(बैतूल) भारत का ज्ञान प्रखर है, इसे मुखर बनाने की आवश्यकता है : मोहन नागर - त्रिदिवसीय प्राचार्य अभ्यास वर्ग का हुआ भारत भारती में समापन
बैतूल (हेडलाईन)/नवल-वर्मा । राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को विद्यालयों में लागू करने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश के भोपाल संभाग के प्राचार्य, प्रधानाचार्य का तीन दिवसीय प्रशिक्षण 1 से 3 दिसम्बर 2022 तक भारत भारती आवासीय विद्यालय में आयोजित किया गया जिसमें भोपाल सम्भाग के आठ जिलों के 80 से अधिक विद्यालयों के प्राचार्य, प्रधानाचार्य सम्मिलित हुए।
मंच पर विद्या भारती मध्यभारत प्रान्त के प्रादेशिक सचिव शिरोमणि दुबे, जनजाति शिक्षा के क्षेत्रीय प्रमुख मोहन नागर, प्रान्तीय प्रशिक्षण प्रमुख राजेन्द्र परमार, नर्मदापुरम विभाग के विभाग समन्वयक सुनील दीक्षित उपस्थित थे।
प्रशिक्षण के समापन कार्यक्रम में सभी को संबोधित करते हुए जनजाति शिक्षा के क्षेत्र प्रमुख और भारत भारती शिक्षा समिति के सचिव मोहन नागर ने कहा कि शिक्षा वही श्रेष्ठ है जिसमें मानवीय मूल्यों का समावेश हो। उन्होंने कहा कि प्राचीन काल से हमारे बच्चों में संस्कार युक्त और व्यवहारिक शिक्षा देने का कार्य संयुक्त परिवार के सदस्य स्वत: ही कर देते थे। जब बालक युवावस्था में आता था तो उसके आसपास का समाज उसे सरल और मौखिक सीखों से शिक्षित कर देता था। इस युवा को अपने परिवार की परिस्थिति, पर्यावरण, मौसम विज्ञान, कृषि विज्ञान, भौतिकी, आपसी सामन्जस्य, रीति-रिवाजों, परम्पराओं का ज्ञान हो जाता था। यही व्यवहारिक ज्ञान इसे समाज में होने वाले परिवर्तनों, और जीवन की चुनौतियों से सामना करने में सहायक होता था।
वर्तमान परिपेक्ष्य में शिक्षा का अंतिम उद्देश्य नौकरी पाना हो गया है। एकल परिवार के कारण अब माता पिता भी बच्चों को समय और आवश्यक जीवनमूल्यों के बारे में नहीं बताते और ये संस्कार पक्ष और व्यवहारिक ज्ञान विद्यालय के सिलेबस में भी नहीं है। इसी अव्यवहारिक शिक्षा पद्धति, और समय की कमी के कारण व्यवहारिक ज्ञान का प्रसार हम अपनी आने वाली पीढी तक नही कर पाये जो चिन्ता जनक है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के परिपेक्ष्य में श्री नागर ने कहा कि इस शिक्षा नीति में शिक्षा के सैद्धांतिक पक्षों के साथ साथ व्यवहारिक शिक्षा, रोजगारपरक शिक्षा, जीवनमूल्यों पर आधारित शिक्षा, निज भाषा विकास में सहयोगी शिक्षा के सोपानों को जोड़ा गया है, जो वर्तमान समय की आवश्यकता के अनुरूप है। शिक्षा के क्षेत्र में हमने अनेक नवाचार किये हैं जिसके परिणाम भी आशानुरूप हमें मिले हैं। भारत का ज्ञान प्रखर है किन्तु हमें इसे मुखर बनाने की आवश्यकता है। हम अपनी मुखर अभिव्यक्ति से ही हमारे लक्ष्यों तक पहुँच सकेंगे।
विद्या भारती के प्रादेशिक सचिव श्री शिरोमणि दुबे ने अपने संबोधन में शिक्षा को युगानुकूल बनाने और इसके व्यवहारिक पक्ष पर जोर दिया और कहा कि हमें प्रत्येक कार्य को उत्कृष्टता के साथ करने की आवश्यकता है। इस प्रकार के प्रशिक्षण हमारे ज्ञान में वृद्धि करके हमें नवाचार के लिए प्रेरित करते हैं।
प्रशिक्षण के प्रतिवेदन का वाचन नर्मदापुरम विभाग के समन्वयक सुनील दीक्षित ने किया।
कार्यक्रम के अन्त में शांति मन्त्र से विश्व कल्याण की कामना की गई।
कार्यक्रम का संचालन शिशु वाटिका प्रमुख श्रीमति सुरेखा ठाकुर ने किया और आभार प्रदर्शन चन्द्रहंस पाठक ने किया।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 03 दिसम्बर 2022