बैतूल ( हेडलाईन )/नवल-वर्मा । रेत संकट बड़ा संकट है और इसके कारण आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हो रही है। यह देखकर कांग्रेस के जिला कार्यवाहक अध्यक्ष ने आवाज उठाई और मंगलवार को घोड़े पर रेत ले जाकर बेचने का आंदोलन किया। यह आंदोलन एक चेतावनी  था। इस आंदोलन को देखकर भाजपा के आमला विधायक डॉ. योगेश पंडाग्रे ने भी काउंटर में अपना मोर्चा खोलकर सबको चौंका दिया। उन्होंने कहा कि यदि 6 करोड़ में से एक रूपये भी उनका होगा और कांग्रेसी साबित कर देंगे तो वह राजनीति छोड़ देंगे। आमला विधायक के इस तरह से खुलकर सामने आने पर जिला कांग्रेस के कार्यवाहक अध्यक्ष ने चुटकी लेते हुए कहा कि हमने तो किसी का नाम ही नहीं लिया यह कहा था कि किसी भाजपा के दबाव में ठेकेदार की मदद की। तो क्या वह विधायक आमला विधायक ही है। यदि नहीं तो फिर बिलबिला क्यों रहे हैं।

- कांग्रेसी साबित करे 6 करोड़ में 1 रूपया भी मेरा होगा तो राजनीति छोड़ दूंगा : डॉ योगेश पंडाग्रे...
- कांग्रेस साबित करे कि 6 करोड़ रूपये में से एक रूपये भी मेरा है तो राजनीति छोड़ दूंगा। उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव में हार से कांग्रेसियों का मानसिक संतुलन गड़बड़ा गया है। मामला कोर्ट में है और कोई आधार मिला होगा जिसमें प्रकरण चल रहा है।

- किसी का नाम तो हमने लिया नहीं फिर आमला विधायक ऐसे क्यों बिलबिला गए : हेमंत वागद्रे...
- हमने किसी विधायक का नाम नहीं लिया। यदि ठेकेदार के लिए सिस्टम पर दबाव बनाने वाले तथाकथित भाजपा विधायक आमला विधायक डॉ. पंडाग्रे नहीं हैं तो फिर उन्हें इस तरह आरोप पर बिलबिलाकर सफाई देने सामने की जरूरत नहीं थी।

- कांग्रेसियों ने इन सवालों पर की घेराबंदी...
- क्या भाजपा के तथाकथित विधायक और ठेकेदार के हित को साधने के लिए कलेक्टर ने जनविरोधी तरीका अपनाया है।
जनता का आर्थिक उत्पीडऩ हो रहा है। इससे दीपावली जैसे त्यौहार भी बेरौनक हो रहा है। जब ठेकेदार अपने द्वारा टेंडर में भरी गई 32 हजार करोड़ की राशि जमा नहीं कर रहा था और कह रहा था कि गलती हो गई तो टेंडर निरस्त क्यों नहीं किया गया?
- यदि टेंडर निरस्त नहीं किया गया और ठेकेदार टेंडर में गलती स्वीकार कर रहा था तो दूसरी सबसे बड़ी बोली वाले ठेकेदार को खदान क्यों नहीं दी गई ?
- ठेकेदार को ऐसी सुविधा उपलब्ध क्यों कराई गई कि मामला विवादित हो और कोर्ट-कचहरी में जाने की नौबत आए ?
- जब टेंडर विवादों में आ गए और खदानों से खनन नहीं हो पा रहा तो प्रशासन ने उसका विकल्प क्या बनाया, जिससे आम लोगों को राहत मिले?
- क्या प्रशासन के पास यह विकल्प नहीं था कि वह खनिज विभाग के माध्यम से खनन करवाती और पिछले रॉयल्टी रेट में खदान से रेत बेचती जिससे हाहाकार नहीं मचता?
- जब पहले लॉकडाउन में शराब दुकानों के मामले में टेंडर नहीं होने पर विभाग चला सकता है तो यहां पर क्यों नहीं किया गया?
- यदि प्रशासन चाहता तो रेत खदान से निकालकर डंप करवाकर उसे नीलम कर रेत के संकट को दूर कर सकता था, लेकिन प्रशासन ने यह विकल्प भी क्यों नहीं चुना?
पिछले पांच माह से रेत की उपलब्धता बंद है, इससे शासन को भी जो राजस्व का नुकसान हो रहा है, इसके लिए भी क्यों न बैतूल कलेक्टर को ही जिम्मेदार माना जाए और जो नुकसान हो रहा है वह ठेकेदार और तथाकथित भाजपा विधायक तथा कलेक्टर से वसूल किया जाए?

- घोड़े पर रेत लेकर 5 हजार रूपये किलो कलेक्टर को बेचने निकले कांग्रेसियों में कार्यवाहक अध्यक्ष हेमन्त वागद्रे, विधायक निलय डागा, प्रदेश सचिव समीर खान, जिला सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष अरुण गोठी, प्रदेश प्रतिनिधि नवनीत मालवीय, सेवादल अध्यक्ष अनुराग मिश्रा, हेमन्त पगारिया, नगर पालिका अध्यक्ष धीरु शर्मा, पार्षद राजकुमार दीवान, कदीर खान, राजकुमार यादव, नफीस खान, पूर्व पार्षद सुनील जेधे, लल्ली वर्मा, मंगू सोनी, पूर्व युका अध्यक्ष राजेश गावण्डे, राजा सोनी, सरफराज खान, मनीष देशमुख, प्रतीक देशमुख, मनोज धोटे, बंटी कापसे, शैलेश गुबरेले, वसीम खान, अंकित वर्मा, हाजी असलम खान, सत्तार अली, बंटी मालवीय, तौफिक खान, संजय पवार , अजय पवांर मुन्नालाल वाडिवा, आशीष देशमुख, सोनू मिश्रा, सतीष बारस्कर, सिध्दार्थ दुबे, अजय मिश्रा, अभिषेक दाभाड़े सहित अन्य कांग्रेसजन मौजूद थे।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल  11 अक्टूबर 2022