी ताक पर रख दिया? इसके बावजूद कलेक्टर उनके खिलाफ कोई एक्शन ही नहीं लेते है?
अब इस स्थिति के बीच शिवपुरी जिले के करैरा एसडीएम का जनहित में आया एक आदेश लोगों के बीच सोशल मीडिया पर घूम रहा है। आवारा पशुओं और मवेशियों को लेकर जारी यह आदेश वाली स्थिति बैतूल में भी देखी जाती है। इसलिए लोगों का मानना है कि इस तरह का आदेश बैतूल एसडीएम को भी जारी करना चाहिए पर उम्मीद कम है कि वैसा कुछ करेगी, क्योंकि उनके बारे में कहा जाता है कि वे कुछ करना ही नहीं चाहती है। अब यहाँ लोगों की राय में कितनी सच्चाई है यह तो कलेक्टर ही बात सकते हैं क्योंकि वे ही उनकी वर्किंग की समीक्षा करते हैं।
- शहर के बाजार क्षेत्र में रहती है आवारा मवेशियों की धूम...
शहर में कोठीबाजार, सदर, गंज में साप्ताहिक बाजार लगता है। यहां पर रोज एवम् साप्ताहिक बाजार वाले दिन आवारा मवेशियों की अधिक धूम रहती है। वे सब्जी के झोले में मुंह मारने से भी नहीं चूकते। कई बार इन आवारा मवेशियों के कारण घटनाएं, दुर्घटनाएं होने का खतरा रहता है। इसके बावजूद इस पर नियंत्रण का कोई प्रयास नहीं होता।
- प्रमुख चौराहों सहित सड़क पर भी डेरा डालकर बैठे रहते हे आवारा मवेशी...
- शहर के कारगिल चौक, लल्ली चौक, कॉलेज चौक, गेंदा चौक आदि चौराहों सहित अन्य सड़कों पर आवारा मवेशी आराम से डेरा डालकर बैठे रहते हैं। अक्सर सुबह के समय यह स्थिति ज्यादा देखी जाती है। रात के समय में भी इन आवारा मवेशियों का डेरा इन चौराहों और सड़कों पर रहता है। जिसकी वजह से वाहन दुर्घटना का खतरा हमेशा बना रहता है। फिर भी कोई ध्यान नहीं देता।
- कांजी हाउस नपा के पास है नहीं और गौशाला भेजते ही नहीं...
बैतूल नगरपालिका के पास पहले कांजीहाउस हुआ करता था जो पिछले एक दशक से है ही नहीं। कढ़ाई में नगरपालिका ने अपनी गौशाला बनाई है। इसके अलावा जिले में निजी गौशालाएं भी है। फिर भी नगरपालिका आवारा मवेशियों को पकड़कर वहां पहुंचाने की जहमत नहीं उठाती है। जबकि इस तरह के पशु पालकों पर ठोस कार्रवाई होना चाहिए।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 09 सितम्बर 2022