बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । तीन नगरीय निकायों के चुनाव परिणामों के अंदर बहुत कुछ ऐसा है जो भविष्य की राजनीति की दिशा के स्पष्ट संकेत दे रहा है। जैसे अल्पसंख्यक तबका कांग्रेस से छिटक रहा है। यही कारण रहा कि नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस ने 10 अल्पसंख्यक प्रत्याशियों को अल्पसंख्यक बाहुल्य वार्डो में टिकट दी, लेकिन इसके बाद भी उन वार्डो में से 7 में कांग्रेस के उम्मीदवार हार गए। इस तरह की हार को लेकर जो राजनैतिक विश्लेषक है उनका मानना है कि अल्पसंख्यक तबका भी कांग्रेस और उसके नेताओं से निराश हो चुका है और उसका भरोसा ही अब कांग्रेस से उठ रहा है।  इन तीन निकायों के पहले भी जो अन्य नगरपालिकाओं में चुनाव हुए थे वहां भी इस तरह का रूझान दिखाई दे रहा था कि कहीं न कहीं अल्पसंख्यक मतदाताओं में अब कांग्रेस पर भरोसे को लेकर अब वो पहले जैसी बात नहीं रही है। यदि यही ट्रेंड रहा तो यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका होगा। कांग्रेस में जो अल्पसंख्यक नेता अपने अल्पसंख्यक होने के आधार पर अपने समर्थकों को टिकट दिलवाते है या अल्पसंख्यक होने का फायदा अपनी राजनैतिक तरक्की में लेते है उनकी भी पोल इस चुनाव से खुल गई है और स्पष्ट हो गया है कि वे अल्पसंख्यक समुदाय के सर्वमान्य या व्यापक पकड़ रखने वाले चेहरे तो बिल्कुल नहीं है।

- आठनेर में चारों अल्पसंख्यक वार्ड में कांग्रेस के प्रत्याशी हार गए...             
नगर परिषद आठनेर में कांग्रेस ने वार्ड क्र 4, 5, 11, और 12 में अल्पसंख्यक वर्ग के ही उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। इस स्थिति में जब रिजल्ट सामने आया तो तीन में भाजपा जीत गई और वार्ड क्र 4 में एक निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव जीत गया, जबकि चारों जगह निर्णायक अल्पसंख्यक मतदाता है।

- चिचोली में साढ़े तीन सौ अल्पसंख्यक वोटर वाले वार्ड में भी हारे...            
नगर परिषद चिचोली में अल्पसंख्यक वार्ड के रूप में वार्ड क्र 1 को जाना जाता है। यहां पर हुए चुनाव में कांग्रेस ने एक अल्पसंख्यक उम्मीदवार मैदान में उतारा, लेकिन वह उम्मीदवार भी चुनाव हार गया। वह भी गैर अल्पसंख्यक प्रत्याशी से जबकि वहाँ साढ़े तीन सौ अल्पसंख्यक मतदाता है।

- सारनी में 5 अल्पसंख्यक को टिकट दी, लेकिन चुनाव दो ही जीत पाए...              
कांग्रेस ने अपने परम्परागत वोट बैंक वाले पांच अल्पसंख्यक बाहुल्य वार्डो में अल्पसंख्यक वर्ग के ही पांच उम्मीदवार मैदान में उतारे। जब रिजल्ट सामने आया तो वार्ड क्र 19, 20 और 03 में कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव हार गए। वहीं वार्ड क्र 18 और 12 में जैसे-तैसे जीत पाए।

- भाजपा के अल्पसंख्यक नेताओं ने दिखाई अपनी ताकत...
आठनेर में हुए चुनाव में भाजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष शारिक खान, युसूफ पटेल, शेख फारूक और असलम काजी ने जमकर मेहनत की और उन मतदाताओं को यह बताया कि उनके नाम पर कांग्रेस ने राजनीति करने वाले नेता केवल उन्हें वोट बैंक की तरह उपयोग करते है।
बैतूल नपा के चुनाव से अल्पसंख्यक राजनीति में बदलाव के मिले थे संकेत
जो अल्पसंख्यक राजनीति करते है उनका कहना है कि बैतूल नगरपालिका चुनाव में ही इस बात के स्पष्ट संकेत मिल गए थे कि अब अल्पसंख्यक समुदाय ट्रेंड बदलने के मूड में है। यही कारण था कि आजाद वार्ड जैसे वार्ड में महज 78 वोट से उम्मीदवार जीता और तिलक वार्ड में दो वोट जीत पाया।

- कांग्रेस में अल्पसंख्यक होने के आधार पर राजनीति करने वाले नेताओं को झटका...
कांग्रेस के अंदर जो अल्पसंख्यक राजनीति को भुनाकर अपने गणित जमाते हैं उनके पत्ते पूरी तरह से खुल चुके है। यह स्पष्ट हो चुका है कि इस तरह के नेता टिकट की जोड़ तोड़ भले ही कर ले, लेकिन वे मैदान में अल्पसंख्यक मतदाताओं को प्रभावित करने की ताकत नहीं रखते।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 01 अक्टूबर 2022