(बैतूल) एक साल में सात तक हो सकते हैं ग्रहण : सारिका घारू, - वैज्ञानिकों द्वारा पांच हजार सालों में चंद्रग्रहण की 7718 घटनाओं की गणना : सारिका घारू
- सारिका ने ग्रहण का विज्ञान समझाने गीतों को बनाया माध्यम,
- साल की न्यूनतम दो पूर्णिमाओं का चंद्रमा आ जाता है ग्रहण के साये में : सारिका घारू
बैतूल (हेडलाईन)/नवल-वर्मा । मंगलवार को उदित होते चंद्रमा के साथ आंशिक ग्रहण को देखा जा सकेगा। नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक सारिका घारू ने ग्रहण के खगोलविज्ञान को गीतों के माध्यम से रूचिकर तरीके से समझाया।
सारिका ने बताया कि पूर्वी आकाश में लालिमा के साथ ग्रहण की स्थिति में उदित होकर चन्द्रमा शाम 6 बजकर 19 पर आंशिक ग्रहण की स्थिति से बाहर आ जायेगा। ग्रहण के साथ उदित होते चंन्द्रमा की दूरी 3 लाख 90 हजार किमी से कुछ अधिक होगी। इसके बाद उपछाया ग्रहण आरंभ होगा यह उपछाया ग्रहण 7 बजकर 26 मिनिट पर समाप्त हो जायेगा।
सारिका ने बताया कि पांच हजार वर्ष की अवधि में 7718 आंशिक एवं पूर्ण चंद्रग्रहण की घटना की गणना की गई है। इस तरह प्रत्येक वर्ष औसतन 1.5 चंद्रग्रहण की घटना होती है। चंद्रग्रहण की घटना पूर्णिमा को ही होती है । पूर्णिमा का संबंध आमतौर पर किसी जयंती या पर्व से जुड़ा होता है। इसलिये साल में कोई दो पर्व पर चंद्रग्रहण आ जाता है।
सारिका ने बताया कि अगर सूर्य और चंद्रग्रहण को मिलाकर देखा जाये तो एक कैेलेन्डर वर्ष में न्यूनतम चार ग्रहण होते हैं। कुछ वर्षो जैसे 2013, 2018 एवं 2019 में पांच ग्रहण हुये। 2011 एवं 2020 में छः ग्रहण हुये तो 1982 के बाद आगामी 2038 को एक ही साल में सात ग्रहण की घटना होगी।
इस चंद्रग्रहण के बाद अगले साल 2023 में भारत में चंद्रग्रहण की दो घटनायें होंगी जिनमें 5 मई को उपछायाग्रहण तथा 28 अक्टूबर को आंशिक चंद्रग्रहण की घटना होगी।
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