बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । राजीव तिगड्डा शराब दुकान का मामला प्रशासनिक दांव पेंच में उलझा हुआ है और ठेकेदार को भरोसा है कि उसका बाल बांका नही होगा। वन विभाग ने जिस तरह से कार्रवाई का जुलूस जिला प्रशासन की तरफ भेज दिया और जिला प्रशासन ने गेंद जिला आबकारी अधिकारी के पाले में डाल दी। उससे तो साफ दिख रहा है कि किसी की कोई रूचि नहीं है कि वहां से नियम विरूद्ध चल रही शराब दुकान को बेदखल किया जाए। बिना लाभ-हानि के कोई भी भला क्यों चाहेगा कि दुकान हट जाए। वजह जो भी लेकिन इससे जिले के प्रशासनिक सिस्टम के कामकाज का तरीका भी बेनकाब होता है और इसलिए शराब ठेकेदारों के हौंसले इतने बुलंद है कि वे अपने आप को नियम कायदे से ऊपर मानते हैं। डीएफओ के लिखे पत्र को मार्क किए जाने पर जिला आबकारी ने दो टूक कह दिया कि इसमें जो करना है एसडीएम को ना है मेरा कुछ नहीं है मुझे मार्क क्यों किया गया?

- वन विभाग को चाहिए कि वह वन कानून में ठेकेदार पर प्रकरण दर्ज करें...
वन विभाग के अधिकारियों की भी नैतिक जिम्मेदारी है कि जिस रकबे में शराब दुकान स्थित है। वहां पर वन अतिक्रमण को लेकर प्रकरण दर्ज करें। इस तरह से केवल पत्राचार करने से समस्या का कोई समाधान नहीं निकलने वाला। कायदे से अब तक दुकान मालिक और किराए पर दुकान लेने वाले ठेकेदार के खिलाफ वन अपराध में प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया जाना था।

- विवादित स्थल पर लाईसेंस देना ही आबकारी विभाग की बड़ी खामी...
जिस जगह पर वर्तमान में राजीव तिगड्डे पर शराब दुकान चल रही है वहां पर वर्ष 2012 में दुकान मालिक तूफान यादव और शराब ठेकेदार बानसिंग पर वन अपराध में प्रकरण दर्ज हुआ था। ऐसी स्थिति में पुन: वहां पर शराब दुकान संचालन के लिए लाईसेंस देना ही यह बताता है कि आबकारी विभाग भी जानबूझकर अनैतिक काम होने देता है और बाद में सुधार भी नहीं करते?

- कलेक्टर ने एसडीएम को अब तक नहीं किया है निर्देशित...
जिस तरह से डीएफओ उत्तर वन मंडल ने कलेक्टर को दुकान बेदखली के लिए पत्र लिखा और उसमें स्पष्ट लिखा कि वे एसडीएम को कार्रवाई में सहयोग के लिए निर्देशित करें। उसके बाद अभी तक कलेक्टर बैतूल द्वारा एसडीएम शाहपुर को शराब दुकान बेदखली के लिए किसी तरह के कोई दिशा निर्देश नहीं दिए गए हैं। वहीं अपना पत्र आबकारी डीओ को भेज दिया जहां कोई मतलब नहीं।

- सीएम कान्फ्रेंस में दिखाने के लिए हो सकती है अच्छी कार्रवाई...               
सीएम कान्फ्रेंस के एजेंडे में सरकारी जमीनों को अतिक्रमण मुक्त कराने का भी एक बिंदु रहता है। नगरपालिका और पंचायत चुनाव के चक्कर में यह कान्फ्रेंस हो नहीं पा रही है। इसलिए प्रशासन भी इस तरह की दिखाने वाली कार्रवाई करने को लेकर रूचि नहीं ले रहा है। वैसे पुलिस, राजस्व और वन विभाग मिलकर अगर यह शराब दुकान का अतिक्रमण हटाता है तो उन्हें सीएम कान्फ्रेंस में दिखाने के लिए कुछ रहेेगा। वहीं इसमें सभी तहसीलदार से पूछा ही जा रहा है कि कहां-कहां अतिक्रमण है और अब तक कितना मुक्त कराया गया।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल  13 सितम्बर 2022