बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । नवरात्र पर्व पर गरबा आयोजनों का दौर शुरू हो रहा है। जो आयोजन हो रहे है उसमें क्या गाईडलाईन होना चाहिए, क्या सुरक्षा व्यवस्था होना चाहिए, इस पर बैतूल में तो किसी तरह का कोई फोकस नहीं है? प्रशासन ने तो किसी भी तरह की कोई गाईडलाईन जारी नहीं की है? ऐसे में यदि गरबा आयोजन के दौरान किसी तरह का न्यूसेंस होगा तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी? जिस तरह भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया ने अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय दिया है वैसा बैतूल में तो नहीं हुआ है! इसलिए गरबा-रास आयोजन को लेकर अनुमति की औपचरिकता लगभग पूरी हो चुकी है। जिन अधिकारियों ने अनुमति दी है, उन्होंने मौके पर जाकर  स्थल निरीक्षण तक नहीं किया?, लेकिन तथाकथित मुंह-लगों के प्रभाव में आकर अनुमतियां दी जा रही है! इस स्थिति को देखते हुए जो अनुमतियां दी गई है उनका फिर सेे विधिवत परीक्षण होना चाहिए और कायदे से जिन अधिकारियों ने कमरे में बैठे-बैठे ही बिना स्थल निरीक्षण के अनुमति प्रदान की है उन पर भी कार्रवाई होना चाहिए? बैतूल में जो गरबा आयोजन हो रहे हैं उन पर वैसे ही कई तरह के विवादों की छाया रहती है। पूर्व में यह भी देखने में आया है कि आयोजन के दौरान अच्छे खासे वाद-विवाद हो चुके हैं। इसके बावजूद प्रशासन ने आयोजन की गाईड लाईन को लेकर जो लापरवाही दिखाई है उससे हिन्दूवादी नेता और संगठनों में भी इसको लेकर चिंता और नाराजगी नजर आ रही है। संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर ने जो पास वाला सिस्टम लागू किया है उसको लेकर भी बैतूल कलेक्टर और प्रशासन ने किसी तरह के कोई नियम सार्वजनिक नहीं किए हैं ? जो अफसरशाही का शासन और सरकार के प्रति उदासीनता को दर्शाता  है।

 

- काश..! बैतूल में भी अविनाश लवानिया जैसे समझदार और संवेदनशील कलेक्टर होते...

भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया ने न केवल व्यवस्थाओं को लेकर गाईड लाईन जारी की, बल्कि व्यवस्था चाक चौबंद रहे सभी एसडीएम और तहसीलदार को भी तैनात किया है। प्रशासन की टीम गरबा स्थलों पर जाकर पड़ताल करेगी और तमाम तरह के इंतजामों को देखेेगी। साथ ही पूरे समय निगरानी होगी। सांस्कृतिक आयोजन में बिना आईडी के पास नहीं दिए जाएंगे और न ही अंदर एंट्री होगी। भोपाल में गाईड लाईन और व्यवस्थाओं को लेकर जब खबरें बैतूल के जागरूक लोगों ने पढ़ी तो उनका कहना था कि काश बैतूल में भी ऐसे ही समझदार और संवेदनशील कलेक्टर होते जो पहले से ही सावधानी बरतते। बैतूल में तो हालात यह है कि अधिकारी अपने चेम्बर में ही बैठकर ही तथाकथितों से व्यवहार निभाते हुए अपना अभिमत भी दे रहे और अनुमतियां भी रहे हैं। बताया गया कि एक गरबा आयोजन को लेकर एसडीओपी सृष्टि भार्गव ने बिना मौका मुआयना किए ही अपना अभिमत दे दिया और एसडीएम ने शाम 6 बजे से रात 10 बजे तक की अनुमति भी दे दी। जबकि ऐसी कोई सूचना पीआरओ के माध्यम से सार्वजनिक नहीं की गई कि इस तरह अनुमति के पहले निरीक्षण वगैरह किया गया है। 

- भोपाल कलेक्टर ने जारी की गई यह गाईडलाईन...

1 - बिना आईडी कार्ड (पहचान पत्र) के किसी को भी गरबा पंडाल में एंट्री नहीं दी जाए। कार्यक्रम स्थल पर सीसीटीवी कैमरे जरूर लगे हों। 

2 - आग से बचाव के लिए सारे इंतजाम किए जाएं। फायर सेफ्टी नॉर्म्स का पालन हो। बिजली के तार ठीक हो। 

3 - इसके लिए बिजली कंपनी से सर्टिफिकेट भी लिया जाए। 

4 - आयोजन स्थल पर कोई भी व्यक्ति आपत्तिजनक या संदिग्ध वस्तु, धारदार हथियार नहीं ले जा सकेगा और न ही प्रदर्शन करेगा। 

5 - गरबा पंडालों में चिकित्सा व्यवस्था भी की जाए।

नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 29 सितम्बर 2022