बैतूल(ईएमएस)/नवल-वर्मा । आउटसोर्स कंपनियों के माध्यम से विभिन्न शासकीय संस्थाओं में सेवाएं ली जा रही है। इन सेवाओं के लिए जो कर्मचारी लगाए गए हैं उनका खुला शोषण हो रहा है। न उनके भविष्य की कोई सुरक्षा है और न ही पर्याप्त वेतन दिया जा रहा है। जिन विभागों में आउटसोर्स कर्मचारी काम कर रहे हैं वहां के अधिकारी भी कंपनी के शोषण को लेकर चुप्पी साधे रहते हैं। कुछ नहीं कहते। हालत यह है कि तीन-तीन, चार-चार महीने कर्मचारियों को भुगतान नहीं किया जाता है। ऐसा ही कुछ जिला अस्पताल में देखने आ रहा है जहां पर पीआईसीयू और आईसीयू में आउटसोर्स कंपनी के तकरीबन दो दर्जन से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं। इनका पिछले अप्रैल से लगातार शोषण हो रहा है, लेकिन सिविल सर्जन या सीएमएचओ इस तरफ ध्यान नहीं दे रहे है। यह कर्मचारी इसलिए कुछ नहीं कह पाते कि यदि उन्होंने कुछ कहा तो उन्हें भगा दिया जाएगा। कंपनी के कर्ताधर्ताओं ने कहा कि जितना मिल रहा है तो इससे सस्ते में भी और लोग मिल रहे है। श्रम विभाग भी इन लोगों की तरफ कभी कोई ध्यान नहीं देता है। कुल मिलाकर आउटसोर्स का शोषण का एक जरिया बन गया है।

- तीन माह के अंतराल में किया जाता है वेतन भुगतान...                 
प्रथम कंपनी द्वारा अप्रैल माह से जिला अस्पताल में सेवाएं दी जा रही है। इन सेवाओं में पहले चार महीने में एक माह का वेतन दिया गया फिर बीच एक माह का वेतन दिया गया। फिर अब जाकर तीन माह का वेतन दिया गया, लेकिन तीन माह का बकाया चल रहा है।
पिछली कंपनी से एक हजार रूपये कम दे रहा वेतन             
प्रथम कंपनी द्वारा 7 हजार 200 रूपये मानदेय दिया जा रहा है। जबकि इसके पहले जो कंपनी यहां पर सेवाएं दे रही थी वह आउटसोर्स कर्मचारियों को 8 हजार रूपये से ज्यादा वेतन देती थी। कम वेतन पर भी कर्मचारी विरोध दर्ज नहीं करा पा रहे है।

- कलेक्टर रेट के नियम का भी पालन नहीं कर रही कंपनी...
जो आउटसोर्स कंपनियां है वे कलेक्टर रेट वाले नियम का भी पालन नहीं कर रही है। उसमें भी कुशल और अर्धकुशल और अकुशल के आधार पर भुगतान होना चाहिए पर जिले का श्रम विभाग इस तरफ कभी कोई ध्यान ही नहीं देता है और न ही जांच करता है।

- इधर बिजली विभाग में आउटसोर्स कर्मचारी की मौत पर बैतूल विधायक ने बयान जारी कर की खानापूर्ति...
आउटसोर्स कर्मचारी कमलेश डोंगरे की मौत के मामले में कांग्रेस विधायक निलय विनोद डागा ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए सरकार की कार्यप्रणाली को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने प्रशासन के समक्ष सवाल खड़े किए है कि आउट सोर्स कर्मचारी कमलेश डोंगरे की मौत का जिम्मेदार कौन है? श्री डागा ने कहा कि विद्युत विभाग के आउट सोर्स कर्मचारियों की जिंदगी हमेशा दांव पर लगी रहती है, इसके बावजूद दुर्घटना में मृतक आउटसोर्स कर्मचारियों के परिवार को ना ही मुआवजा मिलता है ना ही परिवार के किसी सदस्यों को अनुकंपा नियुक्ति मिल पाती है। उन्होंने कहा कि विद्युत विभाग का लगभग 70 प्रतिशत कार्य आउटसोर्स कर्मचारियों के भरोसे चल रहा है, इसके बावजूद सरकार इन कर्मचारियों के प्रति उदासीन है। कर्मचारियों की दुर्घटना में मौत हो रही है और सरकार इन पर आश्रित परिवार कि किसी भी प्रकार की कोई मदद नहीं कर रहा है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ सरकार ऐसा तानाशाही रवैया ना अपनाएं उन्हें उचित वेतनमान के साथ दुर्घटना में अनहोनी के बाद परिवार को हर संभव मदद दे। उन्होंने सरकार से तत्काल आउट सोर्स कर्मचारी कमलेश डोंगरे के परिवार को 10 लाख का मुआवजा देने की मांग की।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल  06 नवम्बर 2022