(बैतूल) राजीव तिगड्डा शराब दुकान का मामला चर्चाओं में ले रहा नया मोड़ , - दारू बेचने वाले को अब बहुचर्चित "हरिराम नाई" का ही रह गया भरोसा
बैतूल (हेडलाईन ) । पाथाखेड़ा क्षेत्र की शराब दुकान बेदखली के मामले में हो रही लेटलतीफी को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही है। इन चर्चाओं से ही पता चल रहा है कि दारू बेचने वालों को अब किसी बहुचर्चित हरिराम *(काल्पनिक नाम) पर ही भरोसा है। उन्हें लगता है कि यह हरिराम कुछ न कुछ डमरू बजा देगा और वन कानून होने के बावजूद उनकी दुकान बेदखल नहीं होगी। अब इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो भगवान ही जाने, लेकिन विगत 9 सितम्बर को एक हाईप्रोफाईल धार्मिक भोज कार्यक्रम में उक्त हरिराम की सहपरिवार मौजूदगी के बाद इस बात को बल मिल रहा है कि हरिराम मामले में दखल दे चुका है और इसलिए 1 सितम्बर के डीएफओ के बेदखली के लिए सहयोग के पत्र के बावजूद अब तक प्रशासन की तरफ से बेदखली को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
- एसडीएम को निर्देश देने की जगह डीओ को पत्र मार्क करने पर सवाल...
डीएफओ एसकेएस तिवारी के पत्र में स्पष्ट उल्लेख है कि उन्होंने कलेक्टर से यह कहा है कि बेदखली की कार्रवाई के लिए एसडीएम शाहपुर को वे निर्देशित करें। उन्होंने कहीं भी यह नहीं कहा कि जिला आबकारी अधिकारी को कहे। अब ऐसी स्थिति में कलेक्टर द्वारा शाहपुर एसडीएम को निर्देशित करने की जगह डीओ को मार्क करना सवाल खड़े करता है।
- जिला आबकारी अधिकारी की भूमिका हमेशा रही है मामले में संदिग्ध...
जब बात सार्वजनिक हुई कि राजीव तिगड्डे की दुकान वन भूमि पर चल रही है ऐसे में जिला आबकारी अधिकारी ने बताया था कि उक्त जमीन डब्ल्यूसीएल की है। जबकि जिला आबकारी अधिकारी को यह अच्छे से ज्ञात होना चाहिए था कि 2012 में उसी रकबे में वन विभाग वन कानून उल्लंघन को लेकर प्रकरण बना चुका है।
- पूरे मामले में कायदे से ठेकेदार पर दर्ज होना चाहिए अपराधिक प्रकरण...
कानून के जानकारों का कहना है कि इस पूरे मामले में दुकान मालिक तूफान यादव के साथ-साथ आबकारी ठेकेदार पर भी अपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए। वन अपराध के साथ-साथ जानबूझकर पुन: अतिक्रमण करने को लेकर यह प्रकरण बनना चाहिए। लेकिन ठेकेदार की जो पकड़ है उसे देखते हुए ऐसा होना मुश्किल है।
- कौन है भाई हरिराम...
हरिराम (काल्पनिक नाम) को लेकर मीडिया जगत के अनुसार यह अभूतपूर्व दलाल, भूतपूर्व मीडियाकर्मी है जो हाईप्रोफाईल लोगों से बात व्यवहार रखना पसंद करता है। शहर के हर पूंजीपति या प्रभावशाली राजनेता से अपनी निकटता का ढिंढोरा पीटता है और अधिकारियों के घर होली, दीवाली मिलने जरूर जाता है। अक्सर बिना बुलाए ही जाता है, लेकिन बताता ऐसा है कि फुल आमंत्रण पर गया है। इसके क्रियाकलापों पर अक्सर सवाल उठते हैं। धार्मिक संस्थाओं और कार्यक्रमों का अपना नेटवर्क बनाने में भरपूर दोहन करता है।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 12 सितम्बर 2022