बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । कलेक्ट्रेट से निकलते वक्त एक वकील को किसी का फोन आया और उससे कहा कि अब मेडम रिलीव हो गई है और तुम्हारी फाईल हो जाएगी। उक्त वकील ने बताया कि एसडीएम कार्यालय के किसी बाबू का फोन था और उसके एक मुवक्कील का नाम परिवर्तन का मामला पिछले एक डेढ़ माह से पेंडिंग कर रखा है। इसलिए बाबू ने अभी उसे बताया कि अब काम हो जाएगा।  शहर में ऐसे बहुत से लोग हैं जो एसडीएम की विदाई की लंबे समय से रास्ता देख रहे थे वो सब खुश हो गए हैं।  वजह यह है कि एसडीएम की वर्किंग को लेकर लोगों का यह अनुभव रहा है कि वे कोई डिसीजन ही लेना पसंद नहीं करती थी। वे रिजल्ट ओरिएंटेट अधिकारी नहीं मानी जाती थी और इसलिए उनके कार्यकाल के कारण कलेक्टर सहित प्रशासन पर हमेशा सवाल खड़े होते थे।

- अवैध कालोनाईजिंग में नहीं किया कुछ भी...
बतौर एसडीएम रीता डहेरिया ने कुछ अवैध कालोनियों को प्रबंधन में डालने के अलावा कोई भी ऐसी ठोस कार्रवाई नहीं की जिसकी नजीर दी जा सके। कलेक्टर द्वारा स्पष्ट रूप से एफआईआर के आदेश दिए जाने के बाद भी उन्होंने किसी भी मामले में अपनी तरफ से एफआईआर कराना जरूरी नहीं समझा। जबकि ऐसा करना एक तरह से कलेक्टर के आदेश की खुली अवहेलना थी। एक अवैध कालोनाईजर के मामले में तो पूर्व के एफआईआर आदेश फालो कराने की जगह उसे बचने के लिए पूरा मौका दिया। 

- अवैध खनन के मामलों में भी मनमाना रवैया...
कलेक्टर ने अवैध खनन के मामले में एसडीएम को कार्रवाई के पावर दिए गए इसके बावजूद अनेक ऐसे मामले है जिसमें पटवारी तहसीलदार के प्रतिवेदन के बावजूद एसडीएम ने कोई कार्रवाई नहीं की। इससे कई तरह के सवाल खड़े हुए। यह भी देखने में आया कि जिन मामलों में अवैध खनन करते हुए मौके पर पकड़ा गया उसमें भी जो मैजरमेंट और वैल्यूवेशन में अवैध खननकर्ता को पूरी राहत देने का काम किया गया। 

- भू-अर्जन में भी लेटलतीफी...
बैतूल एसडीएम को गढ़ा जलाशय मामले सहित बैतूल-इंदौर फोरलेन में भू-अर्जन का काम करना था। जिस रफ्तार और जिस तरीके से भू-अर्जन की प्रक्रिया की जा रही है उस पर भी कई तरह के सवाल हैं। साफ तौर पर लेटलतीफी का मामला है।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल  07 अक्टूबर 2022