(बैतूल) प्रशासनिक सिस्टम के काम करने के लचर तरीकों का बढिय़ा उदाहरण, - भीमपुर जनपद सीईओ ने एक महीने बाद भेजा सजायाफ्ता पंचायत इंस्पेक्टर का निलंबन प्रस्ताव
बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । सजायाफ्ता पंचायत इंस्पेक्टर और पंचायत समन्वयक वीरेन्द्र मानकर के निलंबन का आदेश कलेक्टर को करना है और बताया जा रहा है कि उनके निलंबन का प्रस्ताव जिला पंचायत से कलेक्टर को 6 अक्टूबर को ही भेज दिया गया था। अब देखना यह है कि वीरेन्द्र मानकर की फाईल का हश्र भी वैसा ही न हो जैसा पाथाखेड़ा राजीव तिगड्डा के अतिक्रमण हटाने की फाईल का हुआ है। कलेक्टर साहब ने वन विभाग के अतिक्रमण हटाने के प्रस्ताव पर कोई निर्णय लेने की जगह उसमें नए-नए पेंच लगा दिए है। इस तरह की वर्किंग सामने आने के बाद बड़ा सवाल यह है कि वीरेन्द्र मानकर के सस्पेंड करने में जनपद सीईओ भीमपुर ने जिला प्रस्ताव बनाकर भेजने में लेटलतीफी क्यों की। इस तरह की स्थिति के कारण पूरे जिला पंचायत और उसकी पंचायत प्रकोष्ठ की सवालों के घेरे में आ गई है। पूरे मामले में क्या सच्चाई है यह भी एक रोचक मामला है।
- करीब एक महीने से ज्यादा अवधि गुजर जाने के बाद जनपद सीईओ ने क्यों नहीं भेजा प्रस्ताव...
बताया जा रहा है कि जिला पंचायत की पंचायत प्रकोष्ठ में जो आवक-जावक है उसमें 4 अक्टूबर को जनपद भीमपुर से पंचायत सचिव एवं पंचायत समन्वयक वीरेन्द्र मानकर को निलंबित करने का प्रस्ताव भेजा गया। अब सवाल यह है कि जनपद सीईओ ने यह प्रस्ताव इतनी देरी से क्यों भेजा या फिर जनपद भीमपुर से प्रस्ताव चला जरूर, लेकिन बीच में कहीं रूक गया। जो कि जिला पंचायत में 4 अक्टूबर को आवक-जावक में दर्ज हुआ यह भी जांच का विषय है।
- 6 अक्टूबर को कलेक्टर को भेज दी गई फाईल फिर भी 7 अक्टूबर को भी नहीं किया निलंबन आदेश...
जिला पंचायत के रिकार्ड के अनुसार 4 अक्टूबर को जनपद भीमपुर से प्रस्ताव आया। 5 अक्टूबर को दशहरा अवकाश होने से 6 अक्टूबर को प्रस्ताव बनाकर कलेक्टर को भेजा गया, लेकिन 7 अक्टूबर को भी कलेक्टर के यहां से निलंबन को लेकर कोई भी आदेश जिला पंचायत नहीं पहुंचा है। अब ऐसे में सवाल यह है कि एक सजायाफ्ता शासकीय सेवक की फाईल पर फैसला क्यों नहीं लिया जा रहा है। क्या किसी ने बोल रखा है या प्रशासनिक अधिकारियों के लिए यह जरूरी काम नहीं।
- पंचायती राज ट्रिपल-एम के ही आसपास...
जिले के पंचायती राज को लेकर एक जुमला बड़ा ही चर्चित है। जिसमें कहा जाता है कि साहब तो आते-जाते रहते हैं, लेकिन यहाँ ट्रिपल-एम के आसपास ही पूरा पंचायती राज घूमता है। हो सकता है यह बात अतिश्योक्ति में कही जाती हो, लेकिन जिस तरह से वीरेन्द्र मानकर के मामले में हो रहा है उससे इंकार नहीं किया जा सकता। ट्रिपल एम को लेकर बताया गया कि एक एम मानकर, दूसरा महाले और तीसरा माकोड़े है।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 09 अक्टूबर 2022