(बैतूल) जागरूकता कार्यक्रम में केन्द्रीय विद्यालय के विद्यार्थियों को दी रेबीज की जानकारी , - विश्व रेबीज दिवस पर किया जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन
बैतूल(हेडलाईन )/नवल-वर्मा । मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. ए.के. तिवारी ने बताया कि 28 सितम्बर 2022 को विश्व रेबीज दिवस के अवसर पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन केन्द्रीय विद्यालय बैतूल में किया गया।
इस अवसर पर जिला मीडिया अधिकारी श्रीमती श्रुति गौर तोमर ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से बच्चों को बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व रेबीज दिवस 2022 की थीम ‘‘ रेबीज फैक्ट्स नॉट फियर’’ (रेबीज तथ्य डर नहीं) निर्धारित की गई है। विश्व रेबीज दिवस का मिशन पशु जीवन के मानकों में सुधार करते हुये पशु क्रूरता को समाप्त कर जानवरों और हमारे जीवन में उनके योगदान के प्रति अपना अभार प्रकट करना है। रेेबीज एक विषाणु जनित संक्रमण है जो मनुष्यों में रेबीज पीडि़त जानवर के काटने या खरोंच से फैलता है। भारत में मुख्यतः कुत्तों के काटने से रेबीज होता है, इसके अलावा बिल्ली, नेवले, बंदर या अन्य गर्म खून वाले जानवर के काटने या खरोंच से भी यह रोग फैलता है। रेबीज एक जान लेवा बीमारी है, परन्तु इसकी रोकथाम पूर्णतः संभव है। यह एक वायरल संक्रमण है जो मनुष्यों और जानवरों में हमेशा ही घातक होता है। रेबीज का संक्रमण संक्रमित जानवर के काटने से फैलता है। ज्यादातर मामलों में मनुष्यों में यह बीमारी कुत्ते के काटने या खरोंचने से भी होती है। मनुष्यों को जानवर के काटने के बाद उपचार रूप में सबसे पहले घाव को साबुन और साफ बहते पाने से 15 मिनट तक अच्छी तरह से धोना है। घाव पर उपलब्ध एन्टीसेप्टिक लगाकर घाव को खुला छोड़ना है और टांके नहीं लगाना है, तुरन्त अपने चिकित्सक की सलाह से एन्टीरेबीज और इम्युनोग्लोबिन सिरम का टीका लगवाना है। जानवर के काटने के बाद पहला टीका उसी दिन लगवाया जाना है। रेबीज से बचाव के लिये चिकित्सक की सलाह के अनुसार एन्टीरेबीज टीकाकरण का कोर्स पूरा करें। समय-समय पर पालतू जानवरों का टीकाकरण करवायें। घाव पर सरसों का तेल, मिर्च या अन्य पदार्थ न लगायें एवं अंधविश्वास से बचें। जानवरों को रेबीज से बचाव के लिये पालतू जानवरों में नियमित एन्टी रेबीज टीका लगवायें, उन्हें अपनी निगरानी में रखें, रेबीज जैसे लक्षण दिखाई देने पर नजदीकी पशु चिकित्सालय में एन्टी रेबीज का टीका लगवायें। पालतू जानवरों को आवारा जानवरों से दूर रखें। समुदाय में रेबीज की रोकथाम के लिये अपने घर के आस-पास और मोहल्ले के पालतू व अज्ञात कुत्तों को भी नियमित तौर से एन्टी रेबीज टीका लगवानें के लिये पहल करें। अगर आस-पास मोहल्ले में जानवर द्वारा काटने की घटनाऐं हो रहीं हो तो तुरंत अपने नजदीकी पंचायत/नगर पालिका अधिकारी को सूचित करें। जानवरों में रेबीज होने के लक्षणों में- जानवरों के व्यवहार में परिवर्तन, भौंकने के स्वर में बदलाव, हाइड्रोफोबिया (पानी का डर) मुॅह से अत्यधिक लार का निकलना, लकवा आना एवं बिना किसी कारण अत्याधिक उत्तेजित होकर काटना सम्मिलित है। मनुष्यों में रेबीज होने के लक्षणों में अज्ञात जानवर से काटने का इतिहास, पानी से डर लगना, वायुभीति शामिल है। रेबीज एक जान लेवा बीमारी है, परन्तु इस बीमारी के प्रति जागरूक होने से इसका प्रतिरोध पूर्णतः संभव है। टीकाकरण करवायें और सुरक्षित रहें।
संस्था प्राचार्य सुरेश पुरोहित ने कहा कि विद्यार्थी स्वास्थ्य दूत की भूमिका निभाते हैं। विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त जानकारियों का अधिकाधिक प्रचार-प्रसार कर समाज में जागरूकता लाने का महत्वपूर्ण कार्य बखूबी किया जा सकता है। विद्यार्थी कल के नागरिक हैं जिन्हें सजग एवं सचेत रहकर एक सक्षम राष्ट्र का निर्माण करना है। विद्यार्थियों को उप मीडिया अधिकारी श्रीमती अभिलाषा खर्डेकर एवं महेशराम गुबरेले ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर संस्था प्राचार्य द्वारा पौधे देकर पर्यावरण सजगता का संदेश दिया गया। केन्द्रीय विद्यालय बैतूल के व्याख्याता भरत भांडे द्वारा कार्यक्रम का संचालन किया गया। कार्यक्रम में केन्द्रीय विद्यालय बैतूल के समस्त शिक्षक, शिक्षिकाएं, स्वास्थ्य विभाग के अन्य कर्मचारी एवं छात्र-छात्राऐं उपस्थित रहे।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 29 सितम्बर 2022