(बैतूल) सबसे बड़ा सवाल...किसके स्वार्थ में फंसा है रेत का मामला , - खनिज अधिकारी निपट गया पर रेत का संकट अभी भी बरकरार
बैतूल(हेडलाईन)/नवल-वर्मा । जिले में रेत संकट अभी कम से कम और दो महीने हल होता हुए नजर नहीं आ रहा है। भले ही रेत खदानों के टेंडर फिर से लगा दिए हों, लेकिन जो पूरी प्रक्रिया होती है उसमें कम से कम डेढ़ से दो माह का समय लगेगा। जो डम्प के टेंडर लगाए थे वह भी कोर्ट कचहरी में जाकर उलझ चुके हैं। इसलिए डम्प से भी रेत मिलने का रास्ता साफ नहीं हो पा रहा है? अब इस सबमें सबसे बड़ा सवाल यह है कि कौन है जिसका स्वार्थ रेत के इस खेल को पूरा मचा डाल रहा है और आम आदमी की पहुंच से रेत को दूर को दूर कर रहा है?
- सीएम और कांग्रेसियों का आमना-सामना होने से रोकने के लिए किसने लगाई ताकत...
इधर कुंडबकाजन में सीएम से मुलाकात का समय मिलने के बावजूद भी कांग्रेसियों की आखिर सीएम से मुलाकात क्यों नहीं हो पाई यह एक बड़ा सवाल है? बताया गया कि अधिकारियों को इस बात की जानकारी थी कि रेत के मामले में सीएम के सामने कांग्रेसी पोल खोलने वाले हैं, इसलिए खेल ऐसा रचा गया कि मुलाकात का समय देने के बावजूद भी सीएम से कांग्रेसियों की मुलाकात ही नहीं हो पाई, क्योंकि सीएम के साथ पूरे समय कोई मौजूद था जिसने मुलाकात न हो पाए इसके लिए पूरी ताकत लगा दी।
- रेत न मिलने से शहर में प्रधानमंत्री आवास के काम ठप्प, हर तरफ रेत को लेकर मारामारी...
प्रधानमंत्री आवास में ग्रामीण क्षेत्र में तो ऑफ द रिकार्ड में रेत की व्यवस्था हो जा रही है, लेकिन शहरी क्षेत्र में रेत नहीं मिल पा रही है। जो रेत के रेट है उस रेट में प्रधानमंत्री आवास बनाना संभव ही नहीं है इसलिए हितग्राही हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। इधर अन्य सरकारी निर्माण कार्य भी रेत के अनाप-शनाप रेट के कारण ठप्प पड़े हैं।
नवल-वर्मा-हेडलाईन-बैतूल 05 दिसम्बर 2022